भुसबा / मेनका मल्लिक

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जीपक नबका माॅडल दुरखा लग आबि कऽ लागि गेलै। लालकाकीकें छोटका बेटा आ नबकी पुतौहुक संग घुरबाक छलनि। कनियाँकाकी पुतौहुक खोइंछ भरलनि। भगवतीकें प्रणाम कऽ आँगनसँ बहराइत गेलीह। जीप पर चढ़ैत काल कनियाँकाकी कहलखिन, "पाबनिमे ज़रूर अबिहथि।"

गाड़ी बिदा भऽ गेलैक। कनियाँकाकी देखैत रहलीह। मलहटोलीक बाद गाड़ी अऽढ़ भऽ गेलै। ताबत धरि देखैत रहलीह। गाड़ी बिदा होएबाकाल पुतौहु खिड़कीसँ हाथ हिलौलकनि। कनियाँकाकीक हाथ सेहो हिललनि।

कनियाँकाकीकें ई नहि बुझाइत छनि जे अप्पन पुतौहु नहि होनि। अपना तँ छओटा बेटी आ एकटा बेटा छनि। बेटी सभ सासुर बसैत छनि। बेटाकें एखनि नोकरी नहि भेलनि अछि।

कनियाकाकी सभदिन गामेमे रहि गेलीह। बौआकका गामेक मिडिल स्कूलक शिक्षक छलाह। बदलियो भेलनि तँ बेसी दूर नहि। गाम छोड़बाक बहन्ना नहि भेटलनि।

दुरखासँ आँगन दिस अबैत सोचलनि-एतेकटा परिवार। चारूकात घरसँ घेराएल आँगन। मुदा, सुन्न। ओगरबाक लेल मात्र कनियाँकाकी। आब भगवतीकें पातरि देबा लेल, बेटा-पुतौहुसँ कुलदेवताकें गोड़ लगयबा लेल आ मोन भेलै तँ कोनो पाबनि-तिहारमे आँगनक लोक सभ अभरै जाइ छथि। सेहो छिटफुट। जिनका जेहन प्रयोजन, तेहने आगमन।

कनियाँकाकीकें नेपालीक एकटा लोकोक्ति मोन पड़लनि-'आयो गयो माया मोह, आएनन् गएनन् को हो को?' माने अबिते-जाइते माया-मोह होइत छै, सम्पर्केसँ सम्बन्ध। जँ आएबे-जाएब नहि तँ के अछि, तकर कौन विचार?

कनियाँकाकीक नैहर नेपालमे छनि।

आठ भाइक भैयारी बला एहि आँगनमे कनिया काकी सभसँ छोट दियादिनी छथिन। मुदा, एखनि धरि सम्बन्ध एहन जे पितियौतो सभ सहोदरे सन मानैत छलनि। एकदिन ई बात बौआकका लग बाजल छलीह जे लगिते ने छै जे सभ सहोदर नहि छी। बौआकका बजलाह जे सभ दूर-दूर रहै जाइ छथि आ कहियो काल अबै छथि, तें बुझाइए. जहाँ चारिटा झोंटैला पंच एकठाम किछु मास रहल, सहोदरो बेमातर सन भऽ जाइ छै। गेलै पहिलुका जमाना।

कनियाँकाकीकें ई बात लागि गेल रहनि। कहने रहथिन जे हम सभ दियादिनी तेहन झोंटैला पंच नहि छी। जमाना कहियो जाइ नहि छै, लोक भगा दैत छै।

कनियाँकाकी अँचार बनएबा लेल मिरचाइ खोंटैत छलीह। मोन पड़लनि लालकाकीक गप। पछिला दू बर्खसँ छठिओमे नहि आबि पबै छथिन। कहने रहथिन कनियाकाकी, "लाल बहिन! कम-सँ-कम छठियोमे अबै जाथु ने। आब छठियोमे गाम नहि भराइत अछि। दुआति पूजामे आर्केस्ट्रा होमऽ लागल अछि।"

ताहि पर लालकाकी कहने रहथिन, "की कहू कनियाँ? राधे के लऽ कऽ बड़का बौआ विदेशमे अछि। दुनू बच्चा काठमांडूमे पढ़ै छै। हम ओकरे निमेरामे लागल रहै छी।"

ई बात सभ मोन पड़ैत छलनि कि मोबाइल बजलनि। कनियाँकाकी बजलीह, "गोड़ लगै छियनि सोन बहिन। हँ, हिनका कहि दैत छियनि। जऽन-मजूर तँ कने मोश्किलसँ भेटै छै। आबथु ने। सभ ठीक भऽ जेतै।"

सोनकाकीक फोन छलनि। सोनकाकी गाम आबऽ लेल छथिन। तीन मास बाद सोनकका रिटायर हेताह। सोनकाकीक मोन छनि जे गामेमे रहथि। सोनकका नहि चाहैत छलाह जे गाममे रहथि। सोनकाकीक निर्णय छलनि जे ओ गामेमे रहतीह। पक्काक घर बनौतीह। शहर सनक सुविधा गाममे अरजतीह।

सोनकाकीक पिता बोकारोमे नोकरी करैत छलाह। ओतहि रहैत छलीह सोनकाकी। बियाहक बाद सोनककाक संग रहऽ लगलीह। गामक बारेमे बाबाक बात सभ बरोबरि मोन पड़नि, "कोना हुनका खुआएल जानि। बाबी भात-दालि कें सानि कऽ कऽर बनाबथि आ कहथि जे ई सुग्गा, ई मेना, ई कौआ। खा ले बौआ।"

सभटा स्मृति मोन पड़ैत रहै छनि सोनकाकीकें। बाबा कहथिन जे गाममे गाछी अछि। ओहिमे आम, लीची, जामुन, अरड़नेवा, जिलेबी, करौना, लताम आ अनारक गाछ अछि।

सोनककाक गाममे बड़ प्रतिष्ठा छलनि। मेट्रिक धरि गामसँ पढ़लनि। अपनो पढ़थि आ गामक धिआपूताकें सेहो पढ़ाबथि। सोनककाकें पढ़ऽ-लिखऽसँ बड़ लगाओ. गामक लोक एखनो हुनक आदर करनि। मुदा, आब गाममे लोके कहाँ?

मुदा, सोनककाकें सोनकाकीक बात मानऽ पड़लनि। बेटा-बेटी सभ मना कयलकनि, मुदा सोनकाकी नहि मानलखिन। कहलखिन, "तों सभ आब गेल्ह नहि छें, नमहर भऽ गेलें। उड़ आ दुनिया देख। हम सभ अपना ढंगक जीवन जिअब।"

सोनकाकीक घर लिंटर धरि बनि गेल छलनि। शिवराति पाबनिक समय छलैक। कनियाँकाकीक उत्साह देखिते बनए. कतोक बर्खसँ एतेकटा आँगनमे असगरे रहैत छलीह। आब दू दियादिनी छलीह।

गामक मंदिर पर शिवरातिमे मेला लगैत छै। मंदिर लालककाक बनाओल छनि, तें ओ सभ शिवरातिमे ज़रूर अबैत छथि। लालकाकी देखलनि जे सोनकाकीक बाड़ीमे आम, लीची, लताम, अरड़नेवा, अनार आ किसिम-किसिमक तरकारी आ फूल सभ लागल छलनि। सोनकका स्वयं बाड़ी-झाड़ीक सांगह करथि।

सोनककाकें सेहो बुझाइन जे पढ़ाइक उपयोग एखने भऽ रहल अछि। सोनकका कृषि स्नातक छलाह।

समय बितैत गेलैक।

सोनकाकीक घरवास छलनि। एहि समय सभ घरवासी तँ नहिए आबि सकल छलाह, मुदा लालकाकी अएलीह। कामेश्वर भाइ सेहो अएलाह। नवतूरक कमे समांग आएल.

सोनकाकीक घरवासमे गामक किछु ओहनो लोक सभ आएल रहथि, जिनकर रिटायरमेंट लऽग छलनि। ओ सभ गामक सुविधा-असुविधाक अध्ययन करैत छलाह। सोनकका कहैत छलखिन, "गाममे रहबाक मोन बनाउ ने। गामक सड़क पक्की भऽ गेलै। बिजली आबि गेलै। बिजली नहि रहने जेनरेटरक सुविधा छैक। एतहु सात बजे अखबार भेटि जाइए. खजौली टीसन पर की नहि भेटैत छै। नोकरी लेल डीह छोड़लहुँ। आब नोकरी पूरा कयलहुँ तँ डीहकें पकरू।"

ताहि पर राम नारायण बाबू बजलाह, "बात तँ अनुचित नहि कहै छी अहाँ। देखियौ ने। एतेकटा घर अछि। ताला लटकल रहैए. लटकले-लटकले बिझा जाइए. जतेक बेर अबै छी, नव ताला-कुंजी लेने अबै छी। तोड़ऽ पड़ैए. ओतऽ बंगलौरमे तीनेटा कोठरीक फ्लैटमे रहै छी। बहुत ऐल-फैल तँ नहि अछि। तैयो। एखनो गाम ओतेक सुविधाजनक नहि बुझाइए हमरा।"

कनियाँकाकी बेसी प्रसन्न रहऽ लगलीह। भगवती घर सोनकाकी निपैत छलीह। अहलभोरे उठि फुलडालीमे रंग-विरंगक फूल लोढ़ि कऽ अनैत छलीह। कनियाँकाकीकें एहि काजसँ मुक्त कऽ देलखिन।

गामसँ घुरबा काल लालकाकी कहलखिन बौआककाकें "राधे कहैत छलीह जे एहि बेर ओ छठि टेकतीह।"

बौआकका बजलाह, "ताहि समय आबि पौतीह कतारसँ?"

लालकाकी कहलखिन, "आबि जेतीह आ तकर बाद काठमांडुएमे रहतीह। तखन हमहूँ सभ गाममे रहबाक बारेमे सोचि सकै छी।"

कनियाँकाकी बिहुँसैत छलीह।

विदा होमऽ काल कामेश्वर भाइ कहलखिन सोनककाकें, "मंदिर लग जे हमर अठकठबा जमीन अछि, से परतीए रहैए. सोचैत छी जे एहिमे एकटा बढ़िया स्कूल बनाबी. डेढ़ बर्खक बाद रिटायर करब। तकर बाद गामक बारेमे सोचल जा सकैए."

ओहि बेर छठिमे नीक जुटान भेलै। सँझुका अघ्र्यक दिन भोरे-भोर सभ दियादिनी स्नान-ध्यान कऽ पूरी-पकमानमे लागि गेलीह। पुतहु सभ भानस-भातमे। लालकाकीक पुतौहु, राधे, कनियाँकाकीक देल साड़ी आ सोनकाकीक देल लहठी-सिन्नुर सैंतैत छलीह। साँझ खन पहिरतीह। फूलकाकी ठकुआ ठोकैत छलीह। हुनकर पुतौहु ठकुआ छानि रहल छलीह। शारदा सिन्हाक मैथिली गीत बाजि रहल छल। सोनकाकी भुसबा बनबैत छलीह। कनियाँकाकी हुनका कहलखिन, "लाबथु, हमरा देथु। हिनका बुतें सभ बेर भुसबा भखरि जाति छलनि। हम बना दैत छियनि।"

मुदा, तखने सोनकाकी अपन हाथक भुसबा देखबैत बजलीह, "देखू। एहि बेर हमरा हाथक भुसबा नहि भखरल अछि।"

सभ देखलखिन, सोनकाकीक हाथक भुसबा भखरल नहि छलनि।