बबूल का पेड़ / सुधाकर राजेन्द्र
जज अनवर अली का बारह बर्षिय बेटा फिरोज ने अपने अध्यापक की शिकायत करता हुआ अपने पिता से कहा- अब्बाजान आज कृष्णा बाबू ने भरे क्लास में मुझे थपड़ मारा ।
ऐसी बात सुनते ही जज अनवर अली गरम हो गए। उन्होंने थाने के दारोगा को फोन करते हुए कहा कि कृष्णा सिंह शिक्षक को शीघ्र गिरफ्तार कर उनके पास ले आवें। दारोगा मधुसूदन सिंह ने कृष्णा बाबू के पास पहुँचकर जज अनवर अली के पास ससम्मान चलने का आग्रह किया। कृष्णा बाबू प्रतिष्ठित शिक्षक थे, जज के बुलावे और दारोगा का सम्मान करते हुए जज के पास जाने के लिए सहमत हो गए। दारोगा मधुसूदन सिंह और अध्यापक कृष्णा बाबू जज के आवास पहुँचे तो जज ने अपने बेटे फिरोज और दारोगा के सामने ही कृष्णा बाबू को दो तीन थप्पड़ जड़ते हुए पूछा-कैसा लगा यह थप्पड़? कृष्णा बाबू और दारोगा मधुसूदन सिंह जज के इस बर्ताव से अवाक रह गए। जज ने कृष्णा बाबू को झिड़कते हुए पूछा-तुमने मेरे बेटे को भरे क्लास में तमाचा मारा, तो हमने तुम्हें दारोगा के सामने यह थप्पड़ मारा। कृष्णा बाबू कुछ बोलते कि जज ने फिर तमाचा मारा और डाँटते हुए चूप रहने को कहा। कृष्णा बाबू उस जज के सामने पत्थर की मूर्ति की तरह सिर झुकाए खड़े थे। दारोगा मधुसूदन सिंह जज के इस व्यवहार से गुस्से से उबल रहे थे लेकिन कानून के दानव के समक्ष विवश थे।
जज अनवर अली ने दारोगा को आदेश के लहजे में कहा-ले जाओ इसे और समझा देना ऐसी हरकत अब ना करे यह मास्टर, वर्ना ... बाहर निकलते ही दारोगा मधुसूदन सिंह ने कृष्णा बाबू से माफी मांगते हुए कहा - कृष्णा बाबू मैं आपका बहुत सम्मान करता हूँ । मैं सोच भी नहीं सकता था कि जज अनवर अली ऐसा बर्ताव आपके साथ करेगा। आप चाहें तो इस घटना की मुकदमा मेरे थाने में कर सकते हैं मैं आपके साथ हूँ।
कृष्णा बाबू ने कहा-दारोगा जी कानून उसके हाथ में है, तो न्याय की क्या आशा करूं। कल उसका बेटा फिरोज और एक लड़का रामू ने एक छात्रा के साथ बदसलूकी किया। पूछ ताछ में वह दोषी पाया गया, तो हमने उसे सुधरने के लिए एक दो तमाचे दिए। विद्यालय शिक्षा का मंदिर है, जहाँ से पढ़कर दारोगा जज और शिक्षक भी लोग बनते हैं।
वह तो ठीक है किन्तु जज ने आपको थप्पड़ मार कर बहुत बुरा किया। मैं ऐसा जानता तो आपको लेकर उसके पास नहीं जाता। वह आपको ही नहीं मुझे भी थप्पड़ मारा। आप मुकदमा अवश्य करें मैं गवाह रहूँगा।
कृष्णा बाबू ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा- दारोगा जी वह जज है मुकदमा करने पर साम्प्रदायिक हवा भी दे सकता है। मैं नहीं चाहता कि मेरे चलते दो सम्प्रदायों के बीच कुछ हो। जो बीता सो बीता अब इसे भूल जाना ही अच्छा होगा किन्तु जज का यह बर्ताव घोर निंदनीय है।
घर आ कर कृष्णा बाबू बहुत सोचते रहे। न्याय के आसन पर बैठा हुआ जज का यह व्यवहार न्यायपालिका के चेहरे पर कलंक है। बिना कुछ पूछे थप्पड़ मारना कितना उचित है, कानून से खेलने वाले ऐसे लोगों को न्याय की कुर्सी पर होना न्याय के साथ बलात्कार है। मैंने विद्यालय में सोंच समझ कर फिरोज को दंड दिया था कि वह एक अच्छा छात्रा बन सके और स्कूल का अनुशासन बना रहे। ऐसे ही बाप के बेटे अपराधी, डकैत और बलात्कारी बनते हैं।
अगले दिन कृष्णा बाबू स्कूल पहुँचे ही थे कि पच्चास वर्षिय किसान महेश दास अपने बेटा रामू के साथ स्कूल पहुँचा। कृष्णा बाबू के पाँव छूते हुए बोला-कृष्णा बाबू कल आपने मेरे बेटा रामू को उसकी गलती के लिए सजा दिया बिल्कुल ठीक किया । आप गुरू हैं गुरू भगवान होते हैं रामू की गलती के लिए मैं आप से क्षमा माँगने आया हूँ, और रामू को भी पैर छु कर माँफी माँगने को कहा।रामू ने कृष्णा बाबू का पैर छू कर अपनी गलती के लिए माफी माँगा।
कृष्णा बाबू जज अनवर अली और किसान महेश दास के व्यवहार पर गहराई से विचार करते रहे। दोनों के पुत्रों को एक ही दंड उन्होंने दिया था। जज ने उन्हें थप्पड़ मारा और किसान ने पुत्र के साथ आ कर माफी माँगी ।
आज किसान महेश दास का बेटा रामू, उसी न्यायालय में जज के पद पर पदासीन है और जज अनवर अली का बेटा फिरोज दर्जन भर मुकदमों का फरार अभियुक्त। जज रामू दास को आज भी शिक्षक कृष्णा बाबू का पढ़ाया हुआ वह पाठ याद है- जिसमें कृष्णा बाबू पढ़ा रहे थे-रोपे पेड़ बबूल का आम कहाँ से होय?