फिल्म भट्टी में तपा रिश्तों का रसायन / जयप्रकाश चौकसे

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
फिल्म भट्टी में तपा रिश्तों का रसायन
प्रकाशन तिथि :06 जनवरी 2015


फिल्मे मनोरंजक भी होती हैं, सोद्देश्य भी होती हैं, मिथ्या प्रचारात्मक भी होती हैं, नशा भी है आैर कभी-कभी बनाने वालों के रिश्तों में नई पहल भी करती हैं। कलाकारों के लिए प्रेम की सुविधा भी उपलब्ध कराती है। इस सबके साथ वह एक व्यवसाय भी है आैर कुछ विरल लोगों ने इसे विशुद्ध कला के रूप में ग्रहण किया। बहरहाल बोनी कपूर के श्री देवी से विवाह के समय उनका पुत्र अर्जुन किशोर वय का था आैर उसे इसका ज्ञान भी नहीं हुआ कि स्वयं उसकी मां मोना ने बोनी का उन्माद देखते हुए उसे विवाह की अनुमति दी थी। मोना बोनी के माता-पिता के साथ, बोनी से अलगाव के बाद, अनेक वर्ष रही आैर उसने उनकी सेवा हमेशा की तरह की परंतु यह संभव है कि अर्जुन के मन में पिता के प्रति एक गुस्सा हो आैर यह स्वाभाविक भी है।

अपनी किशोर अवस्था में अपने मन में आक्रोश लिए अर्जुन सलमान के घर आने-जाने लगा आैर हमउम्र अर्पिता से गहरी दोस्ती हुई जिसे मीडिया ने प्रेम का नाम दिया परंतु दोनों परिवार जानते थे कि एेसा कुछ नहीं है। उन दिनों अर्जुन बहुत मोटा था, कपूर लोग भोजन देख भी लें तो उनका वजन बढ़ जाता है। सलमान खान ने अर्जुन को अपने साथ जिम में कसरत कराई आैर उसे अभिनेता बनने की प्रेरणा दी। अर्जुन देख ही चुका था कि किस तरह आेव्हरवेट सोनाक्षी सिन्हा को वजन घटाने की प्रेरणा देकर नायिका बनाया। अर्जुन आैर सोनाक्षी स्कूल में सहपाठी रह चुके थे। इसी बीच सलमान खान ने बोनी कपूर की 'नो एंट्री' आैर 'वांटेड' की तथा 'वांटेड' में सलमान जिस नए तेवर में दिखे उसी तेवर को अगली सारी फिल्मों में मांजते रहे हैं।

अर्जुन कपूर को आदित्य चोपड़ा ने हबीब फैजल की 'इश्कजादे' में प्रस्तुत किया आैर 'गुंडे' में उस सफलता को दोहरा भी दिया। आदित्य चोपड़ा की अर्जुन कपूर के साथ तीसरी फिल्म 'आैरंगजेब' नहीं चली। करण जौहर आैर साजिद नाडियाडवाला के सहयोग से बनी 'टू स्टेट्स' खूब सफल रही परंतु बतौर अभिनेता उसे 'फाइन्डिंग फैनी' में भारी सराहना मिली। ज्ञातव्य है कि नसीरुद्दीन शाह आैर पंकज कपूर जैसे अनुभवी आैर धाकड़ अभिनेताआें की फिल्म में अर्जुन कपूर ने अपने को सशक्त रूप से दर्ज किया, यह किसी भी नए अभिनेता के लिए गर्व की बात हो सकती है। 'फाइन्डिंग फैनी' में उसकी नायिका दीपिका पादुकोण थी, जो 'चेन्नई एक्सप्रेस' में शाहरुख खान की नाक के नीचे से श्रेय ले उड़ी। दीपिका पादुकोण ने रणबीर कपूर के लिए लिखी अयान मुखर्जी की 'ये जवानी है दीवानी' में अभिनय का 'मुशायरा' लूट लिया था। ऐसी दीपिका पादुकोण के साथ अर्जुन कपूर ने अपना स्थान बनाए रखा आैर अभिनयी दंगल बराबरी पर छूटा।

बोनी कपूर 'नो एंट्री' आैर 'वांटेड' जैसी सफल फिल्म बनाने के बाद भी कुछ कर नहीं पा रहे थे, क्योंकि वे अन्य कामों में व्यस्त थे। उन्होंने अर्जुन कपूर आैर उनकी बाल सखा सोनाक्षी सिन्हा के साथ 'तेवर' बनाई आैर तेवर सलमान खान आैर अर्जुन कपूर के बीच सेतु रहा है। सलमानी सिनेमाई भट्टी में तपकर अर्जुन कपूर 'तेवर' में गीत भी गाते हैं कि 'मैं तो सुपरमैन, सलमान का फैन'। इस तथ्य के बावजूद भी 'फाइन्डिंग फैनी' में अर्जुन कपूर ने अपने मौलिक तेवर दिखाए थे, क्योंकि फिल्म उद्योग में वह अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी है, अत: जानते हैं कि 'दूसरा' केवल क्रिकेट की फिरकी गेंदबाजी में चलता है।

बोनी कपूर हमेशा ही महत्वाकांक्षी फिल्मकार रहे हैं आैर फिल्म पर पैसा खर्च करने का उनका पैशन है। कई निर्माता फिल्म निर्माण में कंजूसी करके कुछ धन बचा लेते हैं परंतु बोनी कपूर ऐसे नहीं हैं। उन्होंने अपने भाई अनिल कपूर को 'वो सात दिन' में प्रस्तुत करके 'मि. इंडिया' पर जितना धन खर्च किया, उस स्तर के सितारे अनिल कपूर उस समय नहीं थे। बहरहाल अर्जुन कपूर ने 'तेवर' में अपने पिता का फिल्म समर्पण नजदीक से देखा आैर उन्होंने भी फिल्म में अपना सब कुछ झोंक दिया। 'तेवर' के समय किए विज्ञापन फिल्म की थीम भी यही है 'मेक इट लार्ज'। 'तेवर' भी अपने निर्माण के हर पक्ष में लार्जर देन लाइफ फिल्म है। साजिद वाजिद के गीत लोकप्रिय हो चुके हैं आैर संगीत की स्पिरिट भी 'मेक इट लार्ज' ही है। 'तेवर' के बॉक्स ऑफिस पिणाम से भी अधिक आैर असली लाभ यह हुआ है कि पुत्र के ह्रदय के क्रोध का शमन हो चुका है आैर उनके बीच एक-दूसरे के प्रति सम्मान आैर प्यार अपनी नई सतह पर पहुंच गया है। इस बात से मोना भी खुश होगी। फिल्म निर्माण की मिक्सी से मानवीय प्रेम आैर करुणा की धारा भी बहती है। सिनेमा को मूव्हीज महज इसलिए नहीं कहते कि रील घूमती है, बल्कि वह दर्शक के ह्रदय में भावना जगाती है आैर 'तेवर' में तो पिता-पुत्र के रसायन को ही बदल दिया।