बेजुबान / ख़लील जिब्रान / बलराम अग्रवाल
Gadya Kosh से
एक बार मैं एक ऐसे आदमी से मिला जिसके कान बेहद चौकन्ने थे, लेकिन वह गूँगा था। उसकी जीभ एक युद्ध के दौरान कट गई थी।
आज मैं जानता हूँ कि गहरी खामोशी में जाने से पहले उसने कौन-सा युद्ध लड़ा होगा। मुझे खुशी है कि वह अब जिन्दा नहीं है।
हम दोनों के ही लिए यह दुनिया बहुत बड़ी नहीं है।