बहरुपिया / सुरेश सौरभ
Gadya Kosh से
कुछ हिजड़े एक औरतनुमा आदमी को भदाभद-भदाभद पीट रहे थे। वह चीख-चिल्ला रहा था। तमाम लोग उन्हें घेरकर खाली तमाशा देख रहे थे। मैंने पास जाकर जानकारी की तो मालूम पड़ा हिजड़े के भेष में कोई आदमी ट्रेन में अवैध वसूली कर रहा था, जिसकी सूचना उस इलाके के हिजड़ो को होते ही सारे हिजड़े इकट्ठे होकर उस बहरुपिए को सबक सिखा रहे थे।
आदमी हिजड़ा बन रहा है और हिजड़ो को कोई आदमी बनने नहीं देता, यह सवाल अब मेरे मन को मथ रहा था।