बाल नवल, लाल नवल, दीपक में ज्वाल नवल / जयप्रकाश चौकसे

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बाल नवल, लाल नवल, दीपक में ज्वाल नवल
प्रकाशन तिथि : 13 जुलाई 2020


एक फिल्म में उम्रदराज व्यक्ति अपराध जगत से जुड़ जाता है। दल में रहकर उसका विश्वास जीतकर, उनकी कमजोरियां जान लेता है। वक्त पर दल के सारे सदस्यों को आपस में लड़वा देता है। अपने पर शंका करने वालों को वह खुद मार देता है। इसी दल ने उसके परिवार को हानि पहुंचाई थी, जिससे उसकी पत्नी उससे नाराज होकर अलग रह रही थी। दल के सफाए के बाद वह अपनी पत्नी से कहता है कि अब वह बुड्ढा हो गया है। पत्नी हंस कर कहती है कि बुड्ढा होगा तेरा बाप। यही इस कम प्रचारित अमिताभ बच्चन, हेमा मालिनी अभिनीत फिल्म का नाम भी है।

अपनी 51 वर्ष की अभिनय यात्रा में अमिताभ ने आक्रोश की छवि वाले नायक से लेकर उम्रदराज प्रेमी तथा साधनहीन को न्याय दिलाने वाले वकील तक की भूमिकाएं निभाई है । बस एक कसर यह रही कि उन्होंने पिता हरिवंश राय बच्चन की बायोपिक नहीं की व प्रयास करने वालों को भी मना कर दिया। हरिवंश राय ने अपनी आत्मकथा ईमानदारी व साहस से लिखी है। किशोरावस्था में कर्कल प्रकरण लिखने के लिए शेर का कलेजा लगता है। वे नहीं चाहते कि कुछ व्यक्तिगत बातें सरेआम हों। गोपनीयता सबका अधिकार है। अमिताभ को कई बीमारियां हैं। युवावस्था में पीठ से वजनी गठान निकाली गई, जिस कारण उनके कोट में एक पैड लगाना होता है, ‘कुली’ में वे घायल हुए थे व मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में लंबा इलाज चला। संभवत: पहली बार किसी घायल अभिनेता का हाल जानने देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी गईं, क्योंकि गांधी-नेहरू व बच्चन परिवार इलाहाबाद में पड़ोसी रहे। नेहरू ने हरिवंश राय को इंग्लैंड से शोध में सहायता भी की थी। राजीव गांधी व सोनिया के विवाह का प्रबंध तेजी बच्चन ने किया था। राजीव की प्रेरणा से अमिताभ ने इलाहाबाद संसद के लिए चुनाव लड़ा था। इन्हीं संबंधों से अमिताभ पर बोफोर्स कांड में शामिल होने का आरोप लगा, परंतु इंग्लैंड कोर्ट ने उन्हें निरपराध माना। इस पर जॉन अब्राहम अभिनीत ‘मद्रास कैफे’ फिल्म बनी है।

अमिताभ को मायस्थेनिया ग्रेविस नामक रोग भी हुआ है व इस लाइलाज रोग के उपचार का अविष्कार हुआ। फिल्म ‘कसमे वादे’ की श्रीनगर में शूटिंग के समय अमिताभ-रणधीर कपूर शराब नोशी में ऐसे डूबे थे कि उन्हें होटल में आग का पता ही नहीं चला। फिर समय रहते वे सुरक्षित जगह पहुंचे। अमिताभ को पीलिया भी हुआ था फिर उन्होंने शराब से तौबा की। अनुशासन और दृढ़ इच्छाशक्ति ने उन्हें बचाए रखा। आर बाल्की ने अमिताभ व तबु अभिनीत ‘चीनी कम’ बनाई। फिर ‘शमिताभ’ नामक फिल्म भी बनाई व अमिताभ से हमेशा अभिभूत रहे। गुणों के कारण अमिताभ, फिल्मकार का जुनून बनते हैं। शूजित सरकार ने अमिताभ के साथ ‘पीकू’, ‘पिंक’, ‘गुलाबो-सिताबो’ बनाई। अमिताभ को कई भाषाओं का ज्ञान, शुद्ध उच्चारण व आवाज पर पूरा नियंत्रण है। आश्चर्य है कि किसी दौर में आकाशवाणी में इसी आवाज में कमी बताकर उन्हें नौकरी नहीं दी गई थी। संवाद अदायगी में खामोशी से प्रभाव लाना वे जानते हैं। अरसे पहले एक लांग-प्ले रिकॉर्ड ‘बच्चन रिसाइट्स बच्चन’ में हरिवंश जी की रचनाओं का उन्होंने पाठ किया था। उनके लिए फिल्मों में गीत लिखे गए, जिनमें संवाद शैली का अंश रहा।

खबर है कि अमिताभ को कोरोना हुआ है। अब लोहे से लोहा टकराया है व कोरोना की पराजय के लिए प्रार्थनाएं हो रही है। माथा देख तिलक लगाने की परंपरा वाले देश में ऐसा होता रहा है। कोरोना वायरस समाजवादी स्वभाव का है व अमीर-गरीब में अंतर नहीं करता। जिस अस्पताल में अमिताभ का इलाज हो रहा है, उसके गलियारों में एक आंकी-बांकी आकृति दिखाई दे सकती है, जो बुर्का धारण किए है। कुछ महिलाओं के नसीब में सिंदूर होता है, कुछ के नसीब में लिपस्टिक होती है।