भदवा चन्दर, खण्ड-12 / सुरेन्द्र प्रसाद यादव
"वीरो!"
"की!"
"जों मुखिया धनुक लाल आरो भदवा के खिलाफ होय जाय छै तेॅ जानै छैं की होतै?"
"की होतै?"
"वहेॅ होतै, जे तोहें सोचलो नै होवैं।"
"बुझौवल नै बुझाव!"
' हड़बड़ाव नै वीरो। धीरज धरें। हम्मूं बहुत धीरज धरलेॅ छियै, तबेॅ। "
"अरे बात की छेकै?"
"सुन" आरो ओझा जी आहिस्ता-आहिस्ता कहना शुरू करलकै, "जे नाटक मुखिया जी देखी केॅ ऐलोॅ छै, लागै छै ओकरा सें हुनकोॅ माथोॅ रंगी गेलोॅ छै..."
"से तेॅ हम्मूं गमी रहलोॅ छियै।"
"एकरा सें जानै छैं की होतै?"
"की होतै?"
"जे आय तांय नै हुवेॅ पारलै।"
"मतलब?"
"मतलब साफ छै।"
"ऊ की?"
"देख, धनुक लाल के सामना में पचकठिया जमीन छै। छै?"
"एकदम छेकै।"
"सरकारी छेकै?"
"एकदम छेकै।"
"वै पर कोय कब्जा नै जमावेॅ पारेॅ।"
' एकदम नै। "
"लेकिन हम्में चाहै छियै।"
"ऊ तेॅ एकदम ग़लत।"
"छोड़ ग़लत आरो सही।"
" पर ई केना केॅ संभव छै? '
"मुखिया केॅ आरो धनुकलाल के खिलाफ भड़काय केॅ, कैन्हें वही सबसें ज़्यादा विरोध करतै, जबेॅ ऊ जमीन हम्में आपनोॅ अधिकार में लै लेॅ चाहवै।"
"अरे, ऊ जमीन तेॅ..."
"ठीक कहलैं, ऊ जमीन मन्दिर वास्तें छेकै। यही नी?"
"हों!"
"तेॅ हम्में कोॅन ओकरा आपनोॅ मकान वास्तें लेवै। मंदिरे वास्तें लेवै।"
"तेॅ तोही कैन्हें?"
"देख वीरो, ऊ जमीन जोॅन जग्घा में छै, बड़ी कीमती छै। जों मंदिर बनी जाय छै तेॅ दस गाँव के रास्ता में पड़तै। भक्त के की कमी होतै। आरतिये के पैसा नै राखेॅ पारवै। जों धनुकलाल दस के सहयोग सें मन्दिर बनाय छै, तेॅ वैपर हमरोॅ अधिकार तेॅ नहिये नी होतै।"
"लेकिन विचार तेॅ सालोॅ सें यही छै।"
"रहला सें की होतै।"
"की होतै? तोरोॅ साथ के देतौ?"
"मुखिया।"
"मुखिया के होय छै?"
"मुखिया सब होय छै। गाँव के राजा होय दै।"
"तेॅ राजा के की मतलब होय छै-अन्याय?"
"सब चलै छै।"
"लेकिन होन्होॅ सोचवो अपराध छेकै।"
"तोरा कहवे ग़लत होलै।"
"ओझा, तोरोॅ ई सोचवे ग़लत छेकौ।"
"चुप रहें।"
"हम्में चुप रहवो करवौ तेॅ की-गाँव चुप थोड़े रहतौ।"
"सब रहतै। मुखिया जे छै।"
"लोभ नै करैं ओझा। आग भड़कतौ।"
"मुखिया सब बुझाय देतै।"
"मुखियो ई आग सें नै बचेॅ पारतै।"
"तोरोॅ माथोॅ खराब छौ।"
"तोरा जे करना छौ, करैं। हमरा नै सुनाव।"
"तेॅ कान-मूं सीले राखिएं। ई बात बोलिऐं नैं।"
"बोलवो तेॅ नै, मजकि तोहें आग सें खेली रहलोॅ छैं, जानी ले।"
"तोरा सिनी पोखर-नद्दी बनी केॅ कथी लेॅ छैं।"
ओझा हँसी केॅ बोललै आरो मुखिया घोॅर दिश चली देलकै।
आय गाँवे के शिवाला में नै, धनुक लाल के सामना वाला पंचकठिया जमीन पर बच्चा-बुतरु सिनी उछली कूदी रहलोॅ छै। दस-दस बच्चा के तीन टोली बनलोॅ होलोॅ छै। आरो तीनो टोली अलग-अलग किसिम के खेल खेली रहलोॅ छै। सबसें ज़्यादा बच्चा छै रेखिया के टोली में। रेखिया सब छौड़ी के हाथ पकड़ी नाँची-नाँची गावी रहलोॅ छै-
एक मटर पैलेॅ छी
एँड़िया तर नुकैलेॅ छी
सातो गोतनी पीसै छै
एक गोतनी रूसली
केकरा लेॅ?
बुढ़वा लेॅ
बुढ़वा गेलोॅ छै बारी
कौआँ नोचै छै दाढ़ी
छोड़, छोड़ रे कौआ
अब नै जैबौ बारी
हाथी पर हथमान भैया
घोड़ा पर रजपूत
डोली पर बिहौती कनियाँ
खोपोॅ हुएॅ मजबूत।
रेखिया केॅ है रं मस्ती में खेलतें देखी केॅ सुगियो के मोॅन हुमची उठलै। ऊ अभी तांय आपनोॅ सहेली सिनी साथें उथरोॅ-बिथरोॅ खेल खेली रहलोॅ छै। सुगियां सबकेॅ उठैलकै आरो एक-दूसरा के हाथ पकड़ी घूमी-घूमी गावेॅ लागलै,
अलिया गे झलिया गे
बाप गेलौ पुरैनिया गेे
लानतौ लाल-लाल बिछिया गे
कोठी तर छिपैयैंगे
बालू में नुकैयैं गे
झमकल-झमकल जैहियें गे
सास केॅ गोड़ेॅ लगिहें गे
ननदी केॅ ठुनकैहियैं गे।
दस बरस के सहदेवा के टोली सबसें अलगे-आपनोॅ धुनोॅ में मस्त छेलै। सब एक-दुसरा केॅ बुझौवल पूछै में मस्त। तखनिये भदवा चन्दर वहाँ वही मंडली में पहुँची गेलै आरो कहलकै, " देखें, हम्में एक्के साथ, पाँच बुझौवल पूछै छियै, जे पाँचो के अर्थ बतैवै, वही राजा। आरो वैं पाँच बुझौव्वल राखलकै,
चानी हेनोॅ चकमक, बीच दू फक्का
जे नै जानेॅ, जे नै जानेॅ ओकरोॅ हम्में कक्का।
हाथ गोड़ लकड़ी पेट खदाहा
जे नै बूझै ओकरोॅ बाप गदहा।
फरेॅ नै फूलै, ढकमोरै गाछ।
चलै में रीम-झीम, बैठै में थक्का
चालीस घोॅर, पैतालीस बच्चा।
हमरोॅ राजा केॅ अनगिनती गाय
रात चरै दिन बेहरल जाय।
सब लड़का एक्के साथ चिल्लावेॅ लागलै-दाँत, नाव, पान, रेल, तारा।
तखनिये सरबतियो आपनोॅ पाँच सखी साथें आवी गेलै आरो सहदेवा आरनी केॅ नाम बतैतें देखी समझी गेलै कि बुझौवल चली रहलोॅ छै, तेॅ वैं कहलकै, " हम्में एक्के बुझौवल पूछै छियौं, जों ओकरोॅ उत्तर मिलतै, तेॅ हम्में समझवै कि तोरा सिनी जीतला, हम्में हारलौं। बुझौवल छेकै-
यहाँ, महाँ, कहाँ छोॅ गोड़ दू बाँही
पीठो पर जे नाङ नाचै से तमाशा कहाँ
सब चुप तेॅ सरबतियां हँसतें कहलकै-सब मात, एकरोॅ अर्थ छेकै-तराजू।
खेल खतम होला के बाद भदवा चन्दर कहलकै-सुन बुतरू सिनी आरो तोर्हो सिनी सुगिया, कल सें खेल-कूद यहेॅ जमीनोॅ पर चलतै, शिवाला पर जाय के काम नै। जब तांय यै जमीनोॅ पर मंदिर नै बनी जाय छै, तब तांय खेल-कूद यहीं। "
बच्चा सिनी के खुशी केॅ तेॅ जेना कोय ठिकानोॅ नै रही गेलोॅ छेलै।