भूकम्प का राज / सुकेश साहनी

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पापा, हमारे स्कूल में भूकंप पीड़ितों के लिए रुपए जमा किए जा रहे है"। प्रिया ने कहा," कल मेरे और अप्पू के लिए दस-दस रुपए दे दीजिएगा।"

"बेटा, यह तो बहुत नेकी का काम है," राकेश ने कहा, "कल कहीं भूल न जाओ, इसलिए रुपए आज ही अपने-अपने बस्ते में रख लो।"

"पापा, अप्पू ने कुछ सोचत हुए पूछा," भूकंप क्या कोई भूत होता है? स्कूल में सब लोग कह रहे थे कि महाराष्ट्र में भूकंप के आने से हुत सारे लोग मर गए. "

"हट...बुद्धू।" प्रिया जल्दी से बोली, "तुझे इतना ही नहीं पता भूत नाम की कोेई चीज ही नहीं होती है।"

"तुम तो ऐसे बोल रही हो, जैसे तुम भूकंप को अच्छी तरह जानती हो।"

"शांत होेेे जाओ।" राकेश ने हँसते हुए कहा, "तुम लोग तो लड़ने ही लगे। तुम लोगों को यह तो पता ही है कि भूकंप में धरती कांपने लगती है। पर क्या तुम्हें यह पता है कि भूकंप क्यों और कैसे आता है।"

"नहीं, पापा। आप हमें बताओ न।" प्रिया ने उत्सुकता से पिता की ओर देखते हुए कहा। अप्पू भी टकटकी लगाए राकेश की ओर देखता रहा था।

राकेश थोड़ी देर चुप रहा। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि बच्चों को किस तरह समझाए.

"अप्पू," राकेश ने पूछा, "तुमने कभी किसी तालाब में पत्थर फेंका है?"

"हाँ पापा!" चहकते हुए अप्पू बोेला, "जब हम पिकनिक गए थे, मैंने मछली वाले तालाब में पत्थर फेेंके थे।"

" तब क्या हुआ था? '

"पानी में पत्थर फेंकने पर चारों ओर तरंगें उठती हैं।" अप्पू को सोच में पड़े देख प्रिया ने बताया।

"इस बात से हम भूकंप को अच्छी तरह समझ सकते हैं।" राकेश ने समझाया, "जिस तरह तालाब में पत्थर फेंकते ही पानी में चारों दिशाओं की ओर तरंगे उठती हैं, उसी प्रकार हमारी पृथ्वी की चट्टानों में एकाएक किसी उथल-पुथल के कारण उथल-पुथल वाले क्षेत्र से चारों दिशाओं में कंपन होते हैं, जिन्हें हम भूकंप के रूप में महसूस करते है॥ इस कंपन के रास्ते में हमारी पृथ्वी का जो देश, या भाग आता है, वहाँ भूकंप के झटके महसूस होते है।"

" पापा, चट्टानों में पत्थर कौन फेंकता है? ' अप्पू ने भोलेपन से पूछा। प्रिया जोर-जोर से हंसने लगी।

"प्रिया!" राकेश न गंभीर स्वर में कहा, इसमें हँसने की क्या बात है? अप्पू के प्रश्न से स्पष्ट है कि वह भूकंप को समझने का पूरा प्रयास कर रहा हैं अप्पू बेटा! जिस तरह तालाब में तुम्हारे पत्थर से तरंगे उठती हैं, उसी तरह पृथ्वी के भीतर एकाएक किसी धक्के, चट्टानों क फटने या चट्टानों की दो खुरदरी सतहों के आपस में रगड़ खाने से उत्पन्न हो जाते हैं। "

"पापा, पृथ्वी के भीतर चट्टानों का फटना, रगड़ खाना या धक्का लगना कैसे होता है।" प्रिया ने पूछा।

"शाबाश प्रिया!" राकेश ने खुश होते हुए कहा, तुमने बहुत अच्छा सवाल किया है।

मुख्य रूप से तीन कारणों से ऐसा होता है। एक पर्वत श्रंखलाओं से बड़ी-बड़ी चट्टानों के गिरने या विशाल गुफाओं की छतों के एकाएक बैठ जाने से। इसमें अत्यधिक वर्षा या बाढ़ उत्प्रेरक का कार्य कर सकती है। इस प्रकार धक्के (ब्लो) झटके से उत्पन्न भूकंप का प्रभाव नगण्य होता है। दो ज्वालामुखी पर्वतों से लावा फूटने के कारण भूकंप आए है।

इस कारण आए भूकंप का प्रभाव क्षेत्र पहले की तुलना में कहीं अधिक होता है। पर्वतों की उत्पत्ति के फलस्वरूप बड़े-बड़े भू-भागों (प्लेट्स) के पर्वतों से टकराने के कारण भारी उथल-पुथल (टेक्टॉनिक डिस्टर्बेस) हो जाती है। अधिकतर भूकंप इसी कारण आते हैं। भूकंप तीव्रता अधिक होने के कारण इससे बहुत नुकसान होता है। "

"मौसम के बारे में टी.वी. वाले पहले से बता देते हैं। क्या भूकंप के बारे में हमें पहले से पता चल सकता है?" प्रिया ने सवाल किया।

"नहीं बेटा, वैज्ञानिकों को भूकंप का पूर्व अनुमान लगाने में सफलता नहीं मिली है। भूकंप से उत्पन्न कंपन की तीव्रता मापने एवं उत्पत्ति स्ंथल ढूँढने में अवश्य सफल हुए हैं। भूकंप से उत्पन्न कंपन की तीव्रता मापने के लिए जिस यंत्र का प्रयोग किया जाता है, उसे" सीस्मोग्राफ्स कहते हैं"।

भूकंप आने पर बचाव के लिए क्या करना चाहिए? " प्रिया ने कहा।

भूकंप आने पर हमें जल्दी खुले आसमान के नीचे आ जाना चाहिए. यदि एकाएक घर से बाहर खुले में आना संभव हो तो हमें मेेेज, पलंग के नीचे अथवा कमरे के किसी कोने में दरवाजे से सटकर खडे़ हो जाना चाहिए.

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