बिल्ली और बन्दर-3 / शोभना 'श्याम'
दो बिल्लियाँ एक रोटी के लिए लड़ रही थी कि एक बंदर वहाँ से गुजरा। उसने दोनों बिल्लियों को बड़ी शालीनता से नमस्कार किया और बोला, "मेरी प्यारी बहनों! तुम दोनों इस तरह क्यों लड़ रही हो। क्या मैं तुम्हारे किसी काम आ सकता हूँ। एक ने कहा-" देखो बंदर भाई! हमें ये रोटी मिली है। हम इसे बाँट कर खाना चाहतीं हैं। लेकिन इस मुई ने बड़ा टुकड़ा खुद ले लिया है। "
दूसरी ने तपाक से कहा-"बंदर भैया! इसकी तो सोच ही छोटी है, मैंने तो बिलकुल बराबर टुकड़े किये हैं मगर ये तो ।"
इतना कह वे फिर लड़ने लगी। बंदर ने कहा, "अरे लाओ मुझे दिखाओ, मैं अभी सब ठीक कर दूँगा।" बिल्लियाँ तुरंत मान गयी और दोनों टुकड़े बन्दर के सुपुर्द कर दिए। बन्दर ने दोनों टुकड़े तराजू पर रखे और जो थोड़ा बड़ा था उसमें से एक टुकड़ा तोड़कर अपने मुँह में डाल लिया। इससे दूसरे टुकड़े वाला पलड़ा भारी हो गया। बन्दर ने उसमें से एक टुकड़ा तोड़ कर खा लिया, तो पहला वाला पलड़ा भारी हो गया। अब बन्दर ने इसमें से भी एक टुकड़ा तोड़ कर खा लिया। इस प्रकार वह आधी से ज़्यादा रोटी खा चुका था। अचानक वह वहीं गिर कर छटपटाने लगा और उसके मुँह से झाग निकलने लगा। बिल्लियों ने विजयी भाव से एक दूसरे को देखा और वहाँ से चलती बनी।