मंगलयान / शमशाद इलाही अंसारी
Gadya Kosh से
'अम्मी, ३०० दिनों के सफर के बाद ६८० मिलियन किलोमीटर का सफ़र करके हमारा सैय्यारा आज मंगल गृह की कक्षा में पहुँच गया ये साइंस की अभी तक सबसे किफायती कामयाबी है'।
विज्ञान के छात्र ने टी वी पर खबर सुनकर उत्साहित स्वर में अपनी मां को बताया।
'चल झूठे, इसकी बातों पर यकीन न किया कर', टी वी की तरफ इशारा करते हुए माँ बोली।
'बावले, ये सब झूठ है, नबी अकरम तो १४०० साल पहले एक रात में ही अल्लाह के बुलावे पर घोड़े पर सवार होकर सऊदी से पहले फलस्तीन गए और फिर सातों आसमानों का सफ़र किया और दोज़ख-जन्नत देख कर आ गए थे। इन बेवकूफों को बस मंगल की कक्षा तक जाने में ३०० दिन लग गए'
बेटे ने माँ की बात इत्मिनान से सुनकर टी वी बंद कर दिया। अगले दिन वह कालिज भी नहीं गया।