बेचारा अलादीन / मधु संधु
Gadya Kosh से
मंत्री पद संभालते ही वे अलादीन हो गए। कुर्सी उनके लिए चिराग बन गई। अलादीन को तो चिराग घिसना पड़ता था, पर उनका यह चिराग और जिन्न सरकार के स्थायित्व तक सक्रिय थे।
चारों ओर जिन ही जिन्न थे- सभी, सुशील, सभ्रांत- बड़े-बड़े आफिसर, बिजनेस मैगनेट, पार्टी के वर्कर। जो हुकुम मेरे आका- सुनने का मज़ा भी अलग था और नशा भी। वे आश्वस्त थे। जिन्न अलादीन को निगल भी सकता है- इसका न उन्हें अंदाजा था, न आशंका।
पता उन्हें तब चला, जब अगला चुनाव आने पर उन्हें बिठा दिया गया और उन्हीं के एक जिन्न को खड़ा किया गया। मंत्री बनाकर अलादीन बनाया गया।