बाकी जो बचा था, महंगाई मार गई / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 18 अप्रैल 2021
महंगाई सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती जा रही है। इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाया जाना। मालगाड़ी का किराया भी बढ़ा दिया गया है। चुनाव प्रचार के खर्चे और उन्हें नियोजित करने में लगी ऊर्जा, पवित्र स्थानों में चढ़ावा। तमाशा क्रिकेट में बिजली का खर्च। खेल मैदानों की हरियाली बनाए रखने में पानी का अपव्यय इत्यादि महामारी के चलते निरस्त किए जा सकते थे। शस्त्र की खरीदी पर रोक लगाई जा सकती थी क्योंकि युद्ध बाजार में हो रहा है। सरकारी अनाज की दुकानों का सामान काला बाजार में बेचा जाता है। कतार में खड़े गरीबों को बताया जाता है कि सामान नहीं है। कहीं एक जगह से लीकेज हो तो रोका जा सकता है परंतु व्यवस्था छलनी की तरह हो चुकी है। हर दफ्तर में अधिकारियों की संख्या लिपिकों से अधिक है। हर रुपए का अधिकांश हिस्सा सेना और व्यवस्था को चलाने में खर्च हो रहा है।
पटकथा लिखने के बाद फिल्म बजट में लागत का 10% आरक्षित रखा जाता है ताकि किसी भी कारण शूटिंग कार्यक्रम में फेरबदल होता है या काला बाजार बीमार पड़ जाता है तो आरक्षित रकम से खर्च किया जा सके। यह सामान्य नियम भंग किया जा चुका है। सितारों का मेहनताना बजट का 30% और 70% फिल्म निर्माण पर खर्च किया जाएगा। वर्तमान में फिल्म निर्माण के लिए 30% रकम भी खर्च की जाती है। सितारे 70% ले लेते हैं। गुजरे दौर में बच्चे अपने जेब खर्च से बचे सिक्के गुल्लक में डालते थे। आवश्यकता पड़ने पर गुल्लक तोड़ कर रकम निकाली जाती है। मनोज कुमार की फिल्म ‘रोटी कपड़ा और मकान’ में एक गीत है- ‘एक तो हमें आंख की लड़ाई मार गई...दूसरी तो यार की जुदाई मार गई... तीसरी हमेशा की तरह ही तन्हाई मार गई... चौथी खुदा से खुदाई मार गई... बाकी कुछ बचा तो महंगाई मार गई।’ यह वर्मा मलिक द्वारा लिखा गया गीत है।
सन् 1929 में जर्मनी में महंगाई का बढ़ना प्रारंभ हुआ। रेस्त्रां के बाहर कॉफी के नाम लिखे होते थे और यह भी सूचित किया जाता था कि कॉफी पीते समय दाम बढ़ सकते हैं। महंगाई की कोख से तानाशाह हिटलर का उदय हुआ। उसने बंदूक और बारूद के अनेक कारखाने बनाए। बेरोजगारी हटते ही महंगाई पर लगाम लगा दी। प्रथम विश्व युद्ध के बाद मित्र देशों ने जर्मनी में बना माल नहीं खरीदा। हिटलर युद्ध प्रारंभ करने का अवसर खोज रहा था। जर्मनी को सर्वोत्तम देश मानकर छद्म राष्ट्रवाद का उन्माद जगाया गया। यहूदियों को मारा जाने लगा। पांच वर्ष तक चले विश्व युद्ध में अनगिनत लोग मारे गए। हिटलर ने आत्महत्या कर ली।
महंगाई का अंधड़ युद्ध के लिए जमीन बना देता है। दरअसल सारे युद्ध अकारण होते हैं। महंगाई का एक कारण यह भी है कि उत्पादक अपने प्रोडक्ट के विज्ञापन पर बहुत अधिक खर्च कर देता है। इसको वह लागत में जोड़ देता है। पहले मुट्ठी भर धन से थैला भर समान आ जाता था। अब थैला भर धन से मुट्ठी भर सामान खरीदा जा सकता है। अपराध भी महंगाई के कारण बढ़ जाते हैं। जेब कतरने वालों को बटुए में कम पैसे मिलते हैं। कबाड़ी की दुकान पर चमड़े का बना हुआ पर्स अच्छे दाम में बिक जाता है। कुछ लोग अपना ही पर्स कबाड़ी से कई बार खरीदते हैं। चोर बाजार में रौनक आ जाती है।
अनाज ढोने के लिए बोरों का इस्तेमाल होता है। खाली बोरे भी बेचे जाते हैं। बोरे बदलते हैं पर उन्हें ढोने वालों की पीठ वही रहती है। कमरतोड़ महंगाई से त्रस्त आदमी झुककर चलने का आदी हो जाता है। निजाम को झुके हुए लोग बहुत पसंद हैं। रीढ़हीन समाज की संरचना जारी है। शादी-ब्याह की लगन अब 71 दिन तक चलेगी। शादी में फिजूलखर्ची से महंगाई बढ़ेगी। ‘बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना, मुश्किल है इस मनमौजी को समझाना’
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