फैसन / सुषमा गुप्ता
"ओ ये थोबड़ा कौन तौड़ दिए बे?"
"कुछ नहीं भइया जी कौनो ख़ास बात नहीं।"
"अबे बता भी?"
"भइया जी वह हमार मौहल्ला की एक लड़की पर दिल डोल गया। थोड़ा हाथ-वाथ लगा दिए, तो उसका भाई बवाल कर दिया।"
"कौन जात रहे?"
"हमार जात के नाहीं हैं।"
"तो फिर का दिक्कत! ले जाओ दस बीस लौंडा-लपाड़ा और बीच बाज़ार ही हाथ-पैर तोड़ आओ ससुर के।"
"ऐसे कैसे भइया जी?"
"अबे कुछ नहीं बस शोर मचा दियो ठोकने से पहले कि हमार जात वालों और धर्म की बेइज्जती करे रहा। वह फिर तो पब्लिक से भी बहुत से हाथ साफ़ करने कूद जाएँगे।"
"भैया जी जो दंगा हो गया!"
"अब तो तू कौन-सा प्रशासन लग रहा है, जो दंगा सँभालेगा। तू तो बस अपना हाथ साफ़ करियो और चलता बनियो।"
"ही-ही... भइया जी। जे सही कहे।"
"और सुन तनिक मुँह ढाँप लियो। आजकल बड़ा फैसन है वीडियो बनाए का। बचाने तो वाए कोई न आएगा, गारंटी लेइ लेयो हमसे; पर कमीने वीडियो सब बनाएँगे। फँस न जाइओ बाद मा।"
"दुरुस्त भइया जी।"
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