भाई-बहन का प्रेम / सुरेश सौरभ

Gadya Kosh से
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'हाँ पिंकी बोल रही हो।'

'जी'

'हाँ मैं पार्टी मुख्यालय से रंगीलाल बोल रहा हूँ। तुम मुझे जानती होगी।'

'जी बिलकुल।'

' देखो जो हुआ उसे भूल जाओ शाम को हमारे नेता जी आएंगें, वह तुमसे माफी मांग लेंगे, तुम उनको राखी बांध देना और सारा किस्सा खत्म करना।

"आदरणीय आप जानतें हैं कि आप के नेता ने मुझे लात-घूसों से सरेआम पीटा है। अगर मैं जनता की बात, जनता की समस्या जनप्रतिनिधि से कहूंगी तो क्या इसका फल मुझे यह मिलेगा। मैं इस का बदला ले कर रहूंगी। मुझे न्याय चाहिए."

" देखो ज़्यादा जोश ठीक नहीं कुछ पत्रकारों ने तुम्हे पिटते हुए वीडियो बनाकर वायरल कर दी है। इससे हमारी पार्टी की इज्जत जा रही है। मेरा कहना मान लो वर्ना। '

'वर्ना क्या करेंगे आप।'

' दरअसल मैं कितना नीच हूँ। पार्टी कितनी ऊंची है। यह बात तुम बड़ी अच्छी तरह जानती हो। तुम्हारी खुशी और संपन्नता इसी में है कि तुम उस प्रकरण को भूल जाओ और हमारी पार्टी के नेता को माफ कर दो। "

पिंकी ने अब खामोशी से फोन रख दिया। वह ऊंची पार्टी के नीच नेता की आसुरी शाक्तियों से भलीभांति परिचित थी।

शाम को पीटने वाले नेताजी और उनसे पिटने वाली महिला पार्षद का रक्षाबंधन टीवी में सभी देखा।