भारत-पाक में राजनीति और क्रिकेट का नशा / जयप्रकाश चौकसे

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भारत-पाक में राजनीति और क्रिकेट का नशा
प्रकाशन तिथि : 03 अगस्त 2018

पाकिस्तान के भावी हुक्मरान इमरान खान ने अपने शपथ लेने के अवसर पर सुनील गावसकर, कपिल देव, नवजोत सिंह सिद्धू और आमिर खान को आमंत्रित किया है। यह भी उम्मीद की जा रही है कि वे अपने समकालीन इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के खिलाड़ियों को भी निमंत्रित करेंगे। राजनीति क्षेत्र में खिलाड़ियों के आगे आने से ताज़गी और ऊर्जा की उम्मीद की जा सकती है। सर गारफील्ड सोबर्स भी अपने द्वीप के शिखर राजनीतिक सदन में सक्रिय रह चुके हैं। वेस्टइंडीज नामक कोई देश नहीं है। अनेक द्वीपों से चुने गए खिलाड़ी वेस्टइंडीज के नाम से क्रिकेट खेलते रहे हैं। क्रिकेट केवल उन देशों में खेला जाता है, जहां कभी इंग्लैंड ने हुकूमत की थी। क्रिकेट की पृष्ठभूमि पर आशुतोष गोवारीकर और आमिर खान ने महान फिल्म 'लगान' बनाई, जो दरअसल आम आदमी की बेरहम शक्ति पुंज से लड़ाई की शौर्यगाथा थी। एमएस धोनी बायोपिक बनाया गया और तेंडुलकर प्रेरित कथा फिल्म भी बनाई गई।

फिल्म 'लव मैरिज' में देव आनंद बल्लेबाज की भूमिका में नज़र आए। सर डॉन ब्रैडमैन के जादुई खेल को चोट पहुंचाने के लिए बॉडी-लाइन गेंदबाजी की गई। लेग साइड पर क्षेत्र रक्षकों का जमावड़ा और गेंद टप्पा खाकर सीधे बल्लेबाज की पसली पर चोट पहुंचे, ऐसी रणनीति बनाई गई। इस घातक क्रिकेट दांव के कारण इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के राजनीतिक संबंध खतरे में पड़ गए थे। इस बॉडी-लाइन गेंदबाजी पर एक लंबा वृत्तचित्र भी बनाया गया था। बॉडी-लाइन गेंदबाजी इंग्लैंड के कप्तान डगलस जार्डिन के दिमाग की उपज थी। अवाम ने बतौर दंड जार्डिन को एक चुनाव में मात दी और सामाजिक संस्थाओं में उसका बहिष्कार किया गया। अवाम की अदृश्य रहने वाली अदालत में कोई जिरह नहीं होती और न ही झूठी गवाही की गुंजाइश होती है। सलीम-जावेद की फिल्म में अमिताभ बच्चन और शशि कपूर अभिनीत पात्र व्यावसायिक तौर पर झूठी गवाही देते हैं और एक मुकदमा उन्हें हिलाकर रख देता है। वे झूठी गवाही का व्यवसाय छोड़ देते हैं। इस दृश्य पर मध्यांतर होता है जहां दरअसल फिल्म समाप्त हो जाती है परंतु कहानी को खींचा गया। यह उनकी एकमात्र असफल फिल्म रही। अब पाकिस्तान के इस्लामाबाद में इन खिलाड़ियों की मुलाकात होगी गोयाकि राजनीति के घाट पर इन संत खिलाड़ियों का मिलन होगा। जीवन के किसी भी क्षेत्र में बेईमानी की जाती है तो अंग्रेजी भाषा के मुहावरे 'इट इजन्ट क्रिकेट' का इस्तेमाल किया जाता है। इस लिहाज से वर्तमान की राजनीति 'क्रिकेट नहीं है'। क्या क्रिकेट खिलाड़ियों का राजनीति में प्रवेश दुनिया में अमन ला सकता है। कल्पना करें कि कपिल देव भारत के प्रेसीडेन्ट चुन लिए जाएं और रक्षा मंत्री सुनील गावसकर हों, वित्त मंत्री किफायती गेंदबाज बापू नाडकर्णी हों तो क्या सुलगती सरहदें शांत हो जाएंगी, परंतु परेशानी यह है कि चीन में क्रिकेट नहीं खेला जाता और इस समय उसकी हैसियत 'थर्ड अम्पयार' की है। सारे एक्शन रिप्ले वही देखता है। हमारे राजनीतिक सरगना बल्लेबाजी करें तो बोल्ड ऑउट होने पर उनका अपना अम्पायर उसे 'नो बॉल' घोषित कर देगा। उनके रन ऑउट होते समय पिच स्वयं को छोटा कर लेगा और वे नॉट ऑउट रहेंगे।

क्रिकेट में सट्‌टा खेला जाता है और सट्‌टा संचालक खंडाला या पनवेल में अपना काम करते हैं ताकि पुलिस की निगाह में नहीं आएं। पुलिस हर ठिकाने को जानती है परंतु उन्हें उनका 'हफ्ता' मिलता रहता है, इसलिए वे आंख बंद कर लेते हैं। पुलिस वालों के वेतन इतने कम हैं कि वे मजबूर हैं। उन्हें किसी तीज-त्योहार पर छुट्‌टी नहीं मिलती। पूरी व्यवस्था में ही सड़ांध फैली हुई है। इमरान खान अपने दौर के सबसे घातक गेंदबाज और क्रिकेट राजनीति के चाणक्य रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया में आयोजित विश्वकप में पाकिस्तानी टीम अपनी लीग में पिछड़ रही थी परंतु इमरान खान की रणनीति उन्हें हर संकट से बचाते हुए विश्वकप जिताने में सफल रही। अब इमरान खान से उम्मीद की जा सकती है कि वे पाकिस्तान को अमेरिका और चीन के प्रभाव से मुक्त कराकर उसे सचमुच में एक स्वतंत्र देश बना पाएंगे। पाकिस्तान औद्योगिक रूप से अत्यंत पिछड़ा हुआ देश है। अजीब बात यह है कि पाकिस्तान के पंजाबी सूबे में पंजाबी व अंग्रेजी बोली जाती है, सिंध इलाके में सिंधी बोली जाती है परंतु राष्ट्र भाषा उर्दू को बनाया गया है, जबकि उर्दू बोलने वालों की संख्या भारत में पाकिस्तान से कहीं अधिक है। भाषाएं सरहदों से नहीं बंधतीं। पाकिस्तान में बेरोजगारी भारत से अधिक है। राजनीतिक स्वतंत्रता आर्थिक स्वतंत्रता और सच्ची शिक्षा के बिना अधूरी रहती है। निदा फाज़ली दोनों मुल्कों के बारे में फरमाते हैं - 'आज़ाद न तू, आज़ाद न मैं, तस्वीरें बदलती रहती हैं, परंतु दीवार वही रहती है'। आर्थिक पराधीनता की दीवार चीन की दीवार से अधिक मजबूत है।