बारात में नागिन डांस और ट्रैफिक जाम / जयप्रकाश चौकसे

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बारात में नागिन डांस और ट्रैफिक जाम
प्रकाशन तिथि : 15 नवम्बर 2019


प्रायः दूल्हे की बारात में उसके मित्र नागिन डांस करते हैं। सड़क पर लेटकर चकरघिन्नी लगाते हैं। अन्य मित्र रूमाल को बीन की तरह बजाने का स्वांग रचाते हैं। बैंड बजाने वाले भी जोश में आ जाते हैं।

दूल्हे के पिता नागिन डांस करने वाले पर पैसे न्योछावर करके लुटाते हैं। सड़क पर ट्रैफिक थम जाता है। इस खेल में यह तथ्य नजरअंदाज किया जाता है कि सांप सुन नहीं सकता, वह केवल बीन बजाने वाले की नकल कर रहा होता है। मसाला फिल्मों के पुरोधा शशधर मुखर्जी ने यह भी स्थापित कर दिया कि सांप दूध पीता है, जबकि वह कीड़े मकौड़े खाने वाला नॉन वेजिटेरियन प्राणी है। नाग पंचमी के दिन हजारों लीटर दूध बहाया जाता है, जबकि कुपोषण से अनगिनत बच्चे बीमार पड़ जाते हैं। आमिर खान अभिनीत राजकुमार हिरानी की फिल्म 'पीके' में दूध के अपव्यय का दृश्य है।

महात्मा गांधी और मदन मोहन मालवीय जैसे नेताओं ने शादी-ब्याह में सादगी का संदेश दिया था। समाज धीरे-धीरे सुधर भी रहा था, परंतु सूरज बड़जात्या की फिल्म 'हम आपके हैं कौन' ने शादी को पांच दिवसीय उत्सव में बदल दिया और सादगी भरी शादी का संदेश प्रभावहीन कर दिया। इसके लिए सूरज बड़जात्या अकेले जिम्मेदार नहीं हैं। भारत में काले धन को खर्च करने के लिए शादी से बेहतर अवसर कहां मिल सकता था? धार्मिक स्थानों पर भी कोई व्यक्ति चेक द्वारा धन नहीं देता। पूजा और प्रार्थना कैशलेस नहीं बन पाए। धार्मिक स्थानों पर एक लाख से एक करोड़ रुपए तक का चढ़ावा प्रतिदिन आता है।

बारात में प्राय: बैंड वाले 'नया दौर' का गीत बजाते हैं- 'ये देश है वीर जवानों का, अलबेलों का मस्तानों का, इस देश का यारों क्या कहना।' बारात में वीर रस का गीत अत्यंत लोकप्रिय है। शादी की यह रस्म कमोबेश युद्ध पर जाती सेना के समान है। दूल्हा कमर में तलवार या कटार बांधे घोड़े पर सवार होता है। शादी में घोड़ा देने वाले घोड़े को चने की दाल खिलाते हैं, ताकि दूल्हे के बैठते ही वह उदर से हवा निष्कासित करे। इससे यह अभिव्यक्त किया जाता है कि दूल्हा कितना बलशाली है। दूल्हा, दुल्हन के घर के तोरण पर लटके नारियल को अपनी तलवार से तोड़ देता है। क्या वह दुल्हन पक्ष के गर्व को चकनाचूर कर रहा है?

राजकुमार संतोषी की फिल्म 'लज्जा' में शादी के दृश्य में एक बिना बुलाया मेहमान आ जाता है। वह अपने साथी से कहता है कि यह आसानी से पहचाना जा सकता है कि दुल्हन का पिता कौन है, क्योंकि वह हर व्यक्ति से क्षमा-याचना करता नजर आता है। वहीं, दूल्हे का पिता अपनी गर्दन की अकड़ से पहचाना जा सकता है। बाराती की अकड़ और घराती की झुकी गर्दन सबकुछ अभिव्यक्त कर देती है। फिल्मकार राजेंद्र भाटिया अपनी फिल्मों की असफलता के दौर में पूंजी निवेशक जी.एन. शाह की सहायता से अपनी बेटी की शादी कर पा रहे थे। स्वागत समारोह में उन्होंने पगड़ी नहीं बांधी थी। कारण पूछने पर उन्होंने बताया कि, न जाने कौन महाजन उनकी पगड़ी उछाल दे। उनके पास हास्य का अद्भुत माद्दा था। शादी समारोह ने नए व्यवसाय को जन्म दिया है। इस विषय पर आदित्य चोपड़ा ने 'बैंड, बाजा और बारात' नामक मनोरंजन फिल्म बनाई थी। इसी फिल्म से रणवीर सिंह ने अभिनय क्षेत्र में प्रवेश किया था। शादी के निमंत्रण पत्र भी कई पृष्ठ होते हैं और उन पर भी खूब खर्च किया जाता है। निमंत्रण पत्र के साथ मिठाइयां, सूखे मेवे भी भेजे जाते हैं। निमंत्रण पत्र परिवार के परिचय पत्र की तरह इस्तेमाल किया जाता है। शादी के लिए बनाया लहंगा और शेरवानी बस एक दिन ही पहने जाते हैं। वे इतने आडंबरमय होते हैं कि सामान्य जीवन में नहीं पहने जा सकते। मेहमान प्राय: भोजन की प्लेट में आवश्यकता से अधिक व्यंजन भर लेते हैं। प्लेट में रखा व्यंजन पूरी तरह खाया नहीं जाता और अन्न का अपव्यय होता है। 'थ्री ईडियट्स' में इस विषय पर मजेदार दृश्य रचा गया है। आनंद एल राय की फिल्म 'तनु वेड्स मनु' भी शादी केंद्रित मनोरंजक फिल्म है। बड़जात्या फिल्म निर्माण कंपनी तो 'हम आपके हैं कौन' के बाद अनेक विवाह केंद्रित फिल्में बना चुकी है। यहां तक कि वे 'एक विवाह ऐसा भी' बना चुके हैं। बड़जात्या परिवार में 29 नवंबर को विवाह होने जा रहा है और सुखद आश्चर्य है कि इसका निमंत्रण पत्र सादगी की मिसाल है। सन् 1922 में वैश्विक मंदी के दौर ने दस्तक दी थी। एक फिल्म में दृश्य था कि सड़क पर जाती बारात और उसमें नागिन नृत्य के कारण एक बीमार को समय रहते अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका। क्या यह संभव है कि शहर से दूर एक स्थान को शादी-ब्याह के लिए तय कर दिया जाए? किसी दौर में घर में एक कोप कक्ष होता था, जहां नाराज सदस्य अपनी कुढ़न को एकांत में जी सकता था। इसी तर्ज पर बारात के लिए शहर से दूर जगह तय कर दें। शादीप्रधान समाज में यह संभव नहीं है।