मधुबाला, माधुरी और ऐश्वर्या राय सौंदर्य परंपरा / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि :08 सितम्बर 2015
अगले माह प्रदर्शित होने वाली 'जज़्बा' को ऐश्वर्या राय बच्चन अभिनय में अपनी वापसी नहीं मानतीं, क्योंकि उनका कहना है कि वे कभी गई ही नहीं थीं, अत: वापसी कैसी। सत्य वचन बच्चन बहू, आपके श्वसुर और पति निरंतर अभिनय कर रहे थे और उनके माध्यम से आप मौजूद रहीं। वर्षों पूर्व आदित्य चोपड़ा की 'बंटी और बबली' में एक गीत 'कजरारे कजरारे' ऐश्वर्या राय, अमिताभ एवं अभिषेक बच्चन पर फिल्माया गया था और इसी के कारण फिल्म ने 25 फीसदी अधिक आय अर्जित की थी। ऐश्वर्या राय फैशन रैम्प पर चलकर विश्व सुंदरी का खिताब जीतकर फिल्मों में आई थीं और राहुल रवैल की ऐश्वर्या राय अभिनीत पहली फिल्म असफल रही परंतु वे मणिरत्नम की सफल तमिल फिल्म में अभिनय कर चुकी थीं और कालांतर में मणिरत्नम के साथ उन्होनंे सफल तमिल फिल्म के साथ हिंदुस्तानी में सफल 'गुरु' और असफल 'रावण' में भी अभिनय किया। उन्हें सितारा पद संजय लीला भंसाली की 'हम दिल दे चुके सनम' से प्राप्त हुआ और बाद में उनकी 'देवदास' में भी वे पारो की भूमिका में सराही गईं। उन्हें सुभाष घई की 'ताल' में खूब सराहना मिली। उनकी मां ने उन्हें लेकर एक फिल्म का निर्माण भी किया। अभिषेक बच्चन से विवाह के पश्चात वे कुछ समय तक अभिनय से दूर रहीं।
उनकी 'जज़्बा' में उनके नायक विलक्षण प्रतिभा के धनी इरफान खान हैं और निर्माता निर्देशक गुप्ता ने प्राय: पश्चिम की फिल्मों से 'प्रेरित' होकर फिल्में बनाई हैं और मौलिकता से उन्हें परहेज-सा ही रहा है। बहरहाल, इस फिल्म के प्रदर्शन पूर्व प्रचार में वे संभवत: हिस्सा नहीं ले पाएं, क्योंकि करण जौहर की एक फिल्म में वे रणबीर कपूर के साथ सितंबर मास में लंदन में शूटिंग कर रही हैं। अपनी इस दूसरी पारी में जिसे वे स्वयं दूसरी पारी नहीं मानकर 'विलंबित ताल' में पहली पारी का ही भाग मानती हैं, में वे इरफान खान और रणवीर कपूर जैसे निष्णात कलाकारों के साथ काम कर रही हैं जबकि पहली पारी में उन्होंने सलमान खान और शाहरुख खान जैसे लोकप्रिय सितारों के साथ काम किया था। अब उन्हें अलग किस्म के सह-कलाकारों के साथ काम करने का अवसर मिला है। यह अनुभव उनके लिए शिक्षाप्रद होगा। वे हमेशा अपने सौंदर्य के लिए चर्चित रहीं हैं और अपनी समकालीन कॉजोल की तरह ऊंचे दर्जे की कलाकार नहीं रही हैं परंतु समय के साथ बहुत परिवर्तन होता है।
मधुबाला और माधुरी दीक्षित की सौंदर्य परम्परा की एक कड़ी रही हैं ऐश्वर्या राय बच्चन परंतु सौंदर्य में भी श्रेणीकरण होता है। मसलन, मधुबाला आधी रात को देखे सपने की तरह रहीं और माधुरी अलसभोर में देखा सपना। आधी रात का सपना कम ही यथार्थ में बदलता है परंतु अलसभोर का सपना कभी-कभी सच भी हो जाता है। इसी विचार शृंखला को आगे बढ़ाएं तो कहना होगा कि एेश्वर्या राय देर सुबह आठ या नौ बजे उठने वालों के दिन में देखे सपने की तरह मानी जा सकती हैं। अब सभी लोगों को तो देर तक सोने की सुविधा उपलब्ध नहीं है। यह सुविधा तो नवधाढ्यों के अमीरजादों को प्राप्त हैं और ऐश्वर्या राय उन जैसे लोगों के सपने की तरह हो सकती है परंतु आधी रात में देखे सपने की तरह मधुबाला तो मेहनतकश की सुखद नींद का सपना है। अलसभोर का सपना पारम्परिक रूप से धनाढ्य लोगों का सपना होता है। नवधनाढ्य और पीढ़ियों से रईस में अंतर होता है। पुराने सामंतवादी रईस और आज के धनाढ्य लोगों में भारी अंतर है। सामंतवादी रईसों के भव्य जलसाघर होते हैं और नवधनाढ्य के घर में थिएटर होता है। पुराने रईसों के घर में राजा रवि वर्मा की कुछ पेंटिग्स होती है और भव्य शैंडलिअर्स होते हैं और नवधनाढ्य न्यून रोशनी का अभ्यस्त होता है।
आजकल तो मध्यम वर्ग और गरीब वर्ग में बहुत-सी श्रेणियां हैं परंतु यह सच है कि अब मध्यम वर्ग, मजदूर और गरीब वर्ग को भी बाजार तथा विज्ञापनों की ताकतों ने अपनी आय के भीतर अय्याश बना दिया है। अब सपनों में मधुबाला के आने के दिन समाप्त हो गए हैं। उनकी एक्सपायरी डेट आ गई है। अब तो सपनों में मोबाइल का नया मॉडल या मोबाइक आती है।