भरोसा / संतोष भाऊवाला

Gadya Kosh से
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शादी का ख्वाब संजो कर वह दुबई से भारत आया था।.चार दिन बाद टीका का लगन था, वह अन्य तैयारियों में जुट गया। इस बीच, तिलक के नेग के पहले दिन, दुबई से अदनान का फोन आया, दुबई में अदनान के एक रिश्तेदार की वजह से दोनों में जान पहचान थी। अदनान ने कहा “तुम वहां झुंझनु में हो, वहीँ सलीम चौहान रहता है जिसके पास मेरे कुछ रुपये हैं। बहुत बड़ी जरुरत आन पड़ी है, कृपया वो रुपये उससे लेकर भिजवा दो।

“दोस्ती की खातिर वह पैसे लेने चला गया। तभी वहां छापा पड़ा, पुलिस ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया। उसने बहुत समझाने की कोशिश की, कि वह दोस्ती की खातिर पैसे लेने आया है पर किसी ने उस पर विशवास नहीं किया। बान बिठाने की बजाय हवालात में जा पहुंचा। जिन हाथों पर शादी की मेहंदी लगनी थी, उन पर अपराध का दाग पड़ गया। बाद में पता चला कि सलीम चौहान कोई गिरोह का मुख्या था, जो तस्करी की अफीम की कीमत भेजने को पैसे मंगवा रहा था। हवालात में बैठा सोच रहा था... आँख बंद करके भरोसा करना कितना महंगा पड़ा।

किसी धोखेबाज मित्र के चक्कर में खुद के सपनो का महल जला बैठा।