बोहरा और बोहरानी / गिजुभाई बधेका / काशीनाथ त्रिवेदी

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एक था बोहरा और एक थी बोहरानी। एक दिन बोहरानी भैंस का दूध दुहने बैठी और वहां उसके पेट से हवा निकल गई। बोहरानी शरमा गई। उसने महसूस किया कि यह बहुत बुरा हुआ। इस भैंस ने सुन लिया है। मैंस ग्वाले से कहेगी और ग्वाला सारे गांव में कह देगा। मेरी तो भारी फ़जीहत हो जायगी।

अब किया क्या जाय? भैस के कान के पास खड़ी होकर बोहरानी उसे समझाने लगी। उसने भैंस से कहा, "सुनो, बहन! जो कुछ हुआ है, उसे किसी से कहोगी तो नहीं?" इसी बीच भैस के कान पर एक मक्खी बैठी, इसलिए भैंस ने सिर हिलाना शुरु किया। बोहरानी ने समझा कि भैस कह रही है कि कहूंगी। अब क्या होगा? वह जरुर ग्वाले से कहेगी, ग्वाला सारे गांव को कह देगा।

बोहरानी घर के अन्दर आई और सिर नीचा करके सोचने लगी। इसी बीच वहां बोहरा आ पहुंचा।

उन्होंने पूछा, "बोहरानी! तुम उदास क्यों हो? तुम्हें क्या हुआ है?"

बोहरानी बोली, "क्या कहूं, बहुत ही ग़लत काम हो गया है। मेरी तो ज़बान ही नहीं खुलती।"

बोहरे ने कहा, "लेकिन कहो तो, ऐसी क्या बात हो गई है?"

बोहरानी ने सारी बात कह सुनाई। बोली, "मैंने भैंस को बहुत


समझाया, पर वह तो कहती है कि मैं सबकों कहूंगी ही। अब भैस कहेगी ग्वाले को, और ग्वाला कहेगा समूचे गांव को। फिर मैं गांव वालों को अपना मुंह कैसे दिखाऊंगी?"

बोहरे ने कहा, "यह तो हमारी आबरु की बात है, इसजिएहम तो अपना मुंह दिखा ही नहीं सकते। चलो, आज ही रात को अपना सारा सामान लेकर दूसरे गांव चले जायं।"

रात होने पर बोहरे और बोहरानी ने गाड़ी में अपना सारा सामान रखा और निकल पड़े। लेकिन गांव का फाटक उनहें बन्द मिला। दरबान ने पूछा, "इस गाड़ी में कौन हैं?"

बोहरा बोला, "दरबवान, भैया! क्या तुम मुझे नहीं पहचानते? मैं बोहरा हूं।"

दरबान ने पूछा, "लेकिन इतनी रात-गये आप लोग कहां जा रहे हैं?"

बोहरा बोला, "भैया! बात कहने लायक नहीं है। हमारे सिर पर भारी संकट आ पड़ा है। इसलिए हम गांव छोड़कर जा रहे हैं।"

दरबान ने पूछा, "लेकिन कहिए तो सही कि ऐसा कौन-सा बड़ा संकट आ गया है?"

बोहरे ने बात बताते हुए कहा, "दरबवान भैया! तुम्हीं कहो अब हम क्या करे?"

दरबान बोला, "ओह हो! आप इसीलिए गांव छोड़कर भागना। चाहते हैं? आपके समान भले आदमी गांव छोड़कर चले जायंगे, तो गांव का क्या हाल होगा? चलिए, मै राजाजी से कह देता हूं कि गांव में कोई आपकी बात करे ही नहीं।"

दरबान ने राजा ने कहा। राजा ने ढिंढोरा पिटवा दिया कि बोहर की बहू की बात न तो भैंस, न ग्वाला, और न गांव के लोग ही कहीं करें।