भूल सुधार / मनोज चौहान
प्रताप सिंह अपने 12 बर्षीय बीमार बेटे को डॉक्टर को दिखाकर, दवाई लिए लौट रहे थेl अँधेरा गहरा चला थाl वे लोग गाँव की सुनसान और संकरी गली से होकर गुजर रहे थेl इतने में पंडत रौलू राम आगे से आता हुआ दिखाई दियाl उसके घर यहाँ से कुछ ही कदम की दूरी पर थेl
चाँद की हल्की दुधिया रौशनी में उसके पीले दांतों के भीतर की खाली जगह साफ़ दिखाई दे जाती थीl प्रताप सिंह जैसे ही औपचारिकता स्वरुप हाथ मिलाने को हुए तो रौलू सकपका कर पीछे हो लियाl कहने लगा मैं ऐसी सुनसान जगह पर किसी से हाथ नहीं मिलाताl इस समय बुरी शक्तियां सक्रीय होती हैं!
प्रताप सिंह को थोड़ा अचरज हुआl वे उसकी इस हरकत पर अधिक ध्यान न देते हुए बेटे को साथ लिए आगे निकल गएl आगे गाँव में दो–चार लोग बातें कर रहे थेl हरिया बता रहा था कि कैसे रौलू को 2 दिन पहले कुछ लोगों ने खरी-खोटी सुनाते हुए आचरण और संस्कारों का पाठ पढ़ाया था l वह लघुशंका के पश्चात बिना पानी स्पर्श किये ही कुछ राहगीरों से हाथ मिला रहा थाl प्रताप सिंह और उनके बेटे को अब सारा मामला समझ में आ गया थाl वे रौलू राम की भूल सुधार से मन ही मन प्रसन्न थेl बुरी शक्तियों का रहस्योद्घाटन हो चुका थाl