बोतलां / सत्यनारायण सोनी

Gadya Kosh से
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घर जिस्यो घर है म्हारो। दो कोठा आंगण मांय। बारलै पासै पक्को दुराजो अनै कमरो। पण दिखणादै पासै जिको म्हारै सूं छोटियै भाई रो घर है, उणरै आगै तो म्हारलो पाणी भरै। भरै क्यूं नीं, दिन-रात 'पीळियैÓ पर हथोड़ा बाजै। अर म्हारै...? म्हारी जोड़ायत घणो ई ईसको करै- स्याणो, कांईं पड़्यो है ईं मास्टरी मांय। कम सूं कम बेल्हा रैवो जित्तै तो थे ई घड़ा-घाड़ी कर लिया करो। सारै दिन बस कागद ई काळा करता रैवो। सरम कोनी आवै थानै। म्हारै तो कोई बात नीं, पण थारै ई टूटेड़ी चप्पलां, बोदा पूर! साची ई स्याणो, म्हंनै तो भोत सरम आवै।ÓÓ म्हैं घणी समझाऊं, पण बीं रै वास्तै तो पीसो ई स्सौ कीं है। हां सा! पीसै री ई माया है। बात घर री चालै ही। म्हारै दिखणादै पासै म्हारै छोटकियै भाई रो जिको घर है। है तो घणो फूटरो, पण बारै जिको कमरो बैठक रो हुवणो चाईजै, उण मांय दुकान कर राखी है। तो बीं रै रात-बिरात जिका बटाऊ-चटाऊ आवै, म्हारलै कमरै मांय थमावै। आथण कोई पांचेÓक बजी म्हैं स्कूल सूं बावड़्यो तो टाबरां पंचोळ छेड़ दियो- पापा, मूंफळी लेद्यो।ÓÓ बारै मूंगफळी बेचण-आळो हेला पाड़ै हो। अक्टूबर महीनै री आखरी तारीख। जेब में धेलो कोनी अर टींगरा नै भावै मूंफळी। फेर सोच्यो- लै रै, किस्या बिदाम मांग्या है। ले दे नीं बेटी रा बाप! उधार ई सही। काल तो तनखा मिल ई ज्यासी। इयां हाथ उधारो तो मिलै ई है। तो साÓब, म्हैं ई टाबरां साथै आंगणै बैठ्यो खाऊं मूंफळी। चोखी सुवाद। इत्तै नै ई बारणै आगै धोळी कार आÓर थमी। कार! अर म्हारै बारणै आगै? कठै ई सपनो तो नीं? पण आंख्यां पर पतियारो करणो पड़्यो। सेक्योड़ी मूंफळियां रो काळमस मूंडै सूं झाड़तो म्हैं उंतावळो-सो बारै आयो। कार सूं तो तीन-च्यार 'धोळ-फूलियाÓ मिनख उतर्या। अबकै याद आई, अै तो नेताजी है, म्हारै छोटकियै भाई रा मामेर सुसरो सा। साथै बां रा चमचा अर चेला-चांटी। आजकाळै राज मांय हाथ है। पीळियो कूटतां-कूटतां मोकळा पीसा कूट लिया अर ऊपर सूं 'रिजर्वेशनÓ री महरबानी। जोन डाइरेक्टर रो चुणाव जीतग्या। पौ-बारै-पच्चीस हुगी। काल परसूं आळो रामूड़ो रामलालजी हुग्यो। तो साÓब, अै हरियाणै रा नेता है। नेताजी कार सूं उतर्या। बेली-साथी ई उतर्या। म्हारै सूं पैली अेकर-दोकर मिल्योड़ा हा। रामा-स्यामां हुयी। नेताजी आया है, नेताजी आया है। म्हारै भाइड़ै रै तो पांखां लागगी। फुरळक-फुरळक करतो भाजै। कदै तकियो, कदै बैडसीट। कदै पाणी रा गिलास अर भळै चाय-नास्तो। और सुणाओ मास्टर जी!ÓÓ नेताजी म्हारै सूं मुखातिब हा। ठीक-ठाक है साब।ÓÓ कित्तीÓक तनखा मिल ज्यावै?ÓÓ हो ज्यावै है जी पेट-लिवाड़ी।ÓÓ फेर ई?ÓÓ च्यार-अेक हजार।ÓÓ हूंऽऽऽ। कीं ट्यूसन-टासन ई कर लेंवता हुस्यो?ÓÓ ना सा, ताबै कोनी आवै। बन्धन बौळा है। फेर दूजा उळझाड़ ई नीं मिटै।ÓÓ दूजा कांईं, दुकान मांय बैठो?ÓÓ नां।ÓÓ तो?ÓÓ कीं लिखणो-पढ़णो-सो करूं हूं। लारलै दिनां अेक किताब छपी है।ÓÓ कित्तीÓक आमदनी हुयी?ÓÓ म्हनै झुंझळ आवण लागगी। अै लोग हरेक बात नै पीसै सूं क्यूं जोड़ै। पण म्हैं खुद पर काबू राख्यो। कीं नीं।ÓÓ फेर क्यूं माथा-झकाई करो। कीं आमदनी-आळो काम करो नीं।ÓÓ बै म्हानैं सीख सुणावै हा, आजकल पीसै रो जमानो है ओ, रूपराम जी री चलबल है। कै कोनी सग्गाजी?ÓÓ वां म्हारै बापजी नैं हूंकारो भरावण सारू वां रै गोडै पर हाथ मारतां कैयो। आपरी मुळक सूं बापजी हूंकारो भर्यो। म्हारै मन में तो घणी ई बातां ही। आं रा करड़ा-करड़ा ऊथळा द्यूं। पण सलाम सट्टै मिंयाजी नैं कुण रुसावै। रात-रात थमसी। तो हांजी-हांजी कैवणो अर सदा सुखी रैवणो अर फेर गधै नैं सुपारी रो सुवाद बतावणै सूं कांईं लाभ! तो साÓबजी! नेताजी आया है तो सेवा ई कोई कम नीं हुसी। साची कैयो बापड़ां, रूपली पल्लै जिकांरी रोही मांय चल्लै। कनै पीसो है तो लोग दिन मांय तीन बार हाजरी भरै। भाई-बेली, रिश्तेदार मोकळा मिलै। म्हारा बापजी बटाउवां कनैं बैठ्या गल्लां करै। मां सीरो बणावण सारू कड़ाइयो-पलटियो ठाया करै। छोटकियो भाई हफळ-हफळ करतो साग-सब्जी रो इन्तजाम करै। बीं री जोड़ायत मामो आयो, मामो आयो करती कूदती-कूदती काम करै। जाणै सबरी रै दुराजै कोई राम आयो है। म्हारा बापजी बीड़ी, सिगरेट, होको, दारू हरेक भांत रै नसै रा करड़ा विरोधी। पण नेताजी आवै तो सगळी खुल्ली। आंवतां ई खुद आपरै हाथां सूं होको भरÓर दियो। सेवा-चाकरी सारू सौ-सौ रा केई नोट छोटियै नै पकड़ाया। बोतलां आई। अेक-दो नीं, पूरी च्यार। अर इत्ती ई बीयर री। आज तो बेटी रा बाप, सगळा पित्त बुझा लेÓसी। हरियाणै मांय दारूबंदी कांई हुयी, म्हारै आफत हुगी। लोग कैवण लाग्या कै जाणतो-बूझतो कोई हरियाणै मांय रिस्तो नां कर लेइयो। बेटी रा बाप, दारू रा प्याक! तीसरै ई दिन आ खड़्या रैवै। म्हारै गांव सूं हरियाणै री सींव पांचेक कोस आंतरै। बठै म्हारा रोटी-बेटी रा रिस्ता। मोकळी रिस्तेदारियां। तो भाया, घ्यारी मचगी म्हारै तो। सरू-सरू मांय तो हरियाणै री सींव पर जिका गांव राजस्थान में है, दारूडिय़ां उठै झूंपड़्यां मांड ली। आथण आवै, आपरो टीफन साथै। धापÓर पीवै अर उठै ई सोवै। आसै मिरासी रा सुणायोड़ा दूहा म्हारै चेतै आवै- दारू पीओ रंग करो, राता राखो नैण। जोसीड़ा जळ जळ मरै, सुख पावैला सैण॥ अेवड़ रा पाळी बकरियां री कोथळ्यां मांय दारू री थैल्यां दाब ले ज्यावै। कोई-कोई जमीदार होकै में पाणीवाळी ठौड़ दारू भर-भरÓर ले ज्यावै। वा अे म्हारी दारूड़ी दाखां री! पण जिकां रा गिनायत राजस्थान मांय, बां री पांचूं घी में। तो साÓब, जद सूं हरियाणै मांय सराबबंदी हुयी। नेताजी रा दरसण मोकळा हुवण लाग्या। हमेस री भांत म्हारलै बारलै कमरै मांय बोतलां खुली। खांसी-खुड़को करतो म्हैं बीमारी रो बहानो करÓर भीतर आयÓर आडो हुयग्यो। म्हारा बड़ा भाईजी, जका ई पीळियो कूटै अर वां रा अेक साथी, जिका बैंक रा मैनेजर, वां रै साथै बैठ्या। मोड़ै तांईं चाली हथाई। लाखीणा मिनखां री बातां लाखां सूं कम कीकर हुय सकै। अबकाळै तो कोठी री रजिस्ट्री करावणी है सा! कीं स्सारो लगावो नीं।ÓÓ कित्तै री ली है सा?ÓÓ बस, तीसेÓक (लाख) में सौदो पटग्यो।ÓÓअर ठा नीं कित्ती ई बातां चालती रैयी। जीम-जूठÓर सोयग्या नेताजी अर वां रा सागड़दी। म्हैं तो पैलां ई घोर खांच ली ही। दिनूगै म्हैं उठ्यो तो नेताजी व्हीर हुवै हा। उंतावळ ही बां नैं। अेक जरूरी मिटिंग अटैण्ड करणी ही। म्हैं रामा-स्यामां करी। आंवता-जांवता रैया करो। कीं म्हारी ई सुध लेंवता रैया करो।ÓÓ म्हारा बापजी हाथ जोड़ राख्या हा। हां सा, मिलणै-भिटणै सूं ई प्रेमभाव बधै।ÓÓ साची ई बात है सा।ÓÓ म्हारै भाइड़ै बात में बात मिलाई। ओ ई चालै सा सागै। और के चालै, स्सो कीं अठै ई रैय ज्यावणो है।ÓÓ नेताजी सीख बताई। अच्छ्या तो राम-राम।ÓÓ राम-राम सा, राम-राम।ÓÓ कार रवानै हुयगी। म्हैं भीतर आयो। म्हारी जोड़ायत कमरै मांय बुहारा-झाड़ी करै ही। कमरो दारू री बास सूं अबार ताणी भभाका मारै हो। अेक कानी डाकर करी पड़ी ही। वा अे म्हारी सीधी-सादी अणपढ जोड़ायत! कोई सिकवो न सिकायत। लागगी सफाई करण नै दिनूगै-दिनूगै। म्हैं चूल्है कनैं बैठ्यो टूटेड़ी डांडी रै कप मांय चाय पीवै हो कै म्हारी जोड़ायत खाली बोतलां ल्याÓर म्हनैं दिखांवती, मूंडो मचकांवती बोली, स्याणो, अै देखो बोतलां। पूरी आठ! अबकाळै साइकल-आळो आÓसी जद कोपड़ा बपरास्यां।ÓÓ

(1997)