मधुबाला: एक शाश्वत लैला जिसके हजारों मजनूं / जयप्रकाश चौकसे

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मधुबाला: एक शाश्वत लैला जिसके हजारों मजनूं
प्रकाशन तिथि : 14 नवम्बर 2019


फिल्मकार इम्तियाज अली अपनी फिल्मों 'रॉक-स्टार' और 'तमाशा' की भारी असफलता के कारण न केवल फिल्म मंडी में नहीं बिक पाने वाले फिल्मकार बने, वरन् उनकी फिल्मों से रणबीर कपूर के कॅरियर को भी बहुत नुकसान हुआ। उनकी अपार प्रतिभा के कारण आज भी वे एक महान संभावना माने जाते हैं। उनके बाल सखा अयान मुखर्जी की 'ब्रह्मास्त्र' अगले वर्ष प्रदर्शित होगी। बहरहाल इम्तियाज अली 'मधुबाला' बायोपिक बनाना चाहते हैं। यह मधुबाला के प्रति आम आदमी की कसक है, जिसके कारण उन्हें इस फिल्म के लिए पूंजी निवेशक मिल सकता है, परंतु ऐसी कलाकार खोजना कठिन होगा जो मधुबाला का पात्र अभिनीत कर सके। प्रोस्थेटिक मेकअप से यह किया जा सकता है, परंतु इस मेकअप को करने में बहुत समय लगता है। इसके विशेषज्ञ की सेवाएं भी बहुत महंगी हैं। कटरीना कैफ का चेहरा लम्बोतरा है। प्रियंका चोपड़ा का गोलाकार है और उन्हें अनुबंधित करने पर विदेश में अधिक दर्शक मिल सकते हैं।

मधुबाला का जन्म दिल्ली की एक संकरी गली में हुआ था। उनके पड़ोस का एक बालक उनका दीवाना था, परंतु यह एकतरफा प्रेम था। उसकी दीवानगी की यह हद है कि वह मधुबाला की कब्र पर ताउम्र 23 फरवरी के दिन आता रहा। मधुबाला का जन्म 14 फरवरी 1933 में हुआ था। हृदय की जिस बीमारी से उनका निधन हुआ, उसे 'मशीन्स मरमर' कहते हैं। उनकी मृत्यु के कुछ समय पश्चात ही शल्य क्रिया से यह बीमारी ठीक की जाने लगी। मधुबाला के चेहरे पर मासूमियत झलकती थी और बदन में मादकता थी। इसी 'कॉकटेल' के कारण उन्हें चाहने वालों की संख्या बहुत बड़ी रही और संभवतः उसी सामूहिक 'नजर' के लगने कके कारण वह इतनी जल्द चली गईं।

मधुबाला अपने सौंदर्य के तिलिस्म से बखूबी परिचित थीं और इसका लाभ भी उठाती थीं। उनके लिए पुरुषों को लुभाना और यह मुगालता देना कि वह उनसे प्रेम करती हैं, एक खेल था। यह खेल ही उनको महंगा पड़ा। जब दिलीप कुमार उनसे विवाह का मन बना ही रहे थे कि प्रेमनाथ ने दिलीप कुमार से कहा कि मधुबाला प्रेमनाथ को प्रेम करती हैं। हमेशा शंकालु और दुविधाग्रस्त रहने वाले दिलीप कुमार ने उन पर यकीन कर लिया। कोई आश्चर्य नहीं कि दिलीप कुमार को एमिली ब्रान्टे का उपन्यास 'वुदरिंग हाइट्स' बहुत पसंद था। उनकी अभिनीत फिल्म 'आदमी' भी कुछ हद तक इसी उपन्यास से प्रेरित है। पसंदीदा किताब से व्यक्ति को जाना जा सकता है। हिटलर की जीवनी को अपनी पसंद की किताब मानने वाले कैसा निज़ाम रचेंगे- यह आसानी से समझा जा सकता है। मधुबाला के लालची पिता, अताउल्ला खान दिलीप कुमार को मधुबाला से निकाह की इजाजत इस शर्त पर देना चाहते थे कि उनके द्वारा बनाई फिल्मों में ही दिलीप कुमार अभिनय करें। दिलीप कुमार यह शर्त कैसे मान लेते? मधुबाला ने सत्तर फिल्मों में अभिनय किया। कुछ फिल्मों में नायिका के बचपन को अभिनीत करते हुए बतौर युवा नायिका उनकी पहली फिल्म 'नीलकमल' थी। राज कपूर 1946 में प्रदर्शित इस फिल्म के नायक थे और मधुबाला तथा राज कपूर के साथ ही 'चालाक' नामक फिल्म की घोषणा हुई थी, परंतु वह पूरी नहीं हो सकी। मधुबाला को हंसते रहना बहुत प्रिय था और गंभीर दृश्य में संजीदा संवाद अदा करने के बाद वे ठहाका लगाती थीं। उनके इस रवैये से फिल्मकार से अधिक आहत फिल्म का लेखक हो जाता था। यहां तक कि 'मुगले आज़म' में जंजीरों से बंधी मधुबाला 'बेकस पर करम कीजिए सरकारे मदीना' अभिनीत करने के बाद भी ठहाका लगाती थीं।

मुंबई में कार्टर रोड पर स्थित मधुबाला के बंगले का नाम अरेबियन विला था। बंगले की एक मंजिल पर छोटा सा एक सिनेमाघर बनाया गया था और वे प्रायः 'मुगले आज़म' के प्रेम दृश्य यहां बार-बार देखती थीं। उनके पति इस बात से बहुत नाराज थे। ज्ञातत्व है कि 'अरेबियन नाइट्स' लोक कथाओं का संकलन है और अंग्रेज लेखक रिचर्ड बर्टन ने इसका अंग्रेजी में अनुवाद किया है। मधुबाला एक शाश्वत लैला थीं, जिसके हजारों मजनूं थे। मधुबाला को एक शेर बहुत पसंद था जिसका आशय था कि उसका जिस्म एक जर्जर नाव की तरह है और समुद्र में उत्तंग लहरें चल रही हैं। उन लहरों ने मधुबाला के जिस्म की कश्ती को डुबा दिया परंतु सिने दर्शक की यादों में वे हमेशा जिंदा हैं।