बल्लू का राजतिलक / अनीता चमोली 'अनु'

Gadya Kosh से
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राजा ने घोषणा की-”जो भी विशालकाय राक्षस का अंत कर देगा। मैं उसे अपना राज-पाट सौंप दूंगा।”

घोषणा सुनकर एक से बढ़कर एक शूरवीर आए। लेकिन राक्षस के हाथों मारे गए या जान बचाकर भाग गए। वहीं राक्षस के आतंक से सब परेशान थे। नन्हा बल्लू जिद करने लगा। अपनी मां से कहने लगा-”मां, मैं राक्षस को मार दूंगा।” बल्लू की जिद के आगे सबको झुकना पड़ा। राज दरबार में बल्लू का दुस्साहस सुनकर हर कोई हैरान था। बल्लू ने कहा-”महाराज। सैकड़ों जानें चली गईं हैं। यदि मेरी जान चली जाएगी तो क्या। मगर सोचिए, यदि मैं उसे मार पाया तो समूचे राज्य का हित होगा। राक्षस आए दिन निर्दोषों की जान ले रहा है।”

बल्लू को खुशी-खुशी विदा किया गया। हर कोई सोच रहा था कि नन्हा बल्लू मौत को खुद गले लगा रहा है। बल्लू की मां ने कहा-”जा बेटा। मैं खुश हूं। कम से कम तू राज्य के बलिदानियों में तो गिना ही जाएगा। यदि लौट के आया तो राजसिहांसन तेरे कदम चूमेगा।”

बल्लू घने जंगल में अकेला चलता जा रहा था। अचानक विशालकाय राक्षस ने उसे दबोच ही लिया। अब वो राक्षस की मुट्ठी में बिलबिला रहा था। राक्षस ने कहा-”मूर्ख बालक। अब कुछ देर तक मेरी हथेली में खेल।” राक्षस की हथेली किसी विशालकाय मैदान से कई गुना बड़ी थी। राक्षस की सांस तेज अंधड़ की तरह चल रही थी। वह बल्लू को अपने होंठों के नजदीक ले गया। बल्लू पूरे वेग से उछला और राक्षस के नाक में जा घुसा। बल्लू ने राक्षस की नाक का एक बाल ऐसे पकड़ा जैसे किसी पेड़ की डाल पर लटक गया हो।

राक्षस अपनी हथेलियों को उलट-पुलट कर देखने लगा। उसकी समझ में ही नहीं आया कि आखिर बल्लू कहां गया। राक्षस बड़बड़ाया-”रे बालक। मायावी शक्ति से तू कहां छिप गया। सामने आ। चल आ तूझे छोड़ दूंगा।” बल्लू उछलकर उसके अंगूठे पर कूद गया। बोला-”आओ। तुम्हें मीठा पानी पिलाता हूं।” राक्षस ने कहा-”चल। कहां है मीठा पानी?” बल्लू उसके कांधे पर जा बैठा। बल्लू उसे एक कुंए में ले गया। राक्षस बोला-”ये कुआं तो छोटा है। इसमें तो मेरी एक अंगुली भी नहीं जाएगी।”

बल्लू ने कहा-”आप मक्खी बन जाओ, फिर मैं तुम्हें अपनी मुट्टी में लेकर कुएं में कूद पड़ूंगा। बस। फिर मीठा जल पी लेना। और क्या?” राक्षस तैयार हो गया। वह झट से मक्खी बन गया और बल्लू की मुट्ठी में जा बैठा। बल्लू ने आव न देखा ताव और मक्खी को पल भर में ही मसल दिया।

राजा ने वायदा निभाया। आदेश दिया-”बल्लू के राजतिलक की तैयारी करो।” राज्य में खुशी का माहौल था।