भारत एक खोज नेहरू के रास्ते, सांस्कृतिक विविधता के वास्ते / जयप्रकाश चौकसे

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प्रकाशन तिथि : 14 नवम्बर 2021


सांस्कृतिक विविधता के वास्ते अगले सप्ताह श्याम बेनेगल पर एक वृत्तचित्र की शूटिंग शुरू होने जा रही है। श्याम बेनेगल को नेहरू जी के बारे में पहली जानकारी उस समय मिली जब उन्होंने नेहरू जी के खत अपनी बेटी इंदिरा के नाम पुस्तकालय में पढ़े। नेहरू जी ने यह पत्र नैनीताल की जेल में लिखे थे। श्याम बेनेगल ने नेहरू की ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ अपनी जवानी में पढ़ी। इस किताब ने उनकी विचार प्रक्रिया में तर्क सम्मत विचार और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास किया।

श्याम बेनेगल ने नेहरू जी को पहली बार हैदराबाद में देखा, जब पंडित नेहरू जनरल जेएन चौधरी के साथ घुड़सवारी करते हुए उधर से गुजरे। दूसरी बार बेनेगल ने नेहरू जी को 1958 में नजदीक से तब देखा जब वे यूथ फेस्टिवल को प्रारंभ करने आए थे। नेहरू जी ने संचार विधा पर बात की थी। कुछ वर्षों पश्चात श्याम बेनेगल ने भारत-रूस सौजन्य से नेहरू जी पर 3 घंटे का वृत्तचित्र बनाया। इस घटना के कुछ वर्ष पश्चात दूरदर्शन के लिए श्याम बेनेगल ने ‘भारत एक खोज’ बनाया। उस समय दूरदर्शन ने अपनी विज्ञापन दरों में परिवर्तन कर दिया था। जिससे नाराज उद्योगपतियों ने विज्ञापन देना बंद कर दिया।

बेनेगल ने हमेशा अपने काम को अनावश्यक तड़क-भड़क से दूर रखा। वे सादगी और विश्वसनीयता के मंत्र का जाप करने वाले फिल्मकार रहे। उनकी कथा फिल्में ‘अंकुर’ और ‘निशांत’ में भी सामंतवादियों के मकान में सादगी पर ध्यान दिया गया है। पत्रकार राजेंद्र माथुर ने नेहरू के सपनों के भारत को अपने अनेक लेखों में रेखांकित किया है। ‘ए मैन फॉर ऑल सीजन’ नामक एक किताब के अनुसार...जब अटल बिहारी वाजपेयी 1977 में विदेश मंत्री बने और अपने साउथ ब्लॉक स्थित दफ्तर में गए तो उन्होंने देखा कि एक दीवार से कोई चित्र हटाया गया है। अटल जी ने आदेश दिया कि नेहरू का वह चित्र तुरंत ही अपने स्थान पर लगाया जाए। नेहरू ने एशियाई खेलों के आयोजन किए। मिल्खा सिंह ने इसी में नाम कमाया। इसका विश्वसनीय विवरण राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फिल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ में विस्तार से किया गया है। ज्ञातव्य है कि माधवन के. ने अपनी टीम के साथ 8 वर्ष तक परिश्रम करके ‘नेहरू समग्र’ ‘सेलेक्टेड वर्क्स ऑफ़ नेहरू’ का प्रकाशन किया। इस तरह का कार्य उन्होंने गांधीजी पर भी किया। यह दोनों संग्रह आज भी सुरक्षित है। नेहरू के मन में गंगा के प्रति गहरा आदर रहा। नेहरू ने गंगा का विवरण एक कवि की तरह किया है। वे लिखते हैं कि ‘गंगा से लिपटी हुई है भारत की जातीय स्मृतियां, उसकी आशाएं और उसके भय, सुबह की रोशनी में गंगा को मुस्कुराते, उछलते कूदते हुए देखा है और ढलती हुई शाम के साए में उदास काली सी चादर ओढ़े हुए भेद भरी, जड़ों में सिमटी सी आहिस्ता बहती हुई धारा और बरसात में दौड़ती हुई समुद्र की तरह, चौड़ा सीना लिए संसार को नष्ट करने की ताकत लिए, यह गंगा मेरे लिए निशानी है भारत की प्राचीनता की, उसकी यादगार की जो बहती आई है वर्तमान तक और बहती चली जा रही है भविष्य के महासागर की ओर।

नेहरू युग में बने भाखड़ा नांगल बांध, दामोदर घाटी योजना, भिलाई इस्पात कारखाना, साहित्य व कला अकादमी, बेंगलुरु विज्ञान संस्थान की यात्रा करने की प्रबल इच्छा कुछ लोगों के मन में है। उम्रदराज व्यक्तियों के जवान दिल भी इसके लिए धड़कते हैं। नेहरू को प्रिय थी रॉबर्ट फ्रॉस्ट की एक कविता। इसका एक भाग है-‘वनपथ है प्रियतर, घोर अंधेरे और घनेरे, लेकिन वादे हैं जो करने हैं पूरे और दूर जाना है मीलों, सोने से पहले, मीलों सोने से पहले। राही मासूम रज़ा की कविता ‘आईना सूरज का मातम करें.. आज इक रोशनी की गिरह कर गई दोपहर कितनी तारीक है, सूझता नहीं कौन हमसे दूर है कौन पास है।’