भाषा का आयात और निर्यात / जयप्रकाश चौकसे

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भाषा का आयात और निर्यात
प्रकाशन तिथि : 28 मई 2018


हुकूमते बरतानिया की आर्थिक दशा दयनीय है। आयरलैंड के अलग होते ही उनके हाथ से स्कॉच व्हिस्की का निर्यात भी निकल जाएगा। दुनिया के सभी देशों में शराब बनाई जाती है परंतु वहां कि स्कॉच को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। यह वहां के पानी नहीं वरन् उस लकड़ी के कारण संभव है, जिसमें शराब रखी जाती है। वह लकड़ी कुछ भी सोखती नहीं है वरन उसे एक महक भी देती है। बारह वर्ष तक लकड़ी के पात्र में रखने के बाद उसे बाजार में भेजा जाता है और उसे ब्लैक लेबल कहते हैं। बारह वर्ष से कम संजोए रखने के बाद बाजार में उसे रेड लेबल कहा जाता है। शराब और चावल जितने पुराने होते हैं, उतने महंगे बेचे जाते हैं। इस क्षेत्र में उम्रदराज होने का मूल्य है। भारत में उम्रदराज होना अपमानास्पद हो सकता है और कष्टप्रद भी। एक फिल्म का नाम था 'नो कंट्री फॉर ओल्डमैन'। इंग्लैंड अपने उम्रदराज लोगों की कद्र करता है।

कुछ वर्ष पूर्व उन्होंने अपने उम्रदराज लोगों को उनकी रजामंदी लेकर भारत भेजा था, क्योंकि यह उन्हें सस्ता एवं सुविधाजनक लगा था। भारत में उन पर भारतीय रुपए में खर्च करने का लाभ था। इंग्लैंड का पाउंड महंगा होता है। आजकल डॉलर के मूल्य से मुद्रा का मूल्यांकन होता है। इस समय एक डॉलर का मूल्य लगभग सत्तर रुपए हो गया है। सरकार को रुपए के अपमान की कोई चिंता नहीं है।

अंग्रेजी भाषा में विश्व के अनगिनत ग्रंथों का अनुवाद किया जा चुका है। 1862 में सर रिचर्ड बर्टन ने विज्ञापन दिया कि वात्स्यायन के 'कामसूत्र' के अनुवाद के लिए धन दान में दिया जाए और एकत्रित धन से अनुवाद का कार्य संपन्न किया गया। कुछ समय बाद बर्टन महोदय ने एक उपन्यास लिखा 'बॉडी एंड सोल' जिसका सूत्र वाक्य महात्मा गांधी का कथन था कि विवाह दो आत्माओं का मिलन है, जो शरीर के माध्यम से होता है। इस उपन्यास का नायक एक जहाज में काम करता है। लंबे समय तक वह यात्रा करता है, अत: पत्नी से दूर रहना होता है। यात्रा में उसे पत्नी की याद इतनी शिद्‌दत से आती है कि उसे यह आभास होता है मानो पत्नी उसके साथ है। वह अगली सुबह अपने मित्रों को बिस्तर पर उभरी सिलवटें दिखाता है यह प्रमाणित करने के लिए कि उसकी पत्नी सशरीर मौजूद थी। कौन यकीन करता कि जमीन से दूर समुद्र में वह क्या हवा में मौजूद थी और सशरीर प्रगट भी हुई तथा सुबह गायब भी हो गई। संभवत: 1938 में बनी एक फिल्म में गीत था 'विरहा ने कलेजा यूं छलनी किया, मानो जंगल में कोई बांसुरी पड़ी हो।' अंग्रेजी भाषा के पहले कवि चॉसर माने जाते हैं, जनकी 'पिलग्रिम्स प्रोग्रेस' आज भी पढ़ी और पढ़ाई जाती है। जॉन मिल्टन ने एक राजनीतिक दल के हजारों प्रचार-पत्र लिखे थे। आंखों पर दबाव के कारण उनकी देखने की क्षमता घट गई। जब उन्होंने महाकाव्य 'पेराडाइज लॉस्ट' लिखा तब वे देख सकते थे परंतु अंधत्व के बाद जो ग्रंथ बोला वह 'पेराडाइज रिगेन्ड' कहलाया। क्या देखने की क्षमता स्वर्ग आकल्पन में मदद नहीं करती और दृष्टि जाते ही स्वर्ग आकल्पन संभव हो जाता है? देखने का काम केवल आंख नहीं करती वरन स्पर्श भी स्पष्टता देता है। नसीरुद्‌दीन शाह ने फिल्म 'स्पर्श' में दृष्टिबाधित व्यक्ति का पात्र अभिनीत किया था। इस फिल्म की शूटिंग के पूर्व स्वयं को भूमिका के लिए तैयार करने के लिए वे अपने घर में अांखों पर पट्‌टी बांधकर चलते थे। कई बार कुर्सी व मेज से टकराए तथा चोटग्रस्त भी हुए। इसे कह सकते हैं, 'स्टूप टू कॉन्कर।' एक शेर है कि 'गिरते हैं सहसवार मैदान-ए-जंग में, वो तिल्फ क्या गिरेंगे जो घुटनो के बल चलें' याद आते हैं दुष्यंत 'न हो कमीज तो घुटनों से पेट ढंक लेते हैं, कितने मुनासिब हैं ये लोग जम्हूरियत (लोकतंत्र) के सफर के लिए।'

भाषा और साहित्य को शक्ति मिलती है जागरूक पाठकों से। मराठी, बांग्ला और कन्नड भाषी किताबें वैसी ही खरीदते हैं जैसे वे अनाज, सब्जी और फल खरीदते हैं। अन्य भाषाओं के पाठक किताब मांगकर पढ़ते हैं और प्राय: लौटाना भूल जाते हैं। इस तरह मांगे का व्यक्तिगत वाचनालय भी बनाया जाता है। एक पढ़ा-लिखा अफसर तबादले पर नए शहर आया और मातहत को हुक्म दिया कि किताबों की दुकान से प्रेमचंद, शरत, बेदी, शेक्सपीयर इत्यादि की किताबें लाएं और हां पढ़ने के लिए कुछ फिल्मी पत्रिकाएं और इब्ने सफी की जासूसी दुनिया भी ले आना। ऐसे पाठक भी होते हैं। इस तरह का अफसर गमले में उगाए गेहूं के अाधार पर अपने क्षेत्र की फसल के आंकड़े सरकार को भेजता है, जो भारत के विकास के दावे करती है।

बहरहाल, ब्रिटिश संसद में बहस हुई कि क्या अंग्रेजी भाषा भारत में पढ़ाई जाए। लोकप्रिय राय यह जाहिर की गई कि अंग्रेजी जानने वाले ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज आएंगे और वापस जाकर स्वतंत्रता की मांग करेंगे। लॉर्ड मैकाले ने कहा कि किसी देश को हमेशा गुलाम नहीं रखा जा सकता परंतु अनंत भारत में अंग्रेजी हमेशा जीवित रहेगी। यही हुआ। आज ब्रिटेन के पास एकमात्र निर्यात अंग्रेजी भाषा है अौर पर्यटकों के कारण फ्रांस और इटली में भी अंग्रेजी बोली जा रही है।

कृष्ण मेनन ने यूएनओ में धाराप्रवाह आठ घंटे तक भाषण दिया। एक प्रश्न का उत्तर उन्होंने यह दिया कि भारत में हम व्याकरण का अध्ययन करते हैं, अत: त्रुटि नहीं होती। आप मातृभाषा में गलती कर सकते हैं। जबान जादू है, करिश्मा।