मध्यमवर्ग की घुटन और विडंबनाएं / जयप्रकाश चौकसे

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मध्यमवर्ग की घुटन और विडंबनाएं
प्रकाशन तिथि : 22 मार्च 2021


समाज में साधन संपन्न और साधनहीन 2 वर्ग रहे हैं। फ्रांस में मजदूरों और किसानों द्वारा की गई क्रांति के बाद सभी क्षेत्रों में मध्यम आय वर्ग महत्वपूर्ण माना जाने लगा। सड़क भी दो की जगह, तीन हिस्सों में बांटी गई। बाएं की ओर झुके मध्यम वर्ग का उदय हुआ। सिनेमा भी मध्यम वर्ग के मनोरंजन का माध्यम बना। साधन संपन्न लोग नाटक, ऑपेरा और शास्त्रीय संगीत से मनोरंजन करते थे। सिनेमा घर में भी सस्ते और महंगे टिकट के बीच मिडिल क्लास दर्शक का उदय हुआ। साधन संपन्न और साधनहीन वर्ग पर नैतिक मूल्यों के निर्वाह का भार कभी नहीं रहा, परंतु मध्यमवर्ग को छद्म नैतिकता और रीति-रिवाजों का भार वहन करना पड़ा, उनकी विडंबनाओं और वर्जनाओं को ढोना पड़ा। इसी ने रिश्तों की डोर में गांठे बांधी। मवाद भीतर बैठा रहा और सामाजिक घावों पर ऊपरी मरहम-पट्टी हुई। पुराने रोगों का लाक्षणिक इलाज किया जाने लगा।

भव्य बजट और अल्प बजट की फिल्में बनती रहीं। मनोरंजन का मध्यम मार्ग निकल आया। कथा को सितारा मूल्य प्राप्त हुआ। उत्पल दत्त और सुहासिनी मुले अभिनीत ‘भुवन सोम’ की सफलता ने मनोरंजन को मध्यम मार्ग दिखाया। आज राजकुमार राव और आयुष्मान खुराना, मध्यम वर्ग सिनेमा के लोकप्रिय कलाकार हैं। इनकी फिल्में बड़े सितारों वाला जुनून नहीं जगातीं, परंतु आंशिक मुनाफा प्रदान करती हंै। बाबूराम इशारा ने जुहू क्षेत्र में स्थित भव्य सुशोभित बंगलों में शूटिंग की। बंगलों के मालिक भी ऊपरी मंजिल पर रहने लगे और नीचे की सुसज्जित मंजिल शूटिंग के लिए किराए पर देने लगे। झोपड़पट्टी और बंगलों में बंटे 2 वर्ग के साथ बहु-मंजिलें बनने लगे और मध्यम आय वर्ग फ्लैट में रहने लगा। इसी के साथ एक जीवन शैली और विचार प्रक्रिया का भी उदय हुआ। इनके द्वारा पहनी गई कमीज की कॉलर साफ-सुथरी दिखती थी। रफू किया हुआ हिस्सा ढंका रहता था। मध्यम वर्ग के लिबास में सफेदपोश लोग प्रवेश कर गए। बैंक कर्मी अमोल पालेकर को अभिनय का जुनून था। उन्हें फिल्म में अभिनय का अवसर मिला। उन्होंने फिल्मों का निर्माण और निर्देशन भी किया। अमोल मध्यम वर्ग सिनेमा के अमिताभ बच्चन बन गए। बाद में उन्होंने अमिताभ को लेकर ‘पहेली’ नामक फिल्म भी बनाई।

दीप्ति नवल और फारुख शेख ने ‘बाजार’ और ‘चश्मे बद्दूर’ जैसी सार्थक मनोरंजक फिल्मों में अभिनय किया। उनकी लोकप्रियता उन्हें मध्यम मार्ग सिनेमा का सितारा बनाती हैं। कालांतर में उन्होंने चरित्र भूमिकाएं अभिनीत कीं। किफायती कार बाजार में आने से मध्यम आय वर्ग के लोग कार खरीद सके। हबीब फैजल ने ऋषि कपूर और नीतू सिंह अभिनीत फिल्म ‘दो दूनी चार’ बनाई। ऋषिकेश मुखर्जी मध्यम बजट में सफल फिल्में बनाते रहे। सफल सितारों ने भी उनकी फिल्मों में नाम मात्र का मेहनताना लेकर काम किया। अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना ने भी मुखर्जी की फिल्में अभिनीत की। ऋषिकेश मुखर्जी, बिमल रॉय की फिल्मों का संपादन करते थे। दिलीप कुमार अभिनीत एक प्रयोगवादी फिल्म की असफलता के बाद उन्होंने राज कपूर और नूतन के साथ सफल ‘अनाड़ी’ बनाई। वर्तमान के सफलतम फिल्मकार राजकुमार हिरानी ऋषिकेश मुखर्जी को अपना मार्गदर्शक मानते हैं। अनिल धवन और जया बच्चन अभिनीत फिल्म ‘पिया का घर’ में नवविवाहित जोड़े को एक-दूसरे के साथ समय बिताने के लिए निजता की आवश्यकता है। चॉल में बने छोटे मकान में संयुक्त परिवार रहता है। मनोरंजक घटनाक्रम के अंत में जया के पिता यह समझ लेते हैं कि मध्यम वर्ग के लोगों में बड़ा आपसी मेलजोल और प्रेम है। जिसकी ताकत से वे बने हुए हैं। शंकर शेष रचित कथा से प्रेरित थी फिल्म ‘रजनीगंधा’, उत्पल दत्त अभिनीत ‘गोलमाल’ इसी श्रेणी की फिल्में हैं। मतदाताओं का सबसे बड़ा वर्ग मध्यम वर्ग ही है। उसे लुभाया जा रहा है, बरगलाया जा रहा है, वादों का जाल बिछाया जा रहा है, परंतु यह परिंदा लंबे समय तक पिंजड़े में कैद नहीं रखा जा सकता।