बंदर का खेल / लक्ष्मीनारायण लाल
[मंच पर प्रकाश आते ही बच्चे दिखते हैं, वे ऊधम कर रहे हैं, शोर मचा हुआ है चारों तरफ। उनके ही बीच अकेली मैडम बेतरह परेशान, अचानक वह सीटी बजाती हैं, बच्चे शांत और सावधान होने लगते हैं।]
मैडम : अच्छा! अब हम खेलेंगे, क्या खेलेंगे?
बच्चे : [एक साथ] खेल।
मैडम : चलो, हम सब खेलें, दौड़ों मेरे पीछे-पीछे, मेरे आगे-आगे।
[बच्चे मंच पर अर्धचंद्राकार रूप में खड़े हो जाते हैं, मैडम डमरू बजाकर]
मैडम : अब कौन बनेगा बंदर?
अभिनव : मैं अभिनव।
मैडम : कौन बनेगी बँदरिया?
सिल्की : मैं, सिल्की।
अभय : नहीं मैं अभय।
सिल्की : नहीं मैं।
अभय : नहीं, मैं।
[दोनों मैं-मैं करने लगते हैं , सारे बच्चे मैं-मैं करते हैं। मैं-मैं पर डमरू का संगीत छा जाता है। इसी बीच अभिनव बंदर , सिल्की बँदरिया और अभय पहलवान बनकर आते हैं।]
पहलवान : अरे बंदर! तेरा मुँह जैसे छछूँदर।
[बंदर गुस्से में काटने दौड़ता है।]
पहलवान : अरे, इसमें गुस्सा करने की क्या जरूरत? ले, लगा ले टोपी; ले, लगा ले मूँछ;
ले लगा ले टाई। ले चश्मा, ले डंडा, ले पाउडर, ले मैकअप कर ले।
[बंदर सज जाता है।]
पहलवान : अरे-रे-रे, कहाँ चला बन-ठन के?
बंदर : शादी करने।
पहलवान : बंदर चला बँदरिया देस, देखो इसका कैसा भेस।
बँदरिया : खों-खों-खों!
बंदर : अरे, मैं तेरी गली में आया।
बँदरिया : बेसुरा गाया।
बंदर : क्या कहा, मैं बेसुरा? तू बेसुरी।
बँदरिया : तेरी यह हिम्मत!
[दोनों में मारपीट , पहलवान बचाता है।]
पहलवान : तो दोनों रूठ गए।
पहलवान : भई बंदर, अक्ल के समुंदर, जाओ बँदरिया को मनाओ, दिल की बात सुनाओ।
[बंदर पहलवान के कान में कुछ कहता है।]
पहलवान : जा-जा, तू जा! अरे, जा तो सही!
[बंदर बँदरिया के पास जाता है , शरमाता है , डरता है , भाग जाता है ; पहलवान से संकेतों में बातें , फिर जाता है , पहलवान संकेत करता है।]
बंदर : [मारे संकोच-डर के] अरे सुनती हो!
पहलवान : जोर से! थोड़ा और ऊँचा!
बंदर : [चिल्लाकर] अरे सुनती हो! मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ।
[बँदरिया का मैडम के कान में कुछ कहना।]
मैडम : कह रही है, तेरे मुँह से बदबू आती है, सुबह ब्रुश नहीं करता, मुँह-हाथ नहीं धोता और ठीक से नहाता भी नहीं।
[बंदर मारने दौड़ता है बँदरिया को , पहलवान रोकता है। बँदरिया का फिर मैडम के कान में कुछ कहना।]
मैडम : अच्छा, कहती है, बड़ा गुस्सैल है। हर वक्त खों-खों-खों करता है, चीजें फेंकता रहता है। तोड़-फोड़....!
बंदर : जा-जा, बड़ी बनती है, तुझसे शादी नहीं करूँगा।
पहलवान : [रोकता है] अरी बँदरिया मेरी मान, शादी कर ले।
[बँदरिया का मैडम के कान में कुछ कहना।]
मैडम : पूछ रही है - दहेज तो नहीं माँगोगे?
बंदर : नहीं माँगूँगा।
बँदरिया : मेरी इज्जत करोगे न?
[बंदर डंडा दिखाता है , बँदरिया भी डंडा दिखाती है।]
मैडम : बस-बस, अब शादी पक्की!
बँदरिया : नहीं।
[मैडम के कान में कुछ कहती है।]
मैडम : पूछ रही है - मनुष्य हो कि बंदर? बोलो, क्या हो? ओ-हो, अभी बंदर हो। [फिर कान में बँदरिया का कुछ कहना] वह बंदर से शादी नहीं करेगी।
[बंदर का मैडम के कान में कुछ कहना।]
मैडम : बहुत अच्छे, बहुत अच्छे! यह बंदर नहीं है, बंदर का रूप बनाए हुए है। जाओ, उसके कान में कहा।
[बंदर और बँदरिया का एक-दूसरे के कान में कुछ कहना, मैडम का डमरू बजाना, विवाह का संगीत उठना, दूल्हा-दुलहन और बारात का चलना।]