बैल / सुकेश साहनी
"इसके दिमाग में गोबर भरा है गोबर!" विमला ने मिक्की की किताब को मेज पर पटका और पति को सुनाते हुए पिनपनाई, "मुझसे और अधिक सिर नहीं खपाया जाता इसके साथ। मिसेज आनंद का बंटी भी पाँच साल का ही है, उस दिन किटी पार्टी में उन्होंने सबके सामने उससे कुछ क्वश्चन पूछे...वह ऐसे फटाफट अंग्रेज़ी बोला कि हम सब देखती रह गईं। एक अपने बच्चे हैं..."
"मिक्की इधर आओ."
वह किसी अपराधी की भाँति अपने पिता के पास आ खड़ा हुआ।
"हाउ इज फूड गुड फॉर अस? जवाब दो, बोलो!"
"इट मेक्स अस स्ट्रांग, एक्टिव एंड हैल्प्स अस टू...टू...टूऊ ऊ..."
"क्या टू-टू लगा रखी है! एक बार में क्यों नहीं बोलता?" उसने आँखें निकालीं, "एंड हैल्प्स अस टू ग्रो।"
"इट मेक्स अस अस्ट्रांग ...!" वह रुआँसा हो गया।
"असट्रांग! यह क्या होता है, बोलो... 'स्ट्रांग' ...स्ट्रांग' ...तुम्हारा ध्यान किधर रहता है...हंय?" उसने मिक्की के कान उमेठ दिए.
"इट मेक्स स्ट्रांग..." उसकी आँखों से आँसू छलक पड़े।
"यू-एस... 'अस' कहाँ गया। खा गए!" तड़ाक् से एक थप्पड़ उसके गाल पर जड़ता हुआ वह दहाड़ा, "मैं आज तुम्हें छोडूँगा नहीं..."
"फूड स्ट्रांग अस..."
"क्या?" वह मिक्की को बालों से झिंझोड़ते हुए चीखा।
"पापा! प्लीज, मारो नहीं...अभी बताता हूँ...स्ट्रांग ...फूड...अस...इट...हाउ...इज..." वह फूट-फूटकर रोने लगा। -0-