मधु-मसाबा सगाई और नीना-रिचर्ड्स प्रेम कहानी / जयप्रकाश चौकसे

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मधु-मसाबा सगाई और नीना-रिचर्ड्स प्रेम कहानी
प्रकाशन तिथि :14 मार्च 2015


निर्माता एवं पूंजी निवेशक मधु मान्टेना और विवियन रिचर्ड्स तथा नीना गुप्ता की प्रेम-पुत्री मसाबा गुप्ता की सगाई हो चुकी है और इस अवसर पर उनके निकट मित्र मौजूद थे तथा विवियन रिचर्ड्स की पहली पत्नी भी आई थीं। जब विश्वकप क्रिकेट की गहमा-गहमी चल रही है तब विश्व के महानतम खिलाड़ियों में से एक की प्रेम संतान की सगाई भारत में हुई। फिल्म जगत और क्रिकेट के संबंध पुराने हैं। शर्मीला टैगोर-नवाब पटौदी से ब्याहीं और उनके पुत्र सैफ ने करीना कपूर से शादी की परंतु इसके भी पूर्व मुंबई में टेस्ट खेलते सोबर्स को अंजु महेन्द्र से इश्क हो गया और उसके साथ अधिक समय बिताने के लिए सोबर्स ने वादा करके चार दिन में मैच जीत लिया ताकि पांचवा दिन इश्क के लिए मिल सके। इस छोटे से प्रेम प्रकरण के बाद अंजु महेन्द्र से उभरते राजेश खन्ना को इश्क हो गया और अनेक वर्षों तक वे साथ रहे। उस दौर में राजेश खन्ना को अनुबंधित करने के लिए बेताब निर्माता अंजु को खुश करने का प्रयास करते थे। अंजु महेन्द्र कुछ इस तरह की कशिश रखती थीं कि अनेक लोग उनकी और आकर्षित हो जाते। कोई भी व्यक्ति इस रहस्यमय आकर्षण को समझ नहीं पाता, क्योंकि यह महसूस करने की बात है। इस समय 'जिंदगी' पर रात 9.30 बजे 'खेल किस्मत का' में नायिका पैतीस वर्षीय चार बच्चों की मां है। वह गेहुंए रंग की साधारण-सी कद-काठी की महिला है परंतु वह अत्यंत सेंसूअस और रहस्यमय आकर्षण रखती है। स्मिता पाटिल भी ऐसी ही सांवली सलोनी थीं।

बहरहाल, विवयन रिचर्ड्स व नीना गुप्ता कोलकाता में खेले जा रहे टेस्ट मैच के दरमियान मिले और उनमें गहरा प्रेम हो गया। नीना गुप्ता कुछ फिल्में कर चुकीं थीं और टेलीविजन भी उनके दरवाजे पर दस्तक दे रहा था। क्या इनका प्रेम-प्रसंग भी 'तीसरी कसम' के गाड़ीवान हीरामन और नौटंकी में नाचने वाली हीराबाई की तरह था, जो प्रेम तो करते हैं परंतु अपने-अपने काम की लीक नहीं छोड़ सकते। इस तरह की कुछ प्रेम कहानियां होती हैं, जिनमें दूरी और व्यवसाय की विभिन्नता के बाद भी इश्क हो जाता है। दरअसल प्रेम निरंतर नजदीकी नहीं है, यहां तक कि मौत द्वारा किया गया विछोह भी कुछ खास कामयाब नहीं होता। पुनर्जन्म की उत्कंठा, इच्छा ने ही उसकी अवधारणा को जन्म दिया है।

नीना गुप्ता हमेशा ही साहसी रही हैं और अपने विचार तथा विश्वास पर अडिग रहती हैं। कोई बात केवल सदियों से चली आ रही है और केवल इसी आधार पर उसे स्वीकार करने से भी वे बचती रहीं। उनका अपना निजी व्यक्तित्व है और सोच का एक पूरा संसार वे स्वयं में समेटे रही हैं, इसीलिए उन्होंने अपनी प्रेम पुत्री का साहस से पालन किया और डिलीवरी के समय नर्सिंग होम में उन्होंने पिता का नाम विवियन रिचर्ड्स ही लिखवाया। इतना ही नहीं उसे पालते हुए कभी उन्होंने उसके जन्म का सच या अपने प्रेम की अक्षुण्णता को छुपाया नहीं। मसाबा इसी खुले और साहसी ढंग से पाली गई है।

मधु मांन्टेना फिल्मकार राम गोपाल वर्मा के रिश्तेदार हैं और वर्षों उन्होंने उनका अकाउंट्स विभाग सजगता से संभाला। राम गोपाल वर्मा अव्यवस्था को अपने सृजन के लिए आवश्यक समझते रहे हैं तथा ऐसे व्यक्ति के साथ सुचारु व्यवस्था के कायल मधु ने उनकी कंपनी को लंबे समय तक संभाले रखा। मसाबा के पूर्व अर्थशास्त्री की सुपुत्री नंदिता के साथ उनका प्रेम कुछ वर्ष तक चला परंतु नंदिता के अमेरिका में बसने के निर्णय के कारण वह रिश्ता टूटा। मधु अपनी साफगोई और साहस के कारण फिल्म पूंजी निवेश क्षेत्र में अपना स्थान बना पाए हैं परंतु राम गोपाल वर्मा की प्रयोगशीलता का कीड़ा उन्हें भी काटा है। यही कारण है कि अनुराग कश्यप और उनके साथी उनके परम मित्र हैं। मधु को यह समझने में थोड़ा वक्त लगेगा कि प्रयोगधर्मिता के लंबे समय तक निर्वाह के लिए व्यवसायिक सफलता की आवश्यकता है। इन दो संसारों के बीच संतुलन ही हिंदुस्तानी सिनेमा की मुख्यधारा है। यह संभव है कि उनके पूंजी निवेश से बनी रनवीर कपूर अभिनीत कश्यप की 'बॉम्बे वेलवेट' उन्हें संतुलन दे।