फिल्म पार्श्व संगीत का भावनात्मक प्रभाव / जयप्रकाश चौकसे

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फिल्म पार्श्व संगीत का भावनात्मक प्रभाव
प्रकाशन तिथि : 08 जुलाई 2020


फिल्म संगीत के 3 भाग किए हैं-गीत रचना, पार्श्व संगीत, प्रभाव ध्वनियां, जैसे पात्रों के पदचाप, दरवाजा खुलने-बंद करने की ध्वनि, बादल, हवा और वर्षा की ध्वनि। यहां तक की सन्नाटे की भी एक ध्वनि होती है। ध्वनि अजर अमर है, कुछ जर्मन विशेषज्ञों ने आधुनिकतम उपकरण से ऐसी ध्वनियां रिकॉर्ड की हैं कि जो कुरुक्षेत्र में लड़े गए युद्ध का प्रमाण देती हैं। खाकसार की ‘पाखी’ में प्रकाशित कथा कुरुक्षेत्र की कराहें भी इसीसे प्रेरित रचना है। पार्श्व संगीत रचने के दिन लद गए, अब स्टॉक संगीत से ध्वनियां चुनी जाती हैं। संगीतकार फिल्म को बार-बार देखकर दृश्यों का समय नोट करते हैं और स्टॉप वॉच के प्रयोग से उसी अवधि के लिए संगीत रचते हैं। प्रमुख पात्रों के परदे पर आते ही, उनका पहचान संगीत बजता है।

आरडी बर्मन ने कांच की खाली बोतल से एक ध्वनि उत्पन्न की जिसे गब्बर सिंह की पहचान बनाया गया। अमिताभ द्वारा अभिनीत पात्र के लिए मॉउथ ऑर्गन की ध्वनि का प्रयोग किया गया। शंकर-जयकिशन ने अपने संगीत से प्रेरित धुनों का अगली फिल्मों में उपयोग किया। ‘जिस देश में गंगा बहती है’ के गीतों में अपनी पुरानी फिल्मों ‘आवारा’ और ‘श्री-420’ में प्रयुक्त पार्श्व संगीत को साफ सुन सकते हैं। यहां तक कि लक्ष्मीकांत प्यारेलाल द्वारा फिल्म ‘बॉबी’ का गीत ‘घे घे रे साहिबा’ को हम फिल्म ‘आवारा’ के पार्श्व संगीत में सुन सकते हैं। इस तरह शंकर जयकिशन की रचना हम लक्ष्मी-प्यारे की रचना में सुनते हैं, क्योंकि फिल्मों का निर्देशक वही व्यक्ति है।

6 जून को इटली के संगीतकार इनियो मोरिक्कोन का निधन हुआ। उन्होंने 500 फिल्मों का पार्श्व संगीत रचा था। उन्होंने ‘ए फिस्टफुल ऑफ डॉलर्स’ और ‘गुड बैड अगली’ फिल्मों के लिए जो पार्श्व संगीत रचा उसका संकलन ‘डॉलर’ संगीत के नाम से जारी किया गया है। क्या मनुष्य के खर्राटों की ध्वनि का प्रयोग बादल की गड़गड़ाहट अभिव्यक्त करने के लिए किया जा सकता है? क्या भूखे की सांस की ध्वनि हुक्मरान के कान तक पहुंचती है, जो प्रायोजित तालियां सुनने का आदी है। अब विश्व संसद में प्रश्नकाल की अवधि बढ़ गई है। परंतु उत्तर नहीं देना भी हुकूमत का अंदाज बन गया है।

अमेरिकन निर्माता ने उपन्यासकार ग्राहम ग्रीनी को पटकथा लिखने के लिए अनुबंधित किया। लेखन कार्य के लिए इटली यात्रा के दौरान एक रेस्त्रां में उन्होंने वाद्ययंत्र से निकालीं रहस्यमयी ध्वनियां सुनीं और ध्वनि के अधिकतम इस्तेमाल के लिए दृश्यों की रचना कीं। इसी फिल्म ‘थर्ड मैन’ का चरबा संजय दत्त व कुमार गौरव की ‘नाम’ फिल्म में किया जिसकी पटकथा सलीम खान ने लिखी। यह फिल्म सलीम खान के जावेद अख्तर से अलगाव के बाद लिखी पहली फिल्म है। संगीतकार इनियो मोरिक्कोन हमेशा अपने घर में ध्वनि सृजन का काम करते थे। अमेरिकन निर्माता भी उनसे मिलने आते थे। उन्होंने स्टीवन स्पीलबर्ग के लिए भी संगीत रचना की है। इसी तरह ए.आर.रहमान भी अपने चेन्नई स्थित स्टूडियो में ही काम करते हैं।

सत्यजीत रे की प्रारंभिक फिल्मों में उस्ताद अकबर अली खान व रविशंकर जी ने संगीत रचा, परंतु बाद में सत्यजीत रे ने स्वयं ही संगीत रचा। फिल्म ‘गूंज उठी शहनाई’ के लिए पन्नालाल घोष ने बांसुरी वादन किया था। शास्त्रीय संगीतज्ञों को फिल्म संगीत ध्वनि अंकन में यह परेशानी होती है कि उनकी रचनाओं में नदी का प्रवाह होता है,जबकि फिल्म रिकॉर्डिंग में बांध होते हैं, जो प्रवाह को रोकते हैं। मूक फिल्मों के दौर में परदे के नीचे हारमोनियम-तबला वादक बैठकर दृश्य के अनुरूप वादन करते थे, इसीलिए हर शो में पार्श्व संगीत थोड़ा बदलता था। सारांश यह है कि मूक दौर में भी पार्श्व संगीत इस तरह रचा जाता था। ध्वनि के आगमन के बाद कुछ दृश्यों में खामोशी रची जाती है। कभी-कभी दिल की धड़कन की ध्वनि का भी पार्श्व संगीत में प्रयोग होता है। फिल्म संगीत के हृदय में पार्श्व रचना धड़कन की तरह मौजूद रहती है।