बदजात / सुरेश सौरभ

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हे! प्रधानमंत्री जी

नमस्ते।

आखिर मेरा दोष यही है न कि मैंने एक छोटी जात में जन्म लिया, पर मैं क्या करता जन्म मेरा मेरे वश में नहीं था, पर कर्म मेरा मेरे वश में हैं और अच्छे कर्म करते हुए देश की रक्षा करते हुए मैं कश्मीर में शहीद हुआ। तब मेरी लाश गॉव में आई तो गॉव के ऊंची जात के दबंग लोगों ने गॉव में मेरा अंतिम संस्कार होने नहीं दिया। मेरीे पत्नी मेरे बच्चे फूट-फूट कर रोते रहे पर ऊंची जाति के लोगों को मेरे परिवार के बहते आंसूओ पर ज़रा भी रहम नहीं आई. मैंने हमेशा खुद को भारत मॉ का लाल माना और देश के लिए हंसते-हंसते कश्मीर में कुरबान हो गया, पर ऊंची जात के लोगों ने जिस तरह मेरी जात पर हंगामा खड़ा करके पुरखो के मेरे गॉव में मेरा क्रिया-कर्म नहीं होने दिया, उससे मेरी आत्मा जार-जार रो रही है, टूट रही है, जब पूरा देश मुझे नमन कर रहा है, तब मेरे ही गॉव के दबंग कथित ऊंची जात के लोग मेरी जात पर उंगली उठा कर क्यों मुझे जलील कर रहे हैं? क्यों मुझे गलीच कह रहे हैं? क्यों मुझे गाली दे रहे हैं? मैं बहुत दुखी हूँ। क्या शहीद की भी कोई जात होती है? अगर ऐसे ही हंगामा होता रहा तो कोई भी छोटी जात वाला गरीब मॉ बाप अपने बेटे को सीमा पर मरने के लिए नहीं भेजेंगा। आप ही बताइएगा क्या कोई डीएम एसपी, जज, इंजीनियर, डॉक्टर, नेता, मंत्री, टाटा, बिडला या अंबानी का बेटा सेना में गया है मरने? ये पैसे वाले लोग क्यों जाएँ देश के लिए गोली खाने। बम खाने। अधिकतर हम छोटी जात वाले गरीब ही जाते हैं मरने के लिए. फिर हमारी शहादत पर हमें क्यों दुतकारा, फटकारा जा रहा है। हे! प्रधानमंत्री जी ऐसे नीच पापियो पर उचित कार्यवाही करें वर्ना एक दिन ऐसा आयेगा जब कोई छोटी जात वाला गरीब मॉ बाप अपने बेटे को सेना में नहीं भेजेगा फिर आप की सरकार को देश की रक्षा के लिए कोई भी सैनिक चिराग लेकर ढूंढ़ने पर भी नहीं मिलेंगे। मैं तो इस दुनिया से जा रहा हूँ, बदजात का दाग लेकर, लेकिन अपने एक हमदर्द की आत्मा में घुसकर यह पत्र लिखाए जा रहा हूँ। आशा है आप मेरी आत्मा की आवाज सुनकर मेरे साथ न्याय करेंगे। तभी मेरी आत्मा को सुकून, सुख और शॉति मिलेगी। जय हिंद।

आप का दिवंगत एक सैनिक

मातादीन भंगी