भाग 13 / एक पुलिस अधिकारी के संस्मरण / महेश चंद्र द्विवेदी

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स्वच्छ प्रशासन महाभियान

वर्ष 1970 में चौधरी चरण सिंह के मुख्य मंत्री बनने पर उत्तर प्रदेश पुलिस के एक विख्यात अधिकारी श्री एन. एस. सक्सेना आई. जी. के पद पर आसीन हुए। वह न केवल स्वयं सत्यनिष्ठ थे बरन उन्हें पुलिस एवं अन्य शासकीय सेवाओं में बेईमानी समाप्त कर देने का जुनून भी था - उनकी डाइरेक्टर, विजिलेंस के पद पर नियुक्ति के दौरान अनेकों आई्.ए.एस., आई.पी.एस. अधिकारी,इंजीनियर आदि बेईमानी के आरोपों में सस्पेंड हुए थे। उनका मानना था कि नए अधिकारी तुलनात्मक रूप से अधिक ईमानदार होते हैं, अतः उन्होने तमाम नए आई.पी.एस. अधिकारियों को जनपदों के पुलिस अधीक्षक के पद पर नियुक्त कर दिया था, जिनमें मैं भी था और इंटेलीजेंस विभाग में केवल छह माह पूरे करने के बाद ही एस.पी., पीलीभीत नियुक्त हो गया था। श्री सक्सेना ने आई.जी. के पद पर नियुक्त होते ही दो बड़े अभियान चला दिए -

1. अपराधों की सूचनाओं पर एफ.आई.आर. का शत प्रतिशत लिखा जाना - यह सर्व विदित है कि अँगरेजी जमाने से ही थानों में अपराधों की प्रथम सूचना दर्ज करा पाना एक टेढ़ी खीर रही है। श्री सक्सेना का कहना था कि जब एफ.आई.आऱ. ही दर्ज नहीं की जाएगी, तो अपराधी के विरुद्ध कार्यवाही कैसे होगी, और यदि प्रदेश में अपराधों की संख्या कम होगी तो और अधिक पुलिस बल की माँग का क्या औचित्य होगा? उन्होंने स्पष्ट घोषणा कर दी थी कि प्रदेश में पंजीकृत अपराधों की संख्या डेढ़ लाख है जो जमीनी स्थिति के अनुसार कम से कम साढ़े चार लाख होनी चाहिए। अतः उन्होंने स्पष्ट निर्देश निर्गत किए थे कि एफ.आई.आऱ. न लिखे जाने की शिकायत की जाँच पुलिस अधीक्षक गम्भीरता से कराएँ और आरोप सही पाए जाने पर थानाध्यक्ष को अविलम्ब निलम्बित कर दें; और यदि अपराध की गम्भीरता को घटाकर रिपोर्ट लिखी गई हो तो पदावनत कर दें।

2. दुश्चरित्र पुलिसजनों को छाँटकर सेवा से निकालने का प्रयत्न करना अथवा निष्क्रिय कर देना - पुलिस अधीक्षकों को आदेश दिया गया कि निकृष्ट चरित्र के पुलिसजनों के विरुद्ध लम्बित विभागीय कार्यवाही शीघ्र समाप्त कर उनसे विभाग को निजात दिलाने का प्रयत्न किया जाए। इसके अतिरिक्त वे जनपद के सबसे खराब दो प्रतिशत सब-इंस्पेक्टरों और दो प्रतिशत कांस्टेबलों की सूची बनाकर अपने डी.आई.जी. के पास भेजें, जो उनका परीक्षण कर उनमें से सबसे खराब आधे की सूची बनाकर पुलिस मुख्यालय भेजें। पुलिस मुख्यालय उन्हें उनके लिए सीतापुर में नवसृजित बटालियन में स्थानांतरित कर दे। फिर उस बटालियन में कड़े मिजाज के परेड इंस्ट्रक्टर नियुक्त कर इनसे जमकर परेड कराई जाए और उन्हें केवल शांति-व्यवस्था की 'सूखी' ड्यूटी में लगाया जाए।

सौभाग्यवश उन दिनों आई.जी. के काम में आज जितना राजनैतिक हस्तक्षेप नहीं था और स्टे-राज भी आरम्भ नहीं हुआ था, अतः दोनों अभियान तेजी से चल पड़े। श्री सक्सेना के आई.जी. के पद के लगभग एक वर्ष के सेवा काल में पूर्व वर्ष की अपेक्षा लगभग ढाई गुने अपराध दर्ज हुए। इसके अतिरिक्त उनके आदेश के अनुसार छाँटे गए निकृष्ट कोटि के पुलिस कर्मचारी या तो सीतापुर बटालियन, जिसे साइबेरिया कैम्प कहा जाने लगा था, चले गए अथवा डाक्टरों को खिला-पिला कर बीमार घोषित हो गए और छुटृी पर प्रस्थान कर गए। परंतु यह महाभियान पूर्ण सफल नहीं हुआ, क्योंकि :

1. इतने अधिक थानाघ्यक्ष निलम्बित अथवा पदावनत हो गए कि कई जनपदों में थाने का कार्य सुचारु रूप से चलाने को प्रभावी सब-इंस्पेक्टर ही नहीं बचे।

2. साइबेरिया कैम्प में गए पुलिसजनों ने विधायकों केा पटाकर आई.जी. एवं शासन के विरुद्ध गुपचुप अभियान चला दिया। इसमें ऐसे प्रशासकों ने भी बढ़चढ़कर भाग लिया जो श्री सक्सेना के डाइरेक्टर, विजिलेंस के काल में पीड़ित हो चुके थे। अतः इस गुपचुप अभियान तथा तत्कालीन राजनैतिक परिस्थितियों के फलस्वरूप लगभग छह माह में मुख्य मंत्री परिवर्तित हो गए और उसके कुछ माह पश्चात ही आई.जी. भी बदल दिए गए। नए आई.जी. छाँटकर ऐसे लाए गए, जिनकी आस्था 'जियो और जीने दो' के सिद्धांत में थी, और फिर सबकुछ पुराने ढर्रे पर आ गया।

परंतु फिर भी ये महाभियान उस महाभियान की तुलना में कहीं अधिक सकारात्मक रहे जो हाल में आई.ए.एस. एसोसियेशन ने तीन महाभ्रष्ट आई.ए.एस.अधिकरियों की पहचान और उनके विरुद्ध शासन द्वारा कार्यवाही कराने हेतु चलाया था। इसके लिए आई.ए.एस. अधिकारियों ने सीक्रेट वोटिंग कर तीन महाभ्रष्ट आई.ए.एस. अधिकारियों को चुना और उनके विरुद्ध कार्यवाही हेतु सूची मुख्य सचिव को सौंप दी। शासन ने उनके विषय में बड़ी रोचक कार्यवाही की - उनमें से एक को एक मुख्य मंत्री ने अपना प्रमुख सचिव बनाकर सर्वशक्तिमान बना दिया और दूसरे को एक अन्य मुख्य मंत्री ने मुख्य सचिव के सर्वोच्च पद पर स्थापित कर दिया और अब तीसरी के शीघ्र ऐसे ही पद पर शोभायमान होने की सम्भावना है। एक सिनिक का कहना है, आई.ए.एस. एसोसियेशन ने तीन महाभ्रष्ट का चयन कर मुख्य मंत्रियों को कमाऊ पूत की तलाश करने की तवालत से निजात दिला दी है।