बाजार से गुजरा हूं परंतु खरीदार नहीं / जयप्रकाश चौकसे

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बाजार से गुजरा हूं परंतु खरीदार नहीं

प्रकाशन तिथि : 07 अप्रैल 2009


शाहरूख खान का कहना है कि उन्‍होनें नाईट राईडर्स की टीम खरीदी है और उनका पूरा हक है कि वे एक से अधिक कप्‍तान का प्रयोग करें और अगर सुनील गावस्‍कर चाहें तो वे भी अपनी टीम खरीदें और अपने ढंग से चलाएं। इतना कहकर उन्‍होनें यह भी कहा है कि वे गावस्‍कर का सम्‍मान करते हैं। लेकिन सम्‍मान करते हुए लताडना कायरना शैली है। आज के बाजारू दौर में सफल नाचने गाने वाला भारत के महानतम बल्‍लेबाज को क्रिकेट सिखने का अधिकार रखता है। विश्‍व के सबसे अमीर खेल संगठन भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने अपने खिलाडियों की गुलामों की तर्ज पर नीलामी करके अमीर लोगों को निष्‍णात खिलाडियों का मखौल बनाने का अवसर दिया है। इस क्रिकेट सर्कस के रिंग मास्‍टर ललित मोदी पर राजस्‍थान में मुकदमा कायम है। शराब के सबसे बडे व्‍यापारी विजय माल्‍या भी एक टीम के मालिक हैं और उनकी कंपनी से शराब खरीदने वाला स्‍वयं को भी टीम का अंशधारी मानता है।

विनम्रता कभी भी शाहरूख के व्‍यवहार का हिस्‍सा नहीं रही। ‘आई एम दि बेस्‍ट’ उनका तकिया कलाम रहा है। प्रतिभा और लोकप्रियता कभी समान प्रमाण में नहीं रहते। कम प्रतिभा भी सामाजिक हालात के कारण भारी लोकप्रियता दिला सकती है। कुछ प्रतिभाशाली लोगों को दुनियादारी के अभाव में लगभग अनदेखा ही माना गया, जबकि वे लाजवाब कलाकार थे। हर दौर में लो‍कप्रियता के मानदंड बदलते हैं और अवाम का फोकस भी बदलता है। फिल्‍मों में आने के पहले ही साहिर लुधियानवी किसी सितारे से कम लो‍कप्रिय नहीं थे। एक दौर में चुनाव आयुक्‍त टीएन शेषन अपने समकालीन तमाम नेताओं से अधिक लोकप्रिय थे। शाहरूख खान को नहीं मालूम कि एक दौर में डाकू मानसिंह भी बहुत लोकप्रिय थे और पूरे चंबल के मालिक थे परंतु उनहोनें विनोबा भावे से कभी यह नहीं कहा कि चंबल का कम से कम एक बीहड खरीदो तब मुझसे बात करना। लोकप्रियता बहुत कुछ देती है परंतु सारी दुनिया पर मालिकाना हक नहीं दिलाती। चह विचारणीय है कि क्‍या खरीदने मात्र से किसी चीज का मालिकाना अधिकार मिल जाता है, बेचने वाला मात्र अपनी मजबूरी बेचता है। आत्‍मा और स्‍वतंत्र विचार बिकाउ नहीं होते।

अपार लोकप्रियता केवल प्रतिभा से नही मिलती। कुछ हालात ऐसे बनते हैं जो आपको अवाम की आंखों का तारा बना देते हैं। आज वरूण गांधी को भी बहुत से लोग जानते हैं परंतु यह उसकी प्रतिभा नहीं है वरन समाज की भीतरी सतह में प्रवाहित अंधी नफरत की लहर है। गूंगी फिल्‍मों के दौर में मास्‍टर विटठल इतने लोकप्रिय थे कि रनजीत स्‍टूडियो से अनुबंध के बावजूद उन्‍हें आर्देशिर ईरानी ने अपनी सवाक आलमआरा में लिया। रनजीत स्‍टूडियो ने मुकदमा दाखिल किया और पाकिस्‍तान के जनक मोहम्‍मद अली जिन्‍ना ने मास्‍टर विटठल की तरफ से मुकदमा लडा और इस आधार पर जीता कि व्‍यक्तिगत प्रतिभा पर इस तरह का अनुबंध नाजायज है कि उसे कोई कंपनी बांध सके। जब मास्‍टर विटठल को संवाद कहने में कठिनाई हुई तो उनकी भूमिका का स्‍वरूप बदल दिया गया। गूंगी फिल्‍मों के बादशाह मास्‍टर विटठल सवाक फिल्‍मों में जूनियर कलाकार हो गए। शाहरूख साहब यहां सब पल दो पल के शायर हैं।