बदलते संदर्भ / खलील जिब्रान / सुकेश साहनी
(अनुवाद :सुकेश साहनी)
तीन कुत्ते धूप सेंकते हुए आपस में बातचीत कर रहे थे।
पहला कुत्ता अधमुंदी आँखों से देखते हुए बोला, "इस कुत्ताराज में जन्म लेना सचमुच सुखमय है। अब हम मोटरकारों, जहाजों में बैठकर कितने आराम से धरती, आकाश और समुद्र की यात्राएँ करते हैं। ज़रा उन आविष्कारों के बारे में तो सोचो, जो कुत्तों के ऐशोआराम के लिए हुए हैं।"
दूसरे कुत्ते ने कहा, "अब हम लोगों की चालों से चैकस रहना जान गए हैं। चाँद को देखकर हम अपने पूर्वजों की तुलना में कहीं अद्दिक लयबद्ध तरीके से भौंकते हैं। जब हम पानी में ताकते हैं तो अपने नैन-नक्श को पहले से ही अधिक निखरा हुआ पाते हैं।"
तब तीसरे कुत्ते ने कहा, "मैं तो कुत्ताराज में आपसी तालमेल देखकर दंग हूँ।"
ठीक उसी समय उन्होंने देखा, कुत्ते पकड़ने वाला उनकी ओर आ रहा था।
तीनों कुत्ते अपनी जगह से उछले और गली की ओर दौड़ पड़े। भागते हुए तीसरे कुत्ते ने कहा, "जान बचाओ... भागो! सभ्यता हमारा पीछा कर रही है!"