फुटबॉल के मैदान में गूंजती पेले सिम्फनी / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 11 दिसम्बर 2021
लंबे समय से बोनी कपूर फुटबॉल केंद्रित ‘मैदान’ बना रहे हैं। महामारी के कारण फिल्म रुक गई। बाद में मुंबई के निकट एक टापू में सेट लगाया गया तो तूफान आ गया। बोनी का जन्म नाम अटल है। वह काम करते हुए डिगते नहीं हैं। भारत में क्रिकेट सबसे अधिक लोकप्रिय खेल है। गोवा और कोलकाता में फुटबॉल के लिए जुनून है। फुटबॉल में एक अदद फुटबॉल और खिलाड़ी के दमखम की आवश्यकता होती है। फुटबॉल में खिलाड़ी अपने सिर से गेंद को गोलपोस्ट में डाल देता है। फुटबॉल खिलाड़ी के हाथ को गेंद लग जाना फाउल माना जाता है। एक बार मैरिडोना के हाथ से गेंद का स्पर्श हुआ जो रेफरी देख नहीं पाया। मैरिडोना ने विजयी गोल दाग दिया।
फुटबॉल के इतिहास में महान पेले अपने जीवन काल में ही किवदंती बने रहे। बचपन में पैर के ऊनी मोजे में फटे पुराने कपड़े डालकर गेंद की शक्ल का कुछ बना लेते थे। जिसे वे और उनके साथी फुटबॉल मानकर खेलते थे। सन् 1958, 1962 और 1970 में ब्राजील ने विश्व कप जीते। इन प्रतियोगिताओं में पेले प्रमुख खिलाड़ी रहे। पेले ने पूरे विश्व में फुटबॉल की लोकप्रियता बढ़ा दी। अपनी किशोरावस्था में पेले प्राय: बाइसिकल चलाने की अदा में फुटबॉल को किक मारते थे और इस ढंग से उन्होंने कई गोल मारे। ‘बेन्ड इट लाइक बेकहम’ एक फुटबॉल केंद्रित फिल्म का नाम है परंतु पेले के बाइसिकल अदा से मारे गए गोल कुछ हद तक वैसे ही थे। बेकहम बहुत बाद में आए हैं। पेले खेलते समय उनके पीछे दौड़ने वाले खिलाड़ी को बहुत पहले ही भांप लेते थे। कुछ लोगों ने उनकी आंख का परीक्षण कराया, परंतु सब कुछ सामान्य पाया गया। यह सच है कि उनकी दोनों आंखों के बीच सामान्य से कुछ अंतर अधिक था परंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि उनकी चार आंखें थीं- दो आगे और दो पीछे। यह संभव है कि पेले अपने पीछे भागने वाले की पदचाप जल्दी सुन पाते थे। कभी-कभी ध्वनि दृष्टि का काम करती थी। सन् 2021 में फुटबॉल के नियम बदले गए हैं। अब प्रतियोगी को जानबूझकर धक्का मारना त्रुटि माना जाता है। मेसी और उनके समकालीन रोनाल्डो जैसे खिलाड़ियों को नए नियम का लाभ मिला है परंतु उनके पास आज भी पेले की कला नहीं है। ध्यानचंद हॉकी के जादूगर माने गए। उनके ऊपर बनने वाली बायोपिक के अधिकार आरती और पूजा शेट्टी ने हाल ही में अन्य फिल्मकार को दिए हैं और अपना पूंजी निवेश वापस ले लिया है। पेले पर कई वृत्त चित्र बने हैं। सचित्र बायोग्राफी प्रदर्शित हुई। आधुनिक फुटबॉल में बीज गणित का भी प्रयोग किया जाता है।
भारत में रोमेश शर्मा ने नसीरुद्दीन शाह अभिनीत फिल्म ‘सितम’ फुटबॉल केंद्रित बनाई है। एक खिलाड़ी की जोरदार किक गोलकीपर की छाती पर लगती है वह हृदयाघात से मर जाता है। दरअसल वह खिलाड़ी पहले दिल का रोगी था परंतु नसीरुद्दीन अभिनीत पात्र हमेशा अपराध बोध से पीड़ित रहता है। क्रिकेट के खेल में हल्की बूंदाबांदी या प्रकाश की आवश्यकता से खेल रोक दिया जाता है परंतु फुटबॉल का खेल बारिश में भी जारी रहता है। खिलाड़ियों के कपड़ों में कीचड़ लग जाता है। बारिश में फुटबॉल अधिक रोचक हो जाता है। पांच दिवसीय क्रिकेट में उतना थ्रिल नहीं होता, जितना फुटबॉल के 90 मिनट में होता है। पेले के मैदान में आते ही एक स्वर में ‘पेले...पेले....’ गूंजने लगता है। इससे हम पेले सिम्फनी कह सकते हैं। दसों दिशाओं से एक ही आवाज आती है। पेले इस शोर में एकदम सामान्य बने रहकर खेल को अध्यात्म के स्तर पर पहुंचा देते हैं। ताजा समाचार यह है कि उम्रदराज पेले को कोलन ट्यूमर हुआ है। ब्राजील के हर चर्च में उनके लिए प्रार्थना की जा रही हैं। दुनिया भर के फुटबॉल प्रेमी उनके लिए प्रार्थना कर रहे हैं। शायद उनकी प्रार्थना सुन ली जाए और अंतड़ियों में घुटता 1001 वां गोल बाहर आ जाए।