बियालिस घंटा रोॅ अंधकार / धनन्जय मिश्र

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

है बियालिस घंटा रोॅ अंधकार शीर्षक पढ़ी के आपने सिनी चैंकिये नय। है ना कोय नाटक रोॅ शीर्षक छेकै आरू नै चलचित्रा रोॅ ही। है विशुद्ध रूप से एक ऐन्हो घटित कहानी रोॅ घटना चक्र छेकै जेकरोॅ सच हम्में अन्य रोॅ साथें भोगने छियै। है सच छै कि आदमी के है तीन जग्घा से बची के अलग रहैले चाहियोॅ-अस्पताल, कचहरी आरू श्मशान। मतुर हेकरोॅ मतलब है नै छेकै कि तोहें वहाँ जैवे नै करो। ज़रूरत पड़ला पर वहाँ जाॅल ही पड़ै छै नै तोॅ तोहें आपनो जीवन रोॅ कर्तव्य से पीछू छूटी जैभौ आरू तोरोॅ बदनामी ध्रुव सत्य रोॅ साथें वहाँ नै जाय रोॅ मूल्य भी तोरा चुकावै ला पड़तौं।

भोर रोॅ सैर-सपाटो रोॅ उपरान्त नास्ता रोॅ बीचोॅ में खयाल ऐलै कि हमरा पुनसिया (बाँका) डाकघरोॅ में कुछछु ज़रूरी कार्य छै, जेकरा आय निपटाय ही लेलो जाय। है लेली हम्मे सायकिल से डाकघर जाय के आपनो सभ्भे काज पूरा करी के रामावतार केशरी (पान भंडार) रोॅ पान दोकान से पान खाय के डा। विमल जी, सुरेन्द्र प्र। यादव, गंगा राव सिनी दोस्तो से भेंट होलां पर हुनका से बात करे लागलिऐ. रामावतार रोॅ पान दोकान पुनसिया में खुब्बे चर्चित छै। दोकान खुललो रहला पर हर समय वहाँ आठ-दस ग्राहक रोॅ भीड़ देखलो जाय छै। कैन्हे कि यें ग्राहक केॅ पूरा संतुष्टि दै छै। है बात नै छै कि पुनसिया में आरोॅ पान रोॅ दोकान नै छै। मतुर यहाँ जे बात छै, अन्यत्रा दुर्लभ छै। यही प्रसंग में एक पुरानोेॅ कहावत है कहै छै-

पान, पेड़ा, पानी

यहां पुनसिया रोॅ निशानी।

आवे घोॅर आवै रोॅ क्रम में चन्द्र सरोवर रोॅ नजदीक हम्में आपनो पत्नी किरण मिश्रा केेॅ आपनो मोटरसाइकिल से पुनसिया जैते देखलियै। पुछला पर है सुनलियै कि " हमरा नीतू रानी (हमरो साला नन्दु रोॅ बेटी) ने जल्दी सें डा। पी. झा रोॅ दबाय खाना पर बोलैने छै। डा। झा रोॅ दवायखाना रोॅ नाम सुनथैं ही हम्में सोचलियै कि होय सकै छै कि नीतू केॅ कुछछु स्वास्थ्य सम्बंधी परेशानी छै जेकरा लेली आपनोॅ पीसी माय के बोलैने छै।

हम्में घोॅर ऐलियै। स्नान ध्यान करी केॅ खाना रोॅ बीचै में ही 'कुन्दन ठाकुर' नाम रोॅ एक लड़का ने आवी के हमरा जे बात बतैलकै होकरा सुनी केॅ हम्में दंग रही गेलियै। बेचैनी आरोॅ घबराहट में पसीना आवै लागलै। मनो में रं-रं रोॅ शंका आरोेॅ आशंका रोॅ जन्म होय लागलै। हम्में किंकर्तव्यविमूढ होय केॅ खाना बीचै में रोकी के हाथ मुँह धोय केॅ पुनसिया जाय लेली तैयार होलियै। है समय दोपहर रोॅ ढाई बजी रहलो छेलै। हम्में वहा लड़का कुन्दन ठाकुर रोॅ साथे हड़बड़ाय के वहा मोटरसाइकिल सें पुनसिया ऐलियै। डा। पी. झा रोॅ दवाय खाना पर जाय केॅ नन्दु केेॅ देखला पर सत्यता रोॅ आभाष होलै। नन्दू सभ्भे रिश्तेदारोॅ-पत्नी, बेटी, बहिन, छोटका भाय से घिरलो बेजान, बेहाल, कमजोर दिखलाय पड़लै। सभ्भे रिश्तेदारों ने नन्दू केॅ बेबसी सें देखी रहलो छेलै। है दृश्य देखी के हम्में भावी आशंका से सिहरी गेलियै। वातावरण मौन आरो गंभीर छेलै। हमरा देखी के मौन टूटलै।

हम्में हुनको छोटका भाय 'नवल किशोर झा' (मुन्नाजी) सें है

सम्बंध में कुछछु पुछैलाॅ चाहलियै। मतुर हमरो भर्रैलो आवाज रोॅ बोल ही नै निकलैल पारलै। फेरू हम्में परिस्थिति रोॅ गंभीरता के समझी केॅ मनोॅ के मजबूत करी कें है घटना रोॅ बारे में पुछलियै। हमरोॅ आवै रोॅ पहिनैं सें ही इलाज शुरू होय गेलो छेलै आरो दोसरोॅ बोतल ग्लूकोज वाला स्लाइन चढ़ी रहलो छेलै। हम्में नन्दू सें कुछछु पुछैला चाहलियै, मतुर नन्दू रोॅ तेजहीन मुहो सें कोनो आवाज ही नै निकली रहलो छेलै। सिरिफ आँखौ ही आँखौ सें बात रोॅ है एहसास होलै कि नन्दू आवे डिप्रेशन (अवसाद) में जाय रहलो छेलै आरो खुललो आँखों सें खाली लोर ही बही रहलो छेलै। हम्में वहाँ सें हटी कें डा। साहेब से मिललियै। हुनको दवाय खाना में कत्ते सिनी रोगी के मददगारो रोॅ भीड़ जमा छेलै। पुछला पर डा। साहेब बोललै-"कि मास्टर साहेब आभीं रोगी रोॅ बारे में कोनोॅ ठोस आश्वासन नै दैलोॅ पारभौं कैन्हें कि ऐखनी रोगी रोॅ हालत बड्डी नाजुक छै। चूंकि हम्में पहिनै सें है रोगी रोॅ परिवार से परिचित रहियै, जेकरा सें हिनका डरतें-डरतें हम्में भर्ती करी कंे इलाज शुरू करी देने छियै, आवे आगु भगवान रोॅ मरजी." बातो रोेॅ क्रम में है भी जानकारी होलै कि रोगी के भरती रोॅ समय साँस तेज छेलै, नाड़ी रोॅ धड़कन धीमा रहै, ब्लड प्रेशर सामान्य सें नीचें चल्लो गेलो छेलै। हौ समय कुछ भी होल पारे छेलै, कैन्हे कि रोगी भारी डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण) में चल्लो जाय रहलो छेलै। " आरोॅ पुछै रोॅ क्रम में तब तक डा। साहेब दोसरोॅ रोगी रोॅ दिशा निर्देश में जाय चुकलो छेलै। है सुनी के छाती धक से करी उठलै।

हम्में वहाँ से लौटी के फेरू नंदू रोॅ पास ऐलियै। तखनी ताँय स्लाइन रोॅ तेसरोॅ बोतल लगाय लेली तैयारी होय रहलो छेलै। आवे रोगी सें पुछला पर बोलै में परेशानी रोॅ कारण इशारा से मालुम होलै कि आवे हम्में पहिने सें कुछछु अच्छा छी। मनोॅ का तनिटा तसल्ली मिललै कि रोगी में जीयै रोेॅ प्रति कुछछु आश जगलो छौ। है भी सत्य छै कि रेागी में जीयै रोॅ लेली ललक होला सें ही दवाय भी कारगर होय छै। आभी ताँय शाम रोॅ पांच बजी रहलो छेलै। सभ्भे रिश्तेदार उदास, परेशान वक्त रोॅ हालात सें अनजान रोगी रोॅ स्वास्थ्य में सुधार लेली कामनारत छेलै। हम्में बेचैनी में एक बार आरू डा। झा जी से रोगी के देखै लेली आग्रह करलियै। रोगी केॅ देखी केॅ डा। साहेब बोललों रहै-"जखनी ताँय रोगी के कुछछु पिसाब नै होय जाय छै, तखनी ताँय हम्में कुछछु विशेष बोलैला नै पारै छियै। हालाँकि रोगी में पहिने सें ऐखनी २ॉ प्रतिशत सुधार दिखाय रहलो छै।" जबे रोगी रोॅ द्वारा पानी पीयै रोॅ मांँग होय छेलै तबे ओ.आर.एस. घोल बनाय के अल्प मात्रा में दै छेलै। आवे भोमेंटिंग ते बन्द छेलै मतुर पतला दस्त ते बीचोॅ-बीचोॅ में जारीये छेलै। मतुर फिर भी २ॉ प्रतिशत सुधार रोॅ आश्वासन केॅ सुनी केॅ सभ्भे रोॅ मोॅन आशावान होलै।

बोझिल मन रोॅ बोझिल पोॅल शनै-शनै सरकी रहलो छेलै कि वहा पलोॅ में एक बोझा आरू बढ़ी गेलै है सुनी केॅ कि डा। साहेब अगला ३५ पैंतीस घंटा रोॅ लेली है दवायखाना के आपनोेॅ कम्पोन्डर रोॅ हवाले करीं के आपनोॅ बेटी कें राँची पहंुचाय लेली आय साढ़े छह बजे शाम कें पुनसिया छोड़ी रहलो छै। है खबर कोढ़ में खाज बनी के प्रगट होलै। आभी ते मनोॅ में कुछछु शान्ति ही मिललो छेलै। मोॅन फेरू बेचैन होय लागलै। मनोॅ में कत्ते रं रोॅ शंका आरोॅ आशंका रोॅ जन्म होना स्वाभाविके छेलै। डा। साहेब के रोकै लेली बहुत्ते आरजु-मिन्नत भी काम नै ऐलै। फेरू डाक्टर साहेब रोॅ है कथन से मनोॅ में तनिटा राहत मिललै कि "मास्टर साहेब आबे रोगी में शनै-शनै सुधार होय रहलो छै आरोेॅ घबराय रोॅ बात नै छै। रोगी रोॅ शारीरिक क्रियाकलाप में भी सुधार छै। वैसें भी हम्में रोगी केॅ दवाय तालिका बनाय के कम्पोन्डर के है निर्देश रोॅ साथ सौंपनें छियै कि प्रत्येक घंटा रोगी के स्वास्थ्य सम्बंधी जानकारी मोबाइल से हमरा देते रहवौ। होकरा में कोनो कोताही रोगी के जान रोॅ खिलवाड़ होतै। आरो आपने सिनी भी हमरा जानकारी देते रहभै।"

आवे डा। साहेब जाय वक्ती रोगी के फेरू मुआयना करी के चालीस प्रतिशत रोग सुधार रोॅ आश्वासन देैके साढ़े छह बजे शाम में यहाँ से बस द्वारा बेटी रोॅ साथ राँची लेली हमरा सिनी के मझधार में छोड़ी के चल्लो गेलै। अब ताँय रात घिरी गेलो छेलै। रोगी के एखनी ताँय पिसाव नै होलो छेलै। बीचो-बीचो में दस्त आरो प्यास जारी छेलै। मतुर रोगी में सुधार भी होय रहलो छेलै। आवे रोगी आपनो बारे में कुछछु अस्पष्ट रूपो से बोलै रोॅ प्रयास करै छेलै। आभी ताँय रोगी के पाचमो बोतल स्लाइन चढ़ी रहलो रहै। आवे कुछछु हम्में रीलैक्स लेली बाज़ार जाय के वहा रामावतार पान दोकान पर पान खाय के आरू लेली पान बंधाय के फेरू घुरी के क्लीनिक में है सोची के ऐलियै की आभी ताँय रोगी के कुछछु पिसाब होले होतै, मतुर निराश ही होलियै। बीचों-बीचांे में कम्पोन्डर साहेब आबी के रोगी रोॅ शरीर के गर्मी आरोॅ नब्ज रोॅ जानकारी पूर्व तालिका अनुसार डाक्टर साहेब कै दै रहलो छेलै।

आवे रोगी के है भयंकर हालत में पहुचाय लेली घटना चक्र रोॅ जानकारी के हम्में खंगालियै। यै पर हमरो छोटका साला नवल किशोर झा रोॅ द्वारा जे घटना चक्र पर घटना खाड़ो छेलै हौ ते आरोॅ विस्मयकारी छेलै। घटना रोॅ एक दिन पहिने नन्दू पहिनैय से ही परिवारिक कारणांे से अवसाद में रहै आरोॅ कुछछु कमजोर भी छेलै। वही स्थिति में आपनो चचेरोेॅ जमाय रोॅ साथे मोटरसाइकिल सें आपनोेॅ समधी रोॅ गाँव चानन, बाँका एक वैवाहिक कार्यक्रम में गेलो छेलै। हौ कार्यक्रम सफल करी के सवेरे रोॅ आठ नौ बजे समधी रोॅ आग्रह पर वापसी में यात्रा शुभ लेली चार-पाँच पीस मछली रोॅ नास्ता होलो रहै। नास्तोपरान्त दोपहर में वही मोटरसाइकिल सें वहा जमाय रोॅ साथे घोॅर आवी रहलो रहै। रास्ता उबड़-खाबड़ रोॅ चलते पेट में मढ़ोर रोॅ साथ पतला दस्त शुरू होलै। दस्त रोॅ साथ बीचों-बीचों में उल्टी भी होय लागलै। ढाका मोड़ ऐते-ऐते नन्दू पर कमजोरी सवार होय लागलै। आवे नन्दू मोटरसाइकिल रोॅ पीछे बैठे रोॅ काबिल भी नै रहि गेलो छेलै।

यही ठियाँ सटले खड़हारागाँव में नन्दू रोॅ एक मात्रा बिहैली बेटी कुमारी नीतू रोॅ ससुराल रहै आरो संयोग है अछछा रहै कि नीतू ससुरालिये में छेलै। नन्दू रोॅ कहला पर हौ जमाय ने कोनोॅ तरहसें निढाल, परेशान, कमजोर शरीर के बेटी रोॅ घोॅर संध्या बेला में पहुचाय देलकै। बेटी घरो में अकेली छेलै। हौ वापो रोॅ है नाजुक हालत देखी के हड़बड़ाय गेलै आरोेॅ बगलो रोॅ एक नीम-हकीम छुटभैया डाक्टर से इलाज शुरू करवाय देलकै। इलाज कि केकरोैं सें पुछी-पुछी के स्लाइन चढ़ाय लागलै। दस्त आरोॅ कै रूकी नै रहलोॅ छेलै। बेटी बापोॅ रोॅ हालत देखी के किंकर्तव्यविमूढ़ होय के स्थिर छेलै। एक ते राती रोॅ समय दोसरो अकेली औरत। वें करतै तें करतै की! आरो डाक्टरों होकरा आश्वासन दैके ठकी रहलो छेलै। कोनो तरह सें भगवान-भगवान करी के भोर होलै। बापो रोॅ हालत लगातार बिगड़ी रहलो रहै। है देखी के नीतू आवे डा। पी. झा से यहाँ आवै लेली गुहार लगाय रहली रहै, मतुर डा। साहेब वहाँ जाय रोॅ लाचारी दिखलाय के रोगी के पुनसिया ही लानै लेली कही रहलो छेलै। यही ठियाँ नीतू से भयंकर भूल होय गेलै आरोॅ समय के देरी रोॅ मकड़जाल में फसी के रोगी रोॅ जीवनोॅ फसी गेलो छेलै। है समाचार कोनो तरह से रोगी रोॅ छोटो भाय मुन्नाजी के मालुम होलै। वें बिना कोनो देरी करने आपनो गाड़ी सें खड़हरा आवी के भाय रोॅ हालत के परखी के बिना केकरौ पुछने एक ओटो रिजर्भ करी के नीतू साथे डा। पी. झा रोॅ क्लीनिक लेने ऐलै। आभियो ताँय खड़हरा रोॅ हौ नीम-हकीम डा। ने रोगी के कुछछु आरू देर यहाँ राखै लेली कही रहलो छेलै कि हम्मेै है रोगी के ठीक करी देवै। अगर है होय जैतियै ते नै जानौं कि आरु अनर्थ होय जैतियै। उपर वाला रोॅ लाख-लाख शुक्रिया जे रोगी सही समय पर सही जगह पर पहुंँची गेलै।

है घटना सुनी के हम्में आश्चर्यचकित छेलियै आरो है सोचैलाॅ मजबूर छेलियै कि ईश्वर जे करै छै हौ अच्छा ही करै छै भले ही हौ हमरा या दोसरा लेली कुछछु समय तक खराब कैन्हेनी लागै। मतुर फोॅल मीठा ही होय छै। आवे रोगी रोॅ हालत पहिने सें बेहतर छेलै। पुछलोॅ पर कुछछु बोलै रोॅ प्रयास भी करै छेलै। रोगी के स्लाइन लगातार चढ़ी रहलो रहै, मतुर आभियो ताँय मूत्रा त्याग नै होलो रहै। हिन्है कुछछु समय से रोगी रोॅ दोनों बेटा जे दिल्ली रोॅ प्राइवेट फार्म में नौकरी करै छै, बापो रोॅ नाजुक हालत सम्बंधी समाचार सुनी के लगातार मोबाइल से हमरा है कही रहलो छेलै कि अगर पिता जी रोॅ हालत नै सुधरी रहलो छै, ते हुनका भागलपुर लै जाय के कोय नीको डाक्टरो सें इलाज करावो, जे स्वाभाविकै छेलै। मतुर डा। साहेब रोॅ आश्वासन आरोॅ है कमजोर रोगी के भागलपुर लै जाय रोॅ परेशानी के सोची के हम्में स्थिर छेलियै। हमरा सिनी डा। साहेब से लगातार संपर्क में छेलियै आरोॅ हुनको दिशा निर्देश में इलाज जारी छेलै।

आवे रात रोॅ बारह बजी रहलो छेलै। हेकरो पहिने हमरा सिनी थोड़ो-बहुत भेाजन से सलटी के चिन्ताओं रोॅ बीच रोगी के आस-पास रही के समय गुजारी रहलो छेलियै है सोची के कि रोगी के पिसाब हुएॅ ते सभै के शान्ति मिले। कम्पोन्डर साहेब बार-बार रोगी शरीर के जाँची के है आश्वासन दै छेलै कि आवे रोगी रोॅ शरीर गर्म होय रहलो छै आरू नाड़ी भी सामान्य छै जेकरा से भोर तक पिसाब होय जैतै। रात रोॅ दु बजे तक रोगी के स्लाइन चढ़ते रहलै। फेरू कम्पोन्डर साहेब रोॅ है घोषणा होलै कि काल सुबह तक आवे स्लाइन नै चढ़तै आरोेॅ रोगी आराम करतै। यहा होलै।

सुबह होलै। हमरा सिनी नित्य क्रिया सें निवृत होय के रोगी रोॅ पास बैठले छेलियै कि फेरू दोनों बेटा रोॅ फोन बापो रोॅ स्वास्थ्य सलामती लेली ऐलै। हमरोॅ भी वहा जवाब छेलै कि स्वास्थ्य में सुधार ते होय रहलो छै मतुर पिसाब रोॅ अभाव छै। फेरू वाहर लै जाय के दिखलाय लेली आरजु-मिन्नत रोॅ दबाव, जेकरा हमरा ही झेलना छै, केन्हैं कि सभ्भैं सें परिवारों में बड़ो हम्में जे छेकियै। हम्में भी दोनों बेटा के विश्वास में लैके आरोॅ ईश्वर पर आस्था राखी के फेरू डा। साहेब रोॅ आश्वासन पर है सोची के स्थिर छेलियै कि ऐत्ते कमजोर रोगी रोॅ साथ बाहर भी ते यहा सब कर्म होतै आरोॅ हौ भी एकदम नया शिरा से। फेरू याँही कि बुरा छै। आवे डा। झा रोॅ दिशा निर्देश पर फेरू स्लाइन चढ़ावै रोॅ काज सुबह रोॅ आठ बजे सें शुरू होलै। मतुर पिसाब रोॅ लक्षण दूर-दूर तक नै दिखाय पड़ै छेलै जेकरा सें सब अवसादों में छेलै।

समय रोॅ बीतै के एहसास मानव रोॅ मानसिकता पर निर्भर करै छै। सुखो में लम्बा-लम्बा दिन भी फलक झपकते ही बीती जाय छै आरू वही दुखों में चन्द लहमा भी पहाड़ बनी के फुफकार मारै छै। यहा बात यहाँ भी होय रहलो छेलै। आभी ताँय नन्दू रोॅ खराब स्वास्थ्य रोॅ जानकारी गाँव-समाज सें लेैके प्रायः सगा सम्बंधी के लागी गलो छेलै। जेकरा सें नन्दू रोॅ कुशल मंगल लेली जे लोग यहाँ आवै छेलै आरोॅ जैतें-जैतें वें आपनो हिस्सा रोॅ बहुमूल्य सुझाव बिना पुछने दै छेलै। जेकरा सुनै लेली हमरा सिनी बाध्य छेलियै। समय रोॅ घटना चक्र आपनो रफ्तार सें भागी रहलो छेलै, आरो रोगी रोॅ स्वास्थ्य में भी पिसाब छोड़ी के सुधार होय रहलो छेलै। दस्त पूर्ण रूपो सें लगभग बंद छेलै आरो कै रोॅ भी दूर-दूर तक निशान नै छेलै।

हमरा सिनी बारी-बारी सें रोगी रोॅ स्लाइन वाला हाथ के सहारा दै छेलियै। पत्नी, बेटी, बहिन कखनु-कखनु शरीर रोॅ जकड़न हटाय लेली तेल रोॅ मालिस भी करै छेलै। यानी सभ्भे आपनो-आपनों हिस्सा रोॅ काज के बड्डी मुस्तैदी सें अंजाम दे रहलो छेलै। दोपहरी में सभ्भे ने अनमयस्क रूपों से खाय रोॅ काज पूरा करी के रोगी रोॅ पास है सोची के ऐलो छेलै कि रोगी पिसाब करै रोॅ इच्छा व्यक्त करतै मतुर निराशा ही हाथ लगलै। आवे ताँ शाम घिरी गेलो छेलै आरो घिरी रहलो छेलै सभ्भे रोॅ मनो में अवसाद। आवे रोगी भी आपनो पीड़ा रोॅ झल्लाहट के बताय लागलो छेलै। लगातार स्लाइन चढ़ै में नसो रोॅ पीड़ा आरू लेटते-लेटते रोगी रोॅ शरीर के जकड़न रोॅ असर रोगी में साफ दिखाय पड़ी रहलो रहै। फेरू दोसरो रात नौ बजे रोॅ आसपास कम्पोैन्डर साहेब रोॅ घोषणा होलै कि आवे रात भर रोगी के आरू स्लाइन नै चढ़ैलो जैतै। रात सें लैके भोर तक पिसाब होवै करतै। नै ते भोरो में डा। साहेब रोॅ राँची से आगमन पर ही आगु रोॅ इलाज होतै।

है सुनी के हमरोॅ मोॅन रं-रं रोॅ चिन्ता में डूबै लागलै है सोची के कि एतना-एतना स्लाइन शरीर में जाय रहलो रोॅ वादो भी पिसाब कैन्हे नी नै होय रहलो छै। एक अज्ञात डोॅर भ्रम मंे पड़ी के आरो भयंकर तखनी होय जाय छै जखनी वें है सोची लै छै कि काही रोगी रोॅ आरो तंत्रा ते रव। कैन्हे कि भयंकर डिहाइड्रेशन में रोगी रोॅ किडनी क्षतिग्रस्त होय पारै छै। ईश्वर करे कि है डोॅर वहम ही हुएॅ। यही वकती हमरोॅ छोटका लड़का तरूण कुमार मिश्रा वहा कुन्दन रोॅ साथे आपनोॅ मामा जी के देखै लेली यहाँ ऐलो रहै। कुछछु देर बेचैन परेशान मामा सें बात करी के वही राती आपनो घोॅर ओड़हारा वापस होलै।

खैर पिसाब होय रोॅ आशा में हमरा सिनी बिछलो चैकी पर लेटलियै ते ज़रूरे मतुर नींद कोसों दूर छेलै वहा रं जे रं नन्दू रोॅ पि। सुबह होलै। डा। साहेब सुबह में राँची संे आवी के सबसे पहिने रोगी रोॅ स्वास्थ्य जाँच करी कें बगलै में ही स्थित आपनो डेरा पर नित्य क्रिया लेली चल्लो गेलै। है बातो रोॅ जानकारी हमरा नै छेलै। रोगी के आभी ताय पिसाब नै होलो छेलै। कुछछु देरी रोॅ बाद डा। साहेब आपनो डेरा से फ्रेश होय के आपनो क्लीनिक ऐलै। वहाँ हुनि आरोॅ सिनी रोगी रोॅ स्वास्थ्य जाँच में रमी गेलै।

आभी तांय रोगी के पिसाब नै होलो छै रोॅ शिकायत लैके हम्में डा। साहेब रोॅ पास है सोची के गेलो छेलियै कि है शिकायत सुनथै ही डा। साहेब हाथ जोड़ी के विनम्र भाव से रोगी के कहीं अन्यत्रा लै जाय रोॅ फरमान सुनाय देतै। तबे हम्में कि करवै। मतुर हेनो कुछछु नै होलै। हमरोॅ आशंका निर्मूल छेलै। हमरो पुछला पर डा। साहेब हसी के बोललो रहै कि "मास्टर साहेब आबे चिन्ता रोॅ कोनो बात नै छै। हम्में सबसे पहिने आबी के आपनै रोॅ रोगी के जाँच करलियै। रोगी आबे ठीक छै। बात जे पिसाव नै होय के छै। हौ तुरत्ते होतै। आपने ग्लूकोज के पानी में घोली के दू-तीन गिलास रोगी के पिलाय दियै आरो है दू रं रोॅ टिकिया भी रोगी के खिलाय दियै।" है सुनी के मनों में शान्ति मिललै आरोॅ आँख भावना में वही के लोराय गेलै। डा। साहेब रोॅ दिशा निर्देश रोॅ पालन होलै। ठीक पन्द्रह-बीस मिनटों में रोगी रोॅ द्वारा प्रेस करला पर पिसाब होलै आरो हमरा सभ्भे के लागलै कि सोना रोॅ कोनो गड़लो खजाना मिली गेलै। हमरा सिनी डा। झा के धन्यवाद करी कै है बियालिस घंटा रोॅ अंधकार से मुक्त होलियै।