भीमा / लिअनीद अन्द्रयेइफ़ / प्रगति टिपणीस

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— ... देखो, देखो, भीमा आ रहा है। भीमा बहुत ही बड़ा है। बड़ा नहीं, भीमकाय है भीमा। देखो, वह आ ही गया, पहुँच गया। बहुत अजीब है भीमा। उसके हाथ मोटे-मोटे और बड़े-बड़े हैं। उसकी उँगलियाँ सब तरफ़ फैली हुई हैं। उसके पैर तो पेड़ों के तनों जैसे भरी-भरकम हैं। अरे! वह तो आते ही .. धड़ाम से गिर गया! पता है तुम्हें, वह आया और धड़ाम से गिर पड़ा। उसका एक पाँव सीढ़ी में फँसा और वह गिर गया। भीमा कितना जाहिल है, कितना बेढंगा है! मुँह बाए पड़ा हुआ है; अब पड़ा है, तो बस, पड़ा ही है। बड़ा ही बेतुका है भीमा। वह बहुत डाँवाडोल होता है। तुम यहाँ क्यों आए हो, भीमा ? चलो, जाओ यहाँ से, अपना रास्ता नापो। देखो, मेरा दोदिक कितना प्यारा है, कितना भोला-भाला है। वह कितने प्यार से अपनी माँ से चिपका हुआ है, माँ की छाती से बिलकुल लगा हुआ है। देखो, उसकी आँखें कितनी साफ़, कितनी शफ़्फ़ाक़ कितनी भोली और प्यारी हैं।

— सब उसे बहुत प्यार करते हैं। देखो, उसकी नाक भी कितनी अच्छी है, और उसके होंठों का तो कहना ही क्या और वह बिलकुल शरारती नहीं है। पहले वह शैतानी करता था, उधम मचाता था, चीखता-चिल्लाता था, घोड़े की सवारी करता था। भीमा तुम्हें पता है न कि दोदिक के पास एक घोड़ा है, बड़ा-सा घोड़ा, अच्छा-सा घोड़ा, पूँछवाला घोड़ा, और दोदिक उस पर बैठकर दूर-दूर तक जाता है, वह नदी तक जाता है, बाग़-बग़ीचों तक जाता है। नदी में मछलियाँ हैं। भीमा, तुम्हें पता है न कि मछलियाँ कैसी होती हैं। नहीं, तुम तो बेवकूफ़ हो भीमा, तुम कैसे जानोगे। लेकिन दोदिक जानता है उन नन्ही-नन्ही, प्यारी-प्यारी मछलियों को। पानी में जब सूरज चमकता है तो मछलियाँ खेलने लगती हैं। वे जितनी नन्ही और प्यारी हैं उतनी ही तेज़ भी। नासमझ भीमा, अफ़सोस कि तुम यह सब नहीं जानते।

— बहुत बेढंगा है भीमा ! आया और गिर पड़ा। बड़ा ही अजीब है वह! सीढ़ियाँ चढ़ रहा था, दहलीज़ पर पहुँचा, उसका पाँव उसमें फँसा और वो चारों ख़ाने चित हो गया। कितना बेशऊर है भीमा। भीमा, तुम हमारे यहाँ न आया करो। क्यों आए हो तुम ? तुम्हें किसने बुलाया है यहाँ? सचमुच बौड़म है भीमा। पहले दोदिक शैतानी किया करता था, दौड़ता था, भागता था, लेकिन अब वह बिलकुल शान्त हो गया है, वह बहुत ही मासूम है। माँ उससे बेइन्तिहा प्यार करती है। वह उसे सबसे ज़्यादा चाहती है, ख़ुद से भी ज़्यादा, खुद की जान से ज़्यादा। वह उसका सूरज है, उसकी ज़िन्दगी है, उसकी ख़ुशी है, उसकी आँखों का तारा है।

— वह अभी छोटा है, बिलकुल छोटा है, उसका जीवन भी अभी छोटा है। लेकिन जल्दी ही वह बड़ा होगा, बहुत बड़ा होगा, बिलकुल भीमा की तरह। उसकी लम्बी-लम्बी दाढ़ी होगी और बड़ी-बड़ी मूँछें होंगी। उसकी ज़िन्दगी भी लम्बी, ख़ुशहाल और रोशन होगी। वह नेकदिल इनसान बनेगा, समझदार बनेगा और भीमा की तरह लम्बा-चौड़ा। बहुत ताक़तवर और अक़लमंद होगा मेरा दोदिक। हर कोई उसे चाहेगा। हर कोई उसे देखकर ख़ुश हुआ करेगा। उसकी ज़िन्दगी में दुख तो होगा, जैसे सबकी ज़िन्दगी में होता है। लेकिन उसकी ज़िन्दगी में ख़ुशियाँ सूरज की मानिन्द बड़ी और बेशुमार होंगी। वह ख़ूबसूरत और भले इनसान की मानिन्द इस दुनिया में दाख़िल होगा। उसके सिर पर हमेशा चमकता नीला आसमान होगा, परिन्दे उसके लिए गीत गाएँगे और पानी मद्धम-गति कलकल करता उसके लिए बहेगा। वह यह सब देखेगा और कहेगा :

— यह दुनिया कितनी अच्छी है, यह सचमुच बहुत अच्छी है…।

— नहीं… नहीं… नहीं… ऐसा नहीं हो सकता। मैंने तुम्हें कसकर पकड़ रखा है, मेरे दुलार का कवच है तुम पर, मेरे बेटे। तुम्हें डर लग रहा है, अरे यहाँ इतना अँधेरा क्यों है? देखो, खिड़कियों के बाहर उजाला है। बिजली का खम्भा रोशनी कर रहा है वहाँ, लेकिन वो भी बहुत बेडौल है। देखो उसने हमारी तरफ़ भी रोशनी कर दी, बहुत भला है ये लैम्पपोस्ट। उसने सोचा होगा, मैं थोड़ी रोशनी उधर भी उड़ेल दूँ, नहीं तो उनके यहाँ बहुत अँधेरा है, घुप्प अँधेरा। ये खम्भा बहुत ऊँचा और बेडौल है। ये कल भी रोशनी करेगा, कल भी। हे भगवान, कल !

— हाँ, हाँ, हाँ। भीमा। बिलकुल, बिलकुल। बहुत ही बड़ा है भीमा, बिलकुल दानव की तरह। लैम्पपोस्ट से भी बड़ा, घंटाघर से भी बड़ा, लेकिन उतना ही बेढंगा भी है कि आया और गिर पड़ा। अरे बावरे भीमा, यह कैसे हो सकता है कि तुम्हें सीढ़ी दिखाई ही नहीं दी?

अपनी भारी और गहरी आवाज़ में, जी हाँ गहरी और भारी आवाज़ में भीमा ने कहा :

— मैं ऊपर देख रहा था, मुझे नीचे का कुछ दिखाई नहीं देता।

— नादान भीमा, चलते समय नीचे देखा करो, तभी तो सब दिखाई देगा।

— मेरा दोदिक बहुत भोला, बहुत प्यारा और बहुत समझदार है। वह बड़ा होकर तुमसे भी अधिक बलशाली बनेगा। और उसके एक क़दम रखते ही शहर पार हो जाएगा, जंगल और पहाड़ पार हो जाएँगे। वह इतना ताक़तवर और दिलेर होगा कि किसी भी चीज़ से नहीं डरेगा, किसी भी चीज़ से नहीं। वह नदी के पास पहुँचेगा, एक क़दम बढ़ाएगा और नदी पार हो जाएगी। सब खड़े भौचक्के देखते रह जाएँगे, उनके मुँह खुले के खुले रह जाएँगे, बड़े अजीब लगेंगे सब। और दोदिक है कि क़दम बढ़ाते ही नदी पार पहुँच चुका होगा। उसकी ज़िन्दगी बहुत लम्बी, चमकदार और, नेक होगी। उसके सिर पर हमेशा सूरज का हाथ रहेगा, हमारे प्यारे सूरज का। सूरज हर सुबह आया करेगा और अपनी रोशनी बिखेरा करेगा, कितना प्यारा है हमारा सूरज… हे भगवान !

— देखो, देखो, भीमा आते ही धड़ाम से गिर पड़ा। ये बहुत बेढंगा और बेतुका है, सचमुच अजीब है ये !

बौराई-सी माँ देर रात को अपने मरते हुए बच्चे को गोद में लिए यों बड़बड़ा रही थी। वह उसे गोद में उठाए अँधेरे कमरे में चहलक़दमी कर रही थी और बिना रुके बोलती जा रही थी। खिड़की के बाहर लैम्पपोस्ट जल रहा था और बग़ल के कमरे में बैठे पिता बच्चे से माँ की ये बातें सुनकर रो रहे थे।

मूल रूसी भाषा से अनुवाद : प्रगति टिपणीस

भाषा एवं पाठ सम्पादन : अनिल जनविजय

मूल रूसी भाषा में इस कहानी का नाम है — विलिकान’’ (Леонид Андреев — Великан)