बिट्टू का अंगरेजिया इस्कूल / सौरभ कुमार वाचस्पति
जाड़ा के धुप में अंगना में कुर्सी लगा कर के चाय का चुस्की लेने में बहुत मजा आता है। रविवार था सो हम भी नरम नरम धुप का मजा ले रहे थे। मन किया की चाय पिया जाए सो श्रीमती जी को आवाज लगाए की चाय बना दीजिए। श्रीमती जी गरमागरम चाय थमा दी। पर देखे की गाल कुछ बेसिए लाल हो रहा है श्रीमती जी का तो हम भी एकदम रोमांटिक मूड बना करके पूछ बैठे -" का जी , एकदम गुलाबजामुन जैसन हो रही हैं मायके से फोन उन आया था का? "
श्रीमती जी तुनक गई -" देखिए जी भोरे भोरे हमर माथा मत गरम करिए हमको इहाँ गुस्सा आ रहा है और आपको मजाक सूझ रहा है।"
हम समझ गए की हमरी मैडम कल जरूर मिसिर जी की पत्नी के पास गई होंगी। अब का बताएं भैया इ मिसिर जी पत्नी भी न कमाल करती हैं। दिनभर भर गपियाती रहती हैं और गप्पो अइसन-अइसन की का बताए राम रामराम। चलिए मानते हैं की मिसिर जी बहुत कमाते हैं तs आपका बच्चा अंगरेजिया इस्कूल में पढता है कम से कम दूसरा आदमी के जेब का ख़याल भी तो कीजिए। कई बार हमरी मैडम को कनफुसकी कर चुकी हैं की बेटा तीन साल का हो गया अब तो इसको स्कूल भेजिए। और उसके बाद हमरी मैडम भी बिट्टू (हमारा बेटा) को स्कूल भेजने के लिए परेशान हो गई। जब तब हमको इसके लिए टोकने लगी। हम समझ गए की आज फिर वैसा ही कुछ हुआ है। बोले -" का हुआ इतना गरम काहे हो रही हैं कुछ बताइए तो सही।”
"होगा का हमरा करम फूट गया था जो आपसे बियाह हुआ सीतामढ़ी वला लड़का केतना कमाता था। सिभिल इंजिनीअर था। सरकारी नौकरी आ उपरका आमदनी सेहो अलग से। और आप दिन भर कम्पूटर पर खुटुर-खुटुर करते रहते हैं उप्पर से परायभीट नौकरी। मिसिर जी का बेटा के जी में पढता है लेकिन देखिए एकदम पटर-पटर अंगरेजी बोलता है चाइरे बरस का तs है लेकिन आपका बेटा का तरह माँ आ बाबूजी नहीं कहता है उ का कहते है अंगरेजी में हाँ "मोम आ डैड कहता है। मिसिर जी की पत्नी बता रही थी की उनके खानदान में कोय इतना बढ़िया अंगरेजी नै बोलता है मगर आपको के समझाएगा।"
हमको बुझा गया की आज अगर हम प्रतिवाद किए तs इतना सुन्दर कनिया (?) से हाथ धो बैठेंगे सो कहे -"देखिए आप जो कह रही हैं उ ठीक है लेकिन अभी बिट्टू तs दुइए साल का है दू तीन महिना बेसी होगा। अभी तs ठीक से बोलियों नहीं पाता है तs इसकूल में बेफालतू का काहे डाल दें। और वैसे भी हमी को देखिए पांच साल के उमिर तक खूब धमगिज्जर मचाए छठवां साल में बाबूजी हमको पढाना शुरू किए थे उ भी अपने से। अभी बच्चा है पढना तs जिनगी भर है अभी कुछ दिन तs खेल कूद लेने दीजिए।
श्रीमती जी हमरा इ जवाब सुन कर के और तुनक गई -" तs भर जिनगी गोदी में लेकर के बैठल रहिएगा आप ही अभी तनी कांच-कुम्मर है तs जल्दी सीख लेगा नमहर हो जाएगा तs सिखाते रहिएगा । इ बार हम कुच्छो नहीं सुनेंगे । हम इ फारम ले आए हैं इस्कूल से अरे उहीं से जहाँ मिसिर जी का लड़का पढता है दू हजार का फारम है इसको भर दीजिए आ टेस्ट का तैयारी कर लीजिए तीनो लोगों का टेस्ट होगा। फीस पंद्रह सौ रूपया महिना आ एड्मिसन फीस दस हज़ार रुपैया का जोगाड़ कर लीजिए लास्ट डेट पचीस तारीख है।"
इतना सुनते हमको लगा जैसे बोखार आ गया “दू हज़ार+ पंद्रह सौ + दस हजार = साढ़े तेरह हजार रुपैया ??????”
"अरे श्रीमती जी इतना रुपैया में तs हम इंटर तक पढाई किए थे। “
"हमको पता था आप इहे कहिएगा तभी तs ऐसा पढ़ाई का हाल देख रहे हैं परायभीट नौकरी में अपना करम कूट रहे हैं लेकिन एक ठो बात साफ़ साफ़ सुन लीजिए हमरा बिट्टू सरकारी स्कूल में नै पढ़ेगा हं।"
"श्रीमती जी अपना आखिरी फैसला सुना दी। लेकिन आपलोग त जानबे करते है बतहुत्थन में हमहूँ कम नै हैं सो सोचे की एक ठो लास्ट गोली चला के देखिए लेते हैं कहीं बात बन गया त सो अपना चेहरा पर "मो सम कौन कुटिल खल कामी" वाला एक्सपरेसन पैदा किए और अपना आखिरी गोली दाग दिए श्रीमती जी के तरफ।
"चलिए ठीक है हम मान लेते हैं आपका बात बिट्टू का नाम हम इङ्ग्लिसिए स्कूल में लिखवा देंगे बाकि एक ठो बात बताइए हमको की जब तब आप हमको उलहन -उपराग देते रहती हैं की परायभीट नौकरी- परायभीट नौकरी सरकारी नौकरी - सरकारी नौकरी जब सरकारी नौकरी इतना बढ़िया है त बच्चा को सरकारी स्कूल में भेजने में कौन सा बुराई है । ऐसा नहीं है की सरकारी स्कूल में पढाई एकदम होब्बे नै करता है । एक से एक आदमी सब त सरकारीए स्कूल से पढ़ के एतना महान बना है ।"
हम अभी और कुछ बताने जा रहे थे की श्रीमती जी बिच्चे में हमको टोक दीं-"बस बस हो गया आपका राम कहानी अब फेर से नाम मत गिनाने लगिएगा की फलां - फलां आदमी सरकारी स्कूल में पढ़ के महान बना हमहूँ जानते हैं नै बेसी तs तैनको तs जानबे करते हैं इ बेर आपका चालाकी नै चलेगा जा के चुपचाप टेस्ट का तैयारी करिए अगर आपके चलते बिट्टू का नाम अंग्रेजी स्कूल में नहीं लिखाया चाहे आप टेस्ट में फेल हो गए तs बूझ रखिएगा।"
और बस हमको तs इहे बात से डर लगता है श्रीमती जी धमकीए अइसन देती हैं की हम चारो खाने चित्त हो जाते हैं। हमरा सब पैंतरा पर बाल्टी भर पानी उझल देतीं हैं। समझ गए की इ महिना का सैलरी बिट्टू के नाम लिखाई में जाएगा लेकिन इ बच्चा के साथ साथ बच्चा का माँ- बाप का कौन सा टेस्ट होगा इ बात हमरे समझदानी में घुसा नहीं लेकिन इसको समझने का भी उपाय था हमरे पास। अपने राम खेलावन चच्चा (भूल गए की याद है) "बजरंगी बाबा" से एकदम "डायरेक्ट टच" में रहते हैं अब उनके सिवा ऐसा कोई नहीं था जो हम जैसे दुखिया इंसान का नैया पार लगाए । सो इत्मीनान से चल पड़े चच्चा के दरबज्जे के तरफ।
चच्चा के दरबज्जे पर पूरा जमघट लगा हुआ था। बच्चन पाण्डेय भैया चच्चा परबतिया काकी उनका बेटा कमलेसर चच्चा का पोता रमधनिया (इ रमधनिया बड़ा इसपेसल करेक्टर का बच्चा है एगारह साल का है बाकि पाकिट में चाइना मोबाइल आ पान पराग रखता है बजरंगी बाबा इसके कारन बहुत मुसीबत झेल चुके हैं कभी फुर्सत में इसके बारे में बताएंगे। ) चच्चा दूरे से हमको आते देख लिए थे सो चट रमधनिया को बोले की छोटका (हमरे गाँव-जवार के लोग हमको छोटके के नाम से बुलाते हैं) के लिए एक ठो कुर्सी ले आओ।
हम चच्चा के पास बैठ गए और पूछे " का हुआ चच्चा आप तs एकदम पूरा मिटींग कर रहे थे कोनो खास बात है का?"
चच्चा मुस्कियाते हुए बोले -" बेटा अइसन कोनो खास बात नै है बस इ तनी रमधनिया का बात चल रहा था।"
"का हुआ रमधनिया को? "
"अरे बेटा इसको थोड़े कुछ होगा इ साढ़SS तs जनमते टाइम संजीवनी पी लिया था। लेकिन एकरा कारन केतना लोग का जिनगी बर्बाद होगा उसका तs भगवाने मालिक है।"
"का हुआ चच्चा इ बार इ कौन सा मुसीबत खड़ा कर दिया ?"
"तुमको तs पते है छोटका की गाँव भर में एक्के जगह सरसती माय का पूजा होता गाँव भर से चंदा उठा कर के बच्चा -बुतरू लोग भगबत्ती थान में मूर्ति स्थापित करते हैं संजोग से इ बार सब बच्चा लोग रमधनिया को चंदा जमा करके रखने का काम दे दिए जेतना चंदा जमा हुआ सब एकरे पास था आ इ साला उसमे से आधा पैसा बचा कर के तीन दिन तक खूब ताड़ी पिया है जब बच्चा लोग को पता चला तs उ बच्चनवा के पास शिकायत कर दिए उही बात का चर्चा चल रहा था। "
"चच्चा जैसा ई रमधनिया का चाल चलन है बुझाता है की ई आपको भी पीछे छोड़ देगा।"
चच्चा फिर मुस्किया दिए -"रहे दो छोटका ई बताओ आज चच्चा का याद कैसे आ गया? "
"अब चच्चा का बताएं एकदम से मुसीबत हो गया है मैडम जी कह रही हैं बिटुआ का नाम अंग्रेजी स्कूल में लिखाने के लिए आप तs जानबे करते हैं चच्चा हम इतना नै कमाते हैं की बेटा को अंग्रेजी स्कूल में पढ़ा सके लेकिन तभियो सोच रहे हैं की नाम लिखाइए दें और सबसे बड़का बात ई की साला हमको ई समझ में नहीं आया की नाम हम बिटुआ का लिखाने जा रहे हैं तs इसमें हम्मर कोन सा टेस्ट लेंगे ई स्कूल वाले ।"
"दुर्र बुडबक पगलाय गए हो का? अंग्रेजी स्कूल में नाम बुझाता है कोनो भूत-उत धर लिया है कनिया को अंगरेजिया भूत ई साढ़ सब अंगरेजिया स्कूल वाले मुरुख बनाते हैं।"
"ई बात तs हम खूब बूझ रहे हैं चच्चा बाकि हमरी मैडम को के समझाएगा उनको तs समझा-समझा के हमहीं पगला गए हैं लेकिन चच्चा इहे बहाने कम कम से कम आप हमको ई अंगरेजिया इस्कूल का ताम-झाम का बारे में समझा दीजिएजब से सुने हैं की हमको भी टेस्ट देना पड़ेगा हमर मगज एकदम गरमाया हुआ है । ई बुढौती में हम कौन सा टेस्ट देवे जाएंगे चाचा। "
"बेटा एतने में घबडा गए तीसो साल के नहीं हुए आ बुढौती आ गया अभी तs कुच्छो नहीं हुआ है खाली नाम लिखा जाए दो फिर देखो ई लोग कइसा कइसा खेल तमाशा देखाता है तुमको दूह नहीं लिया तs फेर कहना की चच्चा झूट्ठे कह रहे थे। "
"तs का करें चच्चा बताइए हमको ।"
"अरे छोटका काहे ई अंगरेजिया इस्कूल का धुरखेली में पड़ते हो इ लोग तs इस्कूल खोलते हैं ताकि हम-तुम जैसा लोग बच्चा लोगन को बढ़िया पढाई-लिखाई के नाम पर इ लोग का जाल में फंस जाएं इ लोग जैसा पढ़ाते हैं उस से तs बढ़िया हम पंचमा पास हैं तैयो पढ़ा सकते हैं एक बेर अगर इनका जाल में तुम फंस गए तs जिनगी भर निकल नहीं पाओगे बच्चा पटर-पटर अंग्रेजी त ज़रूर बोलेगा लेकिन अपना संस्कार-अपना नात -गोत , अपन धरम -करम सब भुला जाएगा जानते हो छोटका बच्चनवाँ का बड़का लड़का सेहो अंगरेजीए इस्कूल में पढता था। एक दिन हम इसके घर गए और पूछे की बेटा तुम्हरे बाबूजी कहाँ हैं तs मुह बाबने खड़ा रह गया हम बूझ गए की इ अंगरेजिया इस्कूल में पढता है। एक से एक पहुंचल पीस रहते हैं ऐसन इस्कूल में। ऊपर से बच्चा का होम वर्क करवाने के लिए टियुसन मास्टर का खरचा अलग से। इ लोग देते है प्रोजेक्ट बनाने के लिए इ बच्चन बताता है की सब्भे प्रोजेक्ट बाज़ार में मिलता है दुगुन्ना दाम पर। किताब सब एकदम हाई-फ़ाय दाम देखोगे त करेज कट के बाहर आ जाएगा। दू सौ रुपैया से कम का त कोनो किताब मिलबे नहीं करेगा। और सब दोकनदार से इ लोग का कमीशन फिक्स होता है। इ साढ़ सब हमलोग को उलटे छुरे से मूड़ते हैं आ हमलोग हँसते -हँसते मुडाने जाते हैं ।"
"उ त ठीक है चच्चा बाकी का करें श्रीमती जी तs एकदम गोसाई हुई हैं कोनो जंतर -मंतर बता दीजिए चच्चा की इ अंगरेजिया भूत से छुटकारा मिल जाए। "
"एकर कोनो जंतर-मंतर नै है छोटका जिसको धर लिया उसको परलोके ले के जाएगा। "
"बचने का कोनो उपाय नै है चच्चा? "
"होता तs का हम अपना भगेरना को अंगरेजिया इस्कूल में नाम लिखाते अरे इहे रमधनिया का बड़का भाय इ भूत हमरी पुतहुओ को धरा था बेटा आजतक भुगत रहे हैं। तभिए से कान पकड़ लिए हैं की इ साढ़ रमधनिया भले कुकरमी निकल जाए एकर नाम कभियो अंगरेजिया इस्कूल में नै लिखाएंगे। "
"ठीक है चच्चा तs हम चलते हैं अब तs भगवाने मालिक है सोच रहे थे इ साल पुरनका फटफटिया बेच के नया हीरो होंडा ले लें लेकिन बुझाता है हमर मलकिनी ऐसा होने नहीं देंगी।"