बिल्ली और बन्दर-1 / शोभना 'श्याम'
दो बिल्लियों को एक रोटी मिली, दोनों ने हमेशा कि तरह बड़े प्यार से आधा-आधा बाँट ली और बड़े इत्मीनान से बैठ कर खाने ही लगीं थी कि एक बंदर वहाँ से गुजरा। बिल्लियों को सूखी रोटी खाते देख उसकी आँखों में पानी भर आया। वह हाथ जोड़ कर उनके समीप गया। मात्र सूखी रोटी से काम चलाने के लिए हार्दिक दुःख एवं सहानुभूति जताई और इसके लिए वर्तमान शासक को जिम्मेदार ठहराते हुए स्वयं को शासक बनाये जाने पर समस्त बिल्ली बिरादरी को मुफ्त दूध उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया।
दोनों बिल्लियों ने तुरंत एक बहुत बड़ी सभा बुलाकर वर्तमान शासक द्वारा उनकी बिरादरी की उपेक्षा और परिणामस्वरूप उनके दूध-जैसी आवश्यक वस्तु से वंचित रह जाने पर जोरदार भाषण दिया। सबने मिलकर वर्तमान शासक के विरुद्ध नारे लगाए और बंदर को आमंत्रित कर उसकी प्रतीकात्मक ताजपोशी की। बंदर ने उन्हें दूध उपलब्ध कराने के वायदे को फिर से दोहराया।
बिल्लियों के समर्थन के चलते कुछ ही समय में बंदर शासक के पद पर आसीन हो गया। बिल्लियों ने कुछ समय इंतज़ार के बाद आखिरकार उसे उसका वायदा याद दिलाया।
बंदर ने बेहद विनम्रता के साथ उन्हें बताया कि दूध वास्तव में बिल्लियों के लिए उपयुक्त भोजन नहीं हैं। क्योंकि दूध को पचाने के लिए आवश्यक एन्ज़ाइम उनके शरीर में बनते ही नहीं है जिसकी वजह से उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है और साथ ही यह अफ़सोस भी व्यक्त किया कि इतने वर्षों से सत्ता पर काबिज़ सभी शासक उनके लिए इतने महत्त्वपूर्ण अनुसंधान से बिलकुल उदासीन रहे। पहली बार स्वयं उसने उनके स्वास्थ्य को राष्ट्रीय मुद्दा बनाकर युद्ध स्तर पर कार्य किया है।
कुछ बिल्लियों ने बंदर का जयघोष किया तो कुछ झूठे वायदे करने के आरोप में खरी खोटी सुनाने लगी। इस प्रकार बिल्लियों के दो धड़े बन गए हैं, जिनके बीच अक्सर आरोप-प्रत्यारोप से लेकर मारपीट और झगड़े होते रहते हैं।
उधर बंदर ने घोषणा कर दी है कि अगर वह अगले चुनाव में आगामी पाँच वर्ष के लिए चुन लिए जाता है तो सभी बिल्लियों को उनके लिए सर्वथा उपयुक्त डिब्बा बंद मांसाहारी भोजन मुहैया कराया जायेगा।