बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 13 दिसम्बर 2018
विश्व में सबसे अधिक अमीरों की सूची में शुमार मुकेश अंबानी की सुपुत्री के सगाई समारोह में फिल्मी सितारों ने शिरकत की और फिल्म कलाकार प्रियंका चोपड़ा के गायक निक जोनस के साथ हुए विवाह में उद्योगपति आए। गोयाकि एक बार फिर दुनिया दो श्रेणियों में विभक्त नज़र आई। सफल लोगों की जमात और असफल लोगों की भीड़ परंतु आम आदमी ने अपनी ताकत चुनाव परिणामों में दिखाई। यह जो हर क्षेत्र में पिटता हुआ आम आदमी है, वह इतना जुझारु है कि अपनी मौजूदगी कहीं न कहीं दर्ज अवश्य करता है। अखबार के प्रथम पृष्ठ पर प्रकाशित आरके लक्ष्मण के व्यंग चित्र, अखबार के संपादकीय में अधिक महत्वपूर्ण होता था। वर्तमान में व्यंग चित्र विधा का लोप होता जा रहा है और उसमें प्रस्तुत पात्र यथार्थ जीवन में नज़र आने लगे हैं। हुक्मरान व्यंग चित्र का सजीव पात्र है। डोनाल्ड ट्रम्प इस दौर की नुमाइंदगी कर रहे हैं और वैचारिक रूप से उनका जुड़वा पूर्व में दहाड़ता नज़र आता है परंतु हाल में वह दहाड़ चीख की तरह ध्वनित हो रही है।
गणतंत्र के भारतीय मॉडल में एक दुष्चक्र यह दिखता रहा है कि उद्योगपति नेता को चुनाव जीतने के साधन प्रदान करता है और नेता चुनाव जीतकर उद्योगपति को अधिक धन कमाने का लाइसेंस प्रदान करता है। राज कपूर की 'राम तेरी गंगा मैली' में इस दुष्चक्र को ही प्रस्तुत किया गया है। उद्योगपतियों की दावतों में फिल्म सितारों के साथ क्रिकेट जगत के प्रसिद्ध व्यक्ति भी नज़र आते हैं। क्रिकेट खेलकर भी धनाढ्य बना जा सकता है। महेन्द्र सिंह धोनी का व्यवसाय साम्राज्य से नज़दीकी रिश्ता है। उनकी पत्नी उद्योगपति परिवार की कन्या हैं। इमारत में सीमेंट लगाने के पश्चात तरी की जाती है अर्थात पानी दिया जाता है। इस तरी से ही इमारत को मजबूती प्राप्त होती है। विराट कोहली ने भी अपनी प्रतिभा से खूब धन कमाया है। हमारे भारत महान में क्रिकेट के खिलाड़ी ही धनवान बनने का अवसर पाते हैं। कबड्डी, खो-खो इत्यादि के खिलाड़ी को यह उपलब्ध नहीं है। यहां तक कि हमने सबसे अधिक ओलिंपिक गोल्ड हॉकी में जीते हैं परंतु कोई हॉकी खिलाड़ी करोड़पति नहीं है। हमारे दोहरे मानदंड इस तरह भी नज़र आते हैं कि पुरुष खिलाड़ियों को महिला खिलाड़ियों से अधिक महत्व एवं धन कमाने के अवसर उपलब्ध हैं। शाहरुख खान अभिनीत फिल्म 'चक दे इंडिया' में उन्होंने महिला हॉकी टीम के कोच की भूमिका निभाई थी और वह उनके श्रेष्ठ प्रदर्शन में शामिल है। असल में संकीर्ण क्षेत्रीयता पर गहरा प्रहार किया गया था। यह सितारा-राजनेता-उद्योगपति त्रिवेणी वर्तमान की उपज नहीं है। जॉन एफ कैनेडी की सभा में मर्लिन मुनरो ने ठुमके लगाए थे और सुर्खियां तो यह कहती हैं कि जॉन एफ कैनेडी के छोटे भाई भी मर्लिन मुनरो से प्रेम करते थे। बहरहाल, ओलिवर स्टोन की फिल्म 'जेएफके' में फिल्मकार ने हत्या की साजिश में कैनेडी के राजनीतिक प्रतिद्वंदी का नाम लिया और उन पर कोई मानहानि का दावा नहीं किया गया। इस खेल में सुनियोजित अपराध सरगना भी शामिल रहे हैं। 'गॉडफादर' में एक अभिनेता को महत्वपूर्ण भूमिका दिलाने के लिए अपराध सरगना फिल्मकार के प्रिय घोड़े का कटा हुआ सिर उसके बिस्तर पर रखवा देता है। फिल्मकार प्रकाश झा की रणवीर कपूर और कैटरीना कैफ अभिनीत 'राजनीति' भी 'गॉडफादर' का फूहड़ चरबा मात्र है।
विवाह समारोह में फिल्म सितारों को मोटी रकम देकर बुलाया जाता है। यहां तक कि प्रगतिशील कवि-शायर जावेद अख्तर ने भी मोटी रकम लेकर एक व्यवसायी के विवाह के लिए गीत रचा था। उस बारात में कई सितारों ने ठुमके लगाए थे। वह समय दूर नहीं जब कि धनवान की शव यात्रा में शामिल होने के लिए किसी फिल्म सितारे को पारिश्रमिक देकर बुलाया जाएगा। फिल्म 'रुदाली' में प्रस्तुत किया गया कि मृत्यु पर छाती कूट के लिए धन देकर रोने वालों को बुलाया जाता है। किसी गैर की मृत्यु पर छाती कूटते हुए अश्रु बहाने का काम आसान नहीं होता। एक पेशेवर रुदाली करने वाले ने बताया कि गैर की मृत्यु पर आंसू बहाने के लिए वे अपनी स्मृति में दर्ज किसी दोस्त का स्मरण करती हैं। जयशंकर प्रसाद की पंक्तियां याद आती हैं- 'जो घनीभूत पीड़ा थी मस्तक में स्मृति सी छाई, दुर्दिन में आंसू बनकर वह आज बरसने आई।' हमारे हर वर्तमान क्षण में विगत और भविष्य मौजूद होते हैं। समय की नदी इसी तरह बहती है। आश्चर्यजनक है कि मॉर्गन रिचर्डसन ने 1898 में एक उपन्यास लिखा, जिसमें एक जहाज के हिमखंड से टकराने का विवरण था। इसके ठीक 14 वर्ष पश्चात यथार्थ टाइटैनिक दुर्घटना घटी। सृजनशील लोगों को समय अपने भूत, भविष्य व वर्तमान तीनों ही स्तरों पर एक ही चरण में दिखाई देता है।