बौनों और कुबड़ों की प्रेमकथाएं / जयप्रकाश चौकसे

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बौनों और कुबड़ों की प्रेमकथाएं
प्रकाशन तिथि :12 अगस्त 2015


मां के हाथ से गरम तवे पर निकाली दुनिया-सी फूली रोटी की तरह ताजा खबर है कि 'तनु वेड्स मनु' और 'रांझणा' के लिए मशहूर आनंद एल. राय और शाहरुख खान के बीच अनुबंध हो चुका है, वे साथ मिलकर बौनेपन को लेकर फिल्म बनाएंगे। अभी तक कथा तय नहीं हुई है, परंतु अनुमान है कि यह वही पटकथा है, जिस पर वे सलमान खान के साथ फिल्म बनाने वाले थे। परंतु अंतिम निर्णय के पूर्व ही आनंद राय द्वारा जारी खबर से नाराज होकर सलमान खान ने उस विषय पर बातचीत से ही इनकार कर दिया। ज्ञातव्य है कि दशकों पूर्व एक बौने नायक पर कमल हासन सफल फिल्म कर चुके हैं, परंतु आनंद राय की बौना फिल्म इससे अलग है। कुछ समय पूर्व तक सफल हास्य कलाकार राजपाल यादव भी ठिगने कद के हैं और उनका विवाह अच्छे खासे कद वाली कन्या से हुआ है और इस विषय पर फिल्म बन चुकी है। क्षीण होती स्मृति में कुछ इस तरह की बात भी दर्ज है कि अमृता प्रीतम या राजेंद्र सिंह बेदी ने अधिक ऊंचाई वाली लड़की की व्यथा-कथा लिखी है। समाज में मान्यता है कि वर के कद से छोटा कद वधु का होना चाहिए और संभवत: विवाह में वरमाला की रीति में वधु को लंबे कद वाले पति के गले में हार पहनाने में कष्ट होता है और वरमाला को लेकर की गई सारी चुहलबाजी भी इसी धारणा से जन्मी है। बारात में दूल्हे के घोड़े पर कटार बांधे जाना और द्वाराचार में कटार से नारियल तोड़ना इस रिवाज को युद्ध का स्वरूप देता है और वधु पक्ष हारने वाले पक्ष की तरह प्रस्तुत किया जाता है और विवाह के बाद भी वधु को हारे पक्ष के दास की तरह रखा जाता है।

कैसे कुछ लोगों का प्रेम इतना बौना होता कि वधु का कद रिश्ते में दीवार बन जाएं। बहरहाल, बौने कद के लोगों का दिमाग और इच्छाएं तो सामान्य मनुष्य की तरह होती हैं। ईश्वरीय कमतरी के शिकार बौने की इच्छाएं बौनी नहीं होती। कल्की कोचलीन अभिनीत क्लॉसिक 'मार्गरिटा विद अ स्ट्रॉ' में बचपन से कमतरी की शिकार पात्र की कामेच्छा सामान्य है और मां द्वारा सारी उम्र नहलाई लड़की एक दृश्य में मां की पीठ पर साबुन लगा रही है, क्योंकि वह अस्वस्थ है, जैसे कविता की तरह के दृश्य थे, जिनमें रिश्तों का हर रेशा सघन बुनावट के बाद भी स्पष्ट अलग दिखता है। यह प्रेम सचमुच अनसुलझी पहेली की तरह है। चार बार बनाई 'किंगकॉन्ग' के मूल संस्करण की पटकथा पढ़कर पूंजी निवेशक ने कहा कि यह सफल व कालजयी फिल्म हो सकती है, अगर इसमें प्रेम-कथा गूंथी जा सके और फिल्म के साधारण सहायक ने सुझाव दिया कि वह विशाल वनमानुष ही अंग्रेज नायिका से प्यार करता है तथा इसी विचार का फैलाव करके पटकथा पुन: लिखी गई। ये सब बातें उसी महान शेर की ही महिमा गाथा है कि 'सिमटे तो दिले आशिक, फैले तो जमाना है'। एक विचार का फैलाव ही पटकथा बन जाता है।

प्रसिद्ध उपन्यास 'हंचबैक आॅफ नार्ट्रेडम' कुबड़े की प्रेम-कथा है और इस पर अंग्रेजी भाषा के साथ ही हिंदुस्तानी में भी अमिया चक्रवर्ती ने 'बादशाह' बनाई थी। फ्रेन्च लेखक पियरे ला मुरे ने तीन उपन्यास ही लिखे हैं, जिनमें पहला 'मॉले रूज' में तुलाश लात्रे नामक बौने परंतु महान पेंटर की कथा है, दूसरे उपन्यास 'क्लेअर द ल्यून' में महान कम्पोजर क्लॉड डेब्यूसी की कथा है और तीसरा 'बियॉन्ड डिज़ायर'। मेरी और सलीम खान की मित्रता की पहली कड़ी में तीनों उपन्यास रहे हैं तथा आज भी तुलाश लात्रे का नाम उन्होंने ही याद दिलाया। 'क्लेअर द ल्यून' से प्रेरित मेरा रेडियो नाटक तीसरी सिम्फनी आकाशवाणी के उस समय के अधिकारी भारत रत्न भार्गव ने निर्देशित किया था, जो आजकल जयपुर में नाट्यशाला चला रहा हैं और नेत्रहीन युवाओं का नाटक मंचित कर चुके हैं। बहरहाल, तुलाश लात्रे ने अनेक वर्ष तवायफों की बस्ती में गुजारे और उन्हीं के दौर में 'केन केन' नृत्य का प्रथम प्रदर्शन हुआ था। फ्रांस की ही एक और महान रचना में एक बौना युवा राजकुमार के प्रेम-पत्र का घोस्ट राइटर है और इन्हीं प्रेम-पत्रों के कारण अनींद्य सुंदरी राजकुमारी ने उस राजकुमार से शादी की थी। कालांतर में बौना और राजकुमार युद्ध में मरे तब नायिका ने कहा 'मैंने एक बार प्यार किया और दो बार खोया'।

मेडिकल विज्ञान का कहना है कि वर-वधू की ऊंचाई या किसी का ठिगनापन दाम्पत्य जीवन में कोई बाधा नहीं बनत। समाज विज्ञान को अमान्य करता है और जीवन को तर्क के प्रकाश वृत से दूर रखता है। बहरहाल देखना है कि आनंद राय और शाहरुख खान की जोड़ी क्या करती है तथा इस फिल्म में कंगना रनौत काम करती है या नहीं।