मद्धम स्वर का जासूसी उपन्यास / जयप्रकाश चौकसे

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मद्धम स्वर का जासूसी उपन्यास
प्रकाशन तिथि : 07 मई 2019


जासूसी कथाएं सबसे पहले इंग्लैंड में लिखी गई हैं। बाबू देवकीनंदन खत्री की 'चंद्रकांता’ और 'भूतनाथ’ के अय्यार पात्र करिश्माई ढंग से रहस्य की तह तक पहुंचते थे। अतः वे जासूसी कथाएं नहीं मानी जाती हैं। अय्यारी में तिलिस्म है, जासूसी मानवी प्रयास है। अमेरिका के जॉन एडगर पो हॉरर कथाओं के जनक माने जाते हैं। इसी तरह डॉ. आर्थर कॉनन डॉयल ने जासूस शेरलॉक होम्स की रचना की। उनकी लोकप्रियता का हाल यह है कि एक काल्पनिक पात्र के काल्पनिक पते पर सैकड़ों पत्र आने लगे। डॉ. आर्थर कॉनन डॉयल से अलग अगाथा क्रिस्टी ने दो अभिनव जासूस पात्र रचे। उनको पहली महिला जासूस पात्र 75 वर्षीय मिस मारपल रचने का श्रेय जाता है। उनका दूसरा पात्र हरकुली पायरो है, जो हीरा व्यापार की राजधानी बेल्जियम का रहने वाला है और उसकी मूंछें इतनी नुकीली है कि उनसे हीरा तराशा जा सकता है। डॉ. आर्थर कॉनन डॉयल और अगाथा क्रिस्टी के उपन्यासों से प्रेरित अनेक फिल्में बनी हैं। भारत में इब्ने सफी ने कर्नल विनोद और कैप्टन हमीद नामक जासूसी पात्र रचे। उनका विनोद सेना से निवृत्त अफसर था। सभी देशों की सरकारें दो प्रकार की जासूसी संस्थाएं रचती हैं। एक अधिकृत व दूसरी गुप्त संस्था होती है। रूस की केजीबी ने अमेरिका के विगत चुनाव में अफवाह फैलाकर डोनाल्ड ट्रम्प को चुनाव जितवा दिया। बात की तफ्तीश से ज्ञात हुआ कि ट्रम्प के प्रतिद्वन्द्वी का रूसी जासूसों से कोई संबंध नहीं था। अफवाह को चुनाव प्रचार का हिस्सा बनाया जाना ताजातरीन ईजाद है। दूसरी प्रकार की संस्था को सरकार बड़े घुमावदार रास्तों से धन भेजती है। यह संस्था बड़ी सावधानी से अपने एजेंट चुनती है, उन्हें प्रशिक्षित किया जाता है। तापसी पन्नू अभिनीत 'नाम शबाना’ में इसका विवरण है। 'बेबी’ नामक फिल्म में भी प्रशिक्षित जासूस पात्र प्रस्तुत किए गए हैं। सलमान अभिनीत 'एक था टाइगर’ और उसका भाग 2 भी अत्यंत सफल फिल्म रही। इन फिल्मों को हम जेम्स बॉण्ड शृंखला की श्रेणी में नहीं रख सकते। जेम्स बॉण्ड फिल्मों में गैजेट्स महत्वपूर्ण हैं। जेम्स बॉण्ड की कमीज की जेब में रखा फाउंटेन पेन कैमरा भी है और हथियार भी। उसकी कार सड़क पर दौड़ती है तो समुद्र में पनडुब्बी बन जाती है। यह कार उड़ भी सकती है। अमेरिका में एक संस्था इकोनॉमिक हिटमैन प्रशिक्षित करती है। वे अन्य देशों में जाकर वहां के नेताओं को धन देते हैं। चुनाव में उनकी मदद करते हैं और अपने देश को लाभ पहुंचाने वाली आर्थिक नीतियां बनवाते हैं। हमारे बजट में भी उनका दखल होता है। यह इकोनॉमिक हिटमैन कौमी दंगे भी करवाते हैं।

साहित्य व कला भी जासूसी क्षेत्र से मुक्त नहीं हैं। लुगदी साहित्य रचने वालों की किताबों को बाजार व विज्ञापन की मदद से सबसे अधिक बिकने वाली रचना बना दिया जाता है। इस खेल में फिल्मकार भी शामिल हैं। किताब की छद्‌म लोकप्रियता रचने के बाद बड़े जलसे में घोषणा की जाती है कि इस किताब के फिल्मांकन अधिकार उन्होंने खरीदे हैं। इस पैतरे को स्टीवन स्पीलबर्ग ने ईजाद किया। डायनासोर किताब लिखवाई, उसे बेस्ट सेलर बनाया। जिस समय फिल्म अधिकार के खरीदने की घोषणा की उस समय तक एक दर्जन कारखानों में डायनासोर बनाए जा रहे थे। फिल्म प्रदर्शन के पहले दिन ही बाजार में डायनासोर खिलौने आ गए।

उत्तर पूर्व के प्रांत में जन्मे देबाशीष इरंगबम और रतलाम में जन्मे अंशुल विजयवर्गीय टेलीविजन संसार में मित्र बने और उनकी टीम ने 'सीआईडी’ तथा 'अदालत’ के लिए कई एपिसोड लिखे। देबाशीष का पहला उपन्यास 'मी, मिया, और मल्टीपल’ भी अत्यधिक लोकप्रिय हुआ था। कंगना रनोट उसे सुन सकें तो अभिनय के लिए राजी हो जाएंगी। अंशुल विजयवर्गीय ने 'रोशन’ नामक पटकथा लिखी है। इस पर किसी भी कलाकार के साथ बनाई फिल्म सुपरहिट होगी। दरअसल, इस पटकथा को सलीम- जावेद की 'दीवार’ की श्रेणी में इस मायने में रखा जा सकता है कि पटकथा ही नायक है।

बहरहाल, अंशुल और देबाशीष ने मिलकर उपन्यास लिखा है-'ट्यून फॉर द डेड’। इस रोचक जासूसी उपन्यास की भाषा के कारण भी उसे पढ़ा जा सकता है। कुछ अंश दार्शनिक बन पड़े हैं। मसलन, दुख असहज इसलिए भी बना देता है कि हम नहीं जानते कि उसे कैसे संबोधित करें। आशय यह भी है कि लोगों द्वारा दिखाई सहानुभूति भी असहनीय हो सकती है। याद आता है 'दबंग’ का संवाद- 'थप्पड़ नहीं प्रेम से डर लगता है’। कठिन व असाध्य-सी शल्यक्रिया के बाद जब डॉक्टर बाहर आता है या ऑपरेशन थिएटर से कोई संदेश लाता है तो वह खतरे में होता है। सर्जन की तरह ही बुरी खबर लाने वाला जासूस भी सुरक्षित नहीं होता। जासूसी कथाओं का आजमाया पैंतरा है कि हत्यारा वह निकलता है जिस पर सबसे कम संदेह होता है। इस उपन्यास में एक अनाम सी जासूसी संस्था है। जैसी हम 'टाइगर शृंखला’, 'नाम शबाना’, 'बेबी’ में देख चुके हैं। उसी संस्था के एक सदस्य को यह भ्रम है कि उसकी गर्भवती पत्नी को दुश्मन के वार से बचाने की कोशिश उसके साथियों ने नहीं की और इसी बीमार जज्बे को अपने अवचेतन में पाले रहता है। वह अपने साथी रहे लोगों -जिनके कारण उसकी पत्नी नहीं बच पाई- को अजीब ढंग से आत्महत्या के लिए मजबूर करता है। वह अपने वहम को अपने साए की तरह अपने कद से भी बड़ा बना लेता है।

लेखकों की इस टीम के अवचेतन में सिनेमा बसा है और उनके लेखन में यह साफ नज़र आता है। उनका रचा जासूस ध्रुव अन्य लेखकों के रचे जासूस पात्रों से अलग है। वह मूर्खता सहन नहीं कर पाने के कारण बद्तमीज भी होता है। वह शारीरिक रूप से अत्यंत कमजोर है। वह अपने कपड़ों की तरफ कभी ध्यान नहीं देता। इस उपन्यास के ताने-बाने में एक प्रेम कथा भी है। जिसके स्वर इतने मद्धम है कि अनसुने से रह जाते हैं। जीने के लिए ऐसी ही धुन जरूरी है। हार्पर कॉलिंस की गुप्तचर संस्था 'ब्लैक’ ने इसे प्रकाशित किया है। महान सत्यजीत राय ने भी जासूसी कथाएं लिखी हैं। अगर चार्ली चैपलिन अपने पात्र टेम्प को जासूसी संसार में ले जाते तो वह इस उपन्यास के ध्रुव की तरह होता है।