मणिरत्नम: मनोरंजन में 'इतिहास' का जन्म / जयप्रकाश चौकसे

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
मणिरत्नम: मनोरंजन में 'इतिहास' का जन्म
प्रकाशन तिथि :12 जनवरी 2019


कल्कि कृष्णमूर्ति के इतिहास प्रेरित उपन्यास 'द सन ऑफ पोन्नी' से प्रेरित फिल्म में अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय बच्चन ने अपनी सहमति दे दी है और अमिताभ बच्चन अभी तक निर्णय नहीं कर पाए हैं परंतु बच्चन परिवार के प्रिय निर्देशक मणिरत्नम की फिल्म होने के कारण यह आशा है कि अमिताभ बच्चन भी अपनी सहमति दे देंगे। ज्ञातव्य है कि मणिरत्नम की 'गुरु' और 'रावण' में अभिषेक एवं ऐश्वर्या काम कर चुके हैं। प्रस्तावित फिल्म में तीन बच्चन के साथ ही दक्षिण भारत के कुछ कलाकार भी महत्वपूर्ण भूमिकाएं करने वाले हैं। मणिरत्नम अपनी इस फिल्म में सितारों का जमावड़ा इसलिए कर रहे हैं कि उन्हें एसएस राजामौली की तर्कहीनता का उत्सव मनाने वाली फिल्म 'बाहुबली' द्वारा कमाई का रिकॉर्ड तोड़ने की इच्छा है। कमाई के इस आंकड़े की मृग मरीचिका का पीछा करने में कई फिल्मकार असफल हो चुके हैं। ये तमाम लोग जाने क्यों यह तथ्य भूल जाते हैं कि स्वयं हिरण उस सुगंध का पीछा करता है, जो उसकी नाभि से आ रही है। जाने कितने लोग कितने दुर्गम बीहड़ और रेगिस्तान पार कर जाते हैं, जबकि मंजिल उनके अवचेतन के स्याह कोने में दुबकी बैठी थी। 'द अल्केमिस्ट' नामक लोकप्रिय उपन्यास भी इसी तथ्य को रेखांकित करता है। मणिरत्नम की फिल्म 'रोजा' अत्यंत लोकप्रिय रही और एआर रहमान भी इसी फिल्म से प्रसिद्ध हुए थे। रहमान की 'बॉम्बे' नामक फिल्म भी विभिन्न धर्मों के मानने वालों के बीच अंकुरित प्रेम कथा थी। हमारे नाजुक कट्‌टरपंथी समाज प्रेम के हमेशा खिलाफ रहे हैं। नितांत काल्पनिक प्रेम कथा प्रिंस सलीम और अनारकली की है और इसके अगले भाग में ऐसा हो सकता है कि सलीम अनारकली की सुपुत्री किसी अन्य धर्म को मानने वाले युवा से प्रेम करने लगे तो सलीम उस लड़की को दीवार में चुनवा देंगे और इस तरह की विचारधारा से बना सीमेंट इतनी मजबूत दीवार बनाता है कि समय की किसी भी उपकरण से यह दीवार तोड़ी नहीं जा सकेेगी। पिता बनते ही व्यक्ति अपनी किशोर और युवा अवस्था में किए गए प्रेम और महान आदर्श भूल जाता है। पिता एक लाठी है जो हमेशा पुत्र की पीठ पर पड़ने को बेकरार रहती है। उपनिषद में तो लिखा है कि पिता की कमान पर चढ़ा पुत्र रूपी तीर प्रत्यंचा को पूरा दम लगाकर खींचने पर ही जीवन के निशाने पर लगता है।

बहरहाल, मणिरत्नम की इतिहास प्रेरित फिल्म में कितने बच्चन अभिनय करेंगे यह तो समय बताएगा परंतु हमनेअपने पराजय से भरे इतिहास को इतना अधिक रोमांटिसाइज किया है कि सत्य के ऊपर करोड़ों टन गिट्‌टी पत्थर पड़े हैं, जिनके नीचे वह बेचारा तिलमिला रहा होगा और उसकी मुक्ति असंभव जान पड़ती है। इंदौर के कवि सरोज कुमार के नए काव्य संकलन 'सुख चालाक है' जो शिवना प्रकाशन सीहोर मध्य प्रदेश ने जारी किया है। इस संकलन की कविता 'इतिहास के काले किस्से, इस तरह है- 'इसने मस्जिद तोड़ी, उसने मंदिर तोड़ेे/ सबने खाए इतिहासों में सौ-सौ कोड़े/ घृणा, शत्रुता, हिंसा, पागलपन की करनी/ खून सनी बहती आई काली वैतरणी/ गया जमाना गुजर, नया नदियों में पानी/ अपराधों की भारी कीमत पड़ी चुकानी/ कब तक ढोए इतिहासों के काले किस्से?/ क्या उजला इतिहास नहीं हम सबके हिस्से?

दिल्ली से प्रकाशित अखबार के लिए पत्रकार हेमंत शर्मा ने अयोध्या जाकर पूरा घटनाक्रम स्वयं देखा है। उनकी दो किताबें 'अयोध्या का चश्मदीद' और 'युद्ध में अयोध्या' ऐतिहासिक दस्तावेजनुमा पुस्तकें हैं। याद आती हैं निदा फाज़ली की पंक्तियां- 'पहले जैसा ही दुखी है आज भी बूढ़ा कबीर/ कोई आयत के मुखालिफ कोई मूरत के खिलाफ'। आज अनगिनत बेरोजगार हैं। आधे पेट खाकर नींद की तलाश में भटक रहे हैं लोग। इलाज की सुविधाएं नहीं है। इन सब समस्याओं का हल नहीं खोज कर एक द्वंद्व रचा गया है।