बीए पास की नायिका शिक्षिका भी है / जयप्रकाश चौकसे

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बीए पास की नायिका शिक्षिका भी है
प्रकाशन तिथि : 14 अगस्त 2013

अजय बहल की शिल्पा शुक्ला अभिनीत 'बीए पास' मात्र ढाई करोड़ रुपए में बनाई गई फिल्म है और प्रचार-प्रसार के खर्च के साथ साढ़े पांच करोड़ की लागत वाली फिल्म ने प्रथम सप्ताह में ही अपनी लागत निकाल ली है और प्रदर्शकों के विश्वास के कारण 'चेन्नई एक्सप्रेस' की आंधी के समय भी इस नन्ही कोपल ने स्वयं को सुरक्षित रखा है। इस छोटी-सी सफलता ने भव्य भ्रम को खंडित किया है कि सितारे आवश्यक हैं, फूहड़ हास्य जरूरी है और फिल्म सुखांत होनी चाहिए।

बहरहाल, शिल्पा शुक्ला शाहरुख अभिनीत 'चक दे इंडिया' में एक महत्वपूर्ण भूमिका करने के बाद कुछ दिन मुंबई में फिल्म प्रस्ताव का इंतजार करके बिहार लौट गईं, जहां अपने पिता द्वारा स्थापित स्कूल में काम करने लगीं और संस्था ने इतना विकास किया है कि एमआईटी बोस्टन और हार्वर्ड के शिक्षक सहायता कर रहे हैं। शिल्पा के भाई तेंजिंग ने स्कूल के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निबाही है। ज्ञातव्य है कि तेंजिंग तीन वर्ष की अवस्था से ही आस्थावान रहे हैं और आज उन्हें दलाई लामा का आशीर्वाद भी प्राप्त है। तेंजिंग के साथ बिताए वक्त के कारण शिल्पा को अध्यात्म की कुछ जानकारी प्राप्त हुई है और इस गहन-गंभीर विषय में उनकी रुचि है।

अजय बहल की 'बीए पास' के निर्माण में शिल्पा के पति भी सक्रिय रहे हैं। यह गौरतलब है कि रंगमंच में प्रशिक्षित शिल्पा एक फिल्म कलाकार होने के साथ ही शिक्षा संसार से भी जुड़ी हैं और उनके सगे भाई दलाई लामा से जुड़े हैं। हम फिल्म कलाकारों की पृष्ठभूमि के बारे में जानने को उत्सुक रहते हैं, परंतु इस तरह की विविधता की हमें आशा नहीं होती। फिल्म माध्यम के जादू का प्रभाव कितना व्यापक है कि देश के कोने-कोने से लोग आकर इससे जुड़ते हैं। सभी लोग अभिव्यक्त होने के लिए नहीं आते, अधिकांश लोग उसके आभामंडल से चकाचौंध होकर आते हैं। कोई चार दशक पूर्व तिब्बत से डैनी डेंजोंग्पा ने पुणे फिल्म संस्थान से प्रशिक्षण लिया और उनका चेहरा तिब्बती होने के कारण आमराय यह थी कि उन्हें सीमित भूमिकाएं ही मिल सकती हैं, परंतु उन्होंने विविध भूमिकाएं अति विश्वसनीयता से निभाईं।

गुलजार की तपन सिन्हा की 'अपन-जन' से प्रेरित फिल्म 'मेरे अपने' में उन्हें छोटी भूमिका मिली और फिरोज खान की 'धर्मात्मा' में व्यस्त होने के कारण वे 'शोले' की गब्बर सिंह की भूमिका नहीं कर पाए। इस समय वे सलमान खान अभिनीत फिल्म में मुख्य खलनायक हैं। सारांश यह कि विभिन्न क्षेत्र के लोग आते हैं और प्रतिभा से अपना स्थान बना लेते हैं। शिल्पा शुक्ला ने 'चक दे इंडिया' के एक दृश्य में कोच बने शाहरुख खान से कहा था कि उसके (खिलाड़ी प्रतिद्वंद्वी) पास ऐसा क्या है, जो मेरे पास नहीं है? और आज 'बीए पास' में उस भूमिका से बिलकुल अलग भूमिका में उन्होंने उस संवाद को सच करके भी दिखा दिया।

दरअसल, हम किसी भी व्यक्ति को देखकर उसकी सुसुप्त अवस्था में स्थिर प्रतिभा का आकलन नहीं कर सकते। बहरहाल, एक प्रश्न के उत्तर में शिल्पा ने कहा कि सेक्स स्वाभाविक आकांक्षा होते हुए भी किसी रिश्ते की निर्णायक शक्ति नहीं है।

प्राय: अध्यात्म विवेचन में शरीर को अनदेखा और क्षुद्र माना गया है, परंतु आत्मा के निवास के इस मंदिर को तुच्छ कैसे समझा जा सकता है और इसे साधना के मार्ग में अवरोध भी नहीं माना जा सकता। अध्यात्म की धुन शरीर की छिद्रवाली बांसुरी से ही निकलती है। अधर को स्पर्श करती बांसुरी में श्वांस भरने से छिद्र के कारण माधुर्य का जन्म होता है। इतना ही नहीं, निर्जन में पड़ी बांसुरी भी हवा के चलने पर माधुर्य को जन्म दे सकती है। तीसरे दशक की फिल्म का गीत है - 'विरहा ने कलेजा यों छलनी किया, जैसे जंगल में बांसुरी पड़ी हो।'