भूख की सीमा से बाहर / अवधेश कुमार
Gadya Kosh से
उन्होंने मुझे पहले तीन बातें बताईं —
एक : जब तक लोहा काम करता है, उस पर जँग नहीं लगता ।
दो : जब तक मछली पानी में है, उसे कोई नहीं ख़रीद सकता ।
तीन : दिल टेबिल क्लॉथ की तरह नहीं है कि उसे हर किसी के सामने बिछाते फिरो ।
यह कहते हुए मेरे दुनियादार और अनुभवी मेजबान ने खाने की मेज़ पर छुरी के साथ एक बहुत बड़ी भुनी हुई मछली रख दी और बोले —"आओ यार ! अब इसे खाते हैं और थोड़ी देर के लिए भूल जाओ वे बातें, जो भूख की सीमा के अन्दर नहीं आतीं ।"