भाग 17 / एक पुलिस अधिकारी के संस्मरण / महेश चंद्र द्विवेदी

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एक पुलिस अधिकारी के संस्मरण

पुलिस से एनकाउंटर के दौरान बदमाशों का सफा़या कर देना पुलिस कार्य में त्वरित सफलता एवं जनसाधारण प्रभावी पुलिसमैन की ख्याति अर्जित करने का उपयोगी एवं जनस्वीकार्य साधन है। इसका सहोदर है काउंटर जिस बदमाशों का पुलिस से एनकाउंटर दिखाते हुए उनका सफा़या कर दिया जाता है। काउंटर भी पुलिस कार्य की सफलता में उपयोगी एवं जनस्वीकार्य साधन है। चूँकि बदमाश प्रायः पुलिस से एनकाउंटर होने से बचते रहते हैं, अतः पुलिसजनों को एनकाउंटर के अवसर कम ही मिलते हैं और उन्हें मजबूरन काउंटर के सुअवसरों को ढूँढ़ना पड़ता है। इन अवसरों की प्राप्ति हेतु ग्रामीण वातावरण अधिक उपयुक्त होता है, अतः पुलिस इसे गाँवों के एकांत में बखूबी अंजाम देती रहती है। गाँव वालों ने अपनी आदत के अनुसार बोलचाल की भाषा में सहजता लाने हेतु एनकाउंटर का नाम 'काउंटर' रख दिया है।

पहले मैं समझता था कि 'काउंटर' करना भारतीय पुलिस का स्वदेशी आविष्कार है परंतु विगत वर्ष मेरा यह भ्रम टूट गया। पाश्चात्य देशों भी दुरूह प्रकरणों सुनिश्चित न्याय दिलाने हेतु इस फार्मूले का प्रयोग किया जाता है। वर्ष 2002 मैं अटलांटा (यू.एस.ए.) था कि एक सुबह टी.वी. खोलने पर देखता हूँ कि एक अपार्टमेंट-बिल्डिंग को तमाम पुलिस वाले घेर रहे हैं और उन रहने वाले लोगों को अपने-अपने अपार्टमेंट्स से तुरंत बाहर आने की ध्वनिविस्तारक पर घोषणा कर रहे हैं। उनकी सारी कार्यवाही हेलीकॉप्टर बैठे किसी प्रेस के कैमरामैन के द्वारा टेलीवाइज की जा रही थी और ऐक्शन फिल्म देखने जैसा आनंद दे रही थी। पुलिसवाले बिल्डिंग को खाली करा रहे थे और किसी भी व्यक्ति को उससे लगभग तीन-चार सौ गज की दूरी पर ही रहने दे रहे थे। पत्रकार और प्रेस फोटोग्राफर, जो अपने को रसगुल्ले की तरह भरा पेट होने पर भी पेट जगह बना लेना वाला समझते हैं, के भी बिल्डिंग के नजदीक पहुँचने के प्रयत्न पर कड़ाई से मुमानियत थी। बिल्डिंग खाली होने के बाद पुलिसवालों के एक कॉर्डोन ने समस्त दर्शकों को बिल्डिंग से इतनी दूर कर दिया कि कोई भी एक अपार्टमेंट विशेष होने वाली कार्यवाही को न देख सके। फिर कुछ पुलिसमैन हाथों में हथियार ताने धीरे-धीरे उस अपार्टमेंट की ओर बढ़े। उनके उस अपार्टमेंट के नजदीक पहुँचने पर उनसे कुछ बिल्डिंग की दूसरी तरफ जाकर सबकी आँखों से ओझल हो गए। अचानक फायरिंग की आवाज आई। पुलिसवाले से सूचना प्राप्त कर टी.वी. पर बताया गया कि संबंधित अपार्टमेंट में एक अपराधी है जो बिल्डिंग से बाहर नहीं आया है, और वही पुलिसवालों पर फायर कर रहा है। कुछ देर बाद वहाँ से फायरिंग की कई आवाजें सुनाई दीं, और फिर सब शांत। काउंटर पूरा हो चुका था और अमेरिका की 'जागरूक' जनता और हेलीकॉप्टर तक से ऐसी घटनाओं को कवर करने वाले प्रेस तक को विश्वास था कि अपराधी द्वारा पुलिस पर फा़यरिंग करते समय पुलिस द्वारा आत्मरक्षा गोली चलाने पर अपराधी मारा गया। किसी भी मीडिया पुलिस की काउंटर की थ्योरी पर संदेह नहीं जताया गया; परंतु चूँकि मैं काउंटर के नखशिख से परिचित रहा हूँ, अतः मुझे विश्वास है कि यह पुलिस एनकाउंटर भी ठेठ भारतीय काउंटर के समान था। हुआ यह था कि उस व्यक्ति की पत्नी ने पुलिस को फोन किया था कि उसके पति ने उसे पीटा है और शूट करने वाला था कि वह अपार्टमेंट से भाग आई। इस पर जब एक पुलिस वाला उसे पकड़ने वहाँ पहुँचा तो उस व्यक्ति ने पुलिस वाले पर गोली चला दी जो उसके पैर में लग गई थी। अब अमेरिकन पुलिस ऐसी हरकत कैसे बर्दाश्त कर सकती थी, जब उनके प्रेसीडेंट बुश सद्दाम द्वारा अपने पिता पर हमला करवाने के प्रयत्न का बदला पूरे इराक को तहस-नहस कर लेते हैं? बस फिर क्या था, अमेरिकन पुलिस की भाषा में लाइन ऑफ ड्यूटी हो गया काउंटर।

काउंटर के औचित्य और अनौचित्य पर उतनी बहस की जा सकती है जितनी ईश्वर के अस्तित्व और अनस्तित्व पर। मानवाधिकारवादियों, न्यायविदों एवं अपराधियों को येन केन प्रकारेण दण्ड से बचाने के 'सद्कार्य'-रत वकीलों के द्वारा काउंटर की गला फाड़-फाड़ कर भर्त्सना की जाती है और काउंटर को हत्या की संज्ञा दी जाती है परंतु उनसे कोई हमारी धरातलीय परिस्थितियों में उसका विकल्प सुझाने में समर्थ नहीं हुआ है, और अपने ऊपर बीतने पर प्रायः सभी स्वयं उसकी माँग करते देखे गए हैं। यह विषय विवाद का नहीं हे कि काउंटर करना न्याय संहिता के अनुसार अपराध है, परंतु प्रश्न यह है कि जब न्यायिक प्रक्रिया इतनी शिथिल एवं अशक्त हो कि अपराधी एवं आतंकवादी साम-दाम-दंड-भेद से उसे अपनी मुट्ठी में कर लें तो क्या पुलिस जनता की जान,माल और इज्जत तथा देश की रक्षा के अपने उततरदायित्व को तिलांजलि देकर हाथ पर हाथ रख कर बैठ जाए? अँगरेजी जमाने में उत्तरी और मघ्य भारत पिंडारियों द्वारा की जाने वाली लूट और हत्याओं से आतंकित था; पिंडारियों की मान्यता थी कि लूटकर हत्या कर देने से देवी प्रसन्न होती हैं। काउंटर के प्रभावी प्रयोग से कर्नल स्लीमन ने उनका सफाया कर ऐसे नरपशुओं से भारतभूमि को मुक्ति दिलाई थी और आज तक उनका नाम बड़े आदर से लिया जाता है। निर्दोषों की हत्या कर खालसा राज स्थापित करने का प्रयत्न करने वाले दुर्दांत आतंकवादियों से देश को त्राण दिलाने का प्रमुख श्रेय काउंटर नामक हथियार को भी दिया जाना चाहिए। समाज व्याप्त आपराधिक बीमारी के लिए कानूनी प्रक्रिया मेडिसिन के समान है, तो काउंटर आपरेशन के समान है। यदि मेडिसिन अप्रभावी हो और आपरेशन भी न किया जाए तो सारा शरीर सड़ जायगा। समाज की रक्षा के उत्तरदायित्व के पद पर आसीन कोई व्यक्ति समाज को सड़ कर नष्ट हो जाने के लिए नहीं छोड़ सकता है। जब मैं एस.एस.पी., बरेली के पद पर नियुक्त था तो शीत काल डकैतों का आतंक बढ़ जाने पर एक बड़े ही नरमपंथी मुख्य मंत्री ने मुझसे कहा था कि दो-चार डकैतों का एनकाउंटर करा दो, अपने आप समस्या हल हो जाएगी। इसी प्रकार एस.एस.पी., लखनऊ के पद पर मेरी नियुक्ति के दौरान एक इंस्पेक्टर द्वारा जब एक गुंडे का काउंटर कर दिया गया तो एक बड़े ही आदर्शवादी मुख्य मंत्री ने भूरि-भूरि प्रशंसा की थी।

यह सच है कि काउंटर केवल सामाजिक कल्याण का अस्त्र नहीं है वरन कुछ पुलिस कर्मियों की माली सेहत, विभाग तरक्की, और अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनने की दिमागी मजबूरी के लिए भी बड़ा मुफीद है। कई नामी-गरामी पुलिसकर्मी 'काउंटर' के दौरान अपनी बहादुरी के किस्से गढ़कर आउट ऑफ टर्न प्रोन्नति पाए हुए, बहादुरी का तमगा़ अपनी चौड़ी छाती पर लगाए हुए, और आजीवन रेल की फ्री यात्रा का सुख भोगते हुए देखे जा सकते हैं। कोई-कोई 'चुस्त-दुरुस्त' किस्म के पुलिस अधिकारी उन प्रकरणों तक मेडल हथिया लेते हैं जिन वे काउंटर के दौरान अपने घर आराम से बिस्तर पर खर्राटे ले रहे होते हैं। वैसे अब मेडल अपनी पैरवी कर पाने की निपुणता के सद्गुण पर भी दिए जाने लगे हैं। जब मैं एस.एस.पी., फैजाबाद के पद पर नियुक्त था तो डी.आई.जी. द्वारा ली जा रही क्राइम मीटिंग में पुलिस से हुई मुठभेड़ों की समीक्षा के दौरान जब उन्होंने पाया कि अन्य किसी भी जनपद में एक-दो से अधिक एनकाउंटर नहीं हुए थे परंतु उसी अवधि में बहराइच जैसे तुलनात्मक रूप से कम अपराध वाले जनपद में 34 काउंटर हो गए थे, तो उनके मुँह से अनायास निकल पड़ा था : 'भई, किसी रिक्शे वाले को जिंन्दा भी रहने दोगे?' कभी-कभी नामी काउंटर -एक्सपर्ट द्वारा किए जाने वाले काउंटर्स के अनुपात में उनकी माली हालत इजाफा़ होते हुए भी परिलक्षित होता पाया गया है।

मुझे तो लगता है कि काउंटर ईश्वर का एक अमोघ अस्त्र है - जिस पर चल गया उसकी खैर नहीं। यह बात अलग है कि जब देवताओं के हाथ में होता है तब दुष्टों का विनाश कर जनसाधारण के जीवन, धन एवं सम्मान का रक्षक बनता है और दानवों के हाथ में पड़कर अन्याय का उपचारविहीन साधन।