मनुष्य, धरती, इतिहास और भूगोल / जयप्रकाश चौकसे

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
मनुष्य, धरती, इतिहास और भूगोल
प्रकाशन तिथि : 09 जनवरी 2022


दुनिया के अधिकांश देशों में संक्रमण अपने विविध रूपों में लोगों को असहनीय पीड़ा दे रहा है। कुछ देशों में सरकार ने नागरिकों को सलाह दी है कि सामाजिक मेल-जोल अत्यंत सीमित कर दिया जाए। एक ही परिवार के दो सदस्य यदि संक्रमित हैं तो उन्हें भी अपने अपने कमरे में बंद रहना चाहिए। इस तरह के हालात बनने पर एकाकीपन कष्ट हो सकता है। परंतु इसका एक लाभ यह हो सकता है कि हम अपने पूरे जीवन में की गई गलतियों पर विचार कर सकें। और क्या दूसरा अवसर मिलने पर हम स्वयं से वादा कर सकते हैं कि यह गलतियां दोबारा नहीं होंगी। कुछ लोग यह भी कहते हैं कि दूसरा अवसर मिलने पर हम पहले से अधिक क्रूर और कट्टर हो जाएंगे। समझ लीजिए कि सारे घटित व अघटित के जमा जोड़ के बराबर क्रूरता हो सकती है। क्रूरता की तरह मूर्खता भी किसी भी हद तक हो सकती है। कुमार अंबुज कहते हैं कि “मूर्खता हर बात पर गर्व कर सकती है, जाति पर, अशिक्षा पर और इतिहास पर। देश प्रेम में हर व्यक्ति अपने ही देश में पुन: जन्म लेना चाहता है। भय से मुक्त कुछ लोग कह सकते हैं कि वे इटली में पैदा होना चाहेंगे।

क्या पता इटली में सोफिया लॉरेन भी अपने पुनर्जन्म में वहीं लौटीं। ऐसा कुछ होने पर कार्लो पोन्टी कहां, क्या कर रहे होंगे ? कुछ लोग महात्मा गांधी के तरह के जीवन की अभिलाषा करेंगे। कुछ पंडित नेहरू की तरह कवि और नेता के रूप में लौटना चाहेंगे। महाराष्ट्र के अधिकांश लोग मराठी भाषा बोलने वाले स्वरूप में दोबारा आना चाहेंगे। यह लगभग तय है कि बंगाली भाषी गुरु रविंद्र नाथ टैगोर या काजी नज़रुल इस्लाम के रूप में ही दोबारा आना चाहेंगे। राज कपूर यकीनन उसी देश में दोबारा पैदा होना चाहेंगे “जिस देश में गंगा बहती है’। दिलीप कुमार संभवत एमिली ब्रोंटे के उपन्यास वुदरिंग हाइट्स के मुख्य पात्र के रूप में लौटना चाहेंगे। देवानंद उस कालखंड में वापसी करना चाहेंगे जिसमें न बुढ़ापा हो और ना ही बचपन। हमेशा युवा रहने वाला कालखंड उनका प्रिय कालखंड होगा। क्या अपने नए जन्म में भी सलमान शादी नहीं करेंगे? आमिर खान दूसरे गोले से पुनः पृथ्वी पर आना चाहेंगे। उन्हें पीके का भाग 2 जो बनाना है। शैलेंद्र, “तीसरी कसम’ के बाद अपने दूसरे अवसर में मैला आंचल और धरती परिकथा बनाने के लिए लौटेंगे। उन्हें कसमें पूरी करनी होंगी।

हम सब में कहीं कोई दूसरा दुबका हुआ बैठा है। हम सब सदैव अप्रकाशित रहने वाली कथाएं हैं। ज्ञातव्य है कि एक बार यूरोप में एक प्राकृतिक आपदा बरपी थी। कुछ लोग प्राण बचाने के लिए गुफा में छुप गए। समय बिताने के लिए बारी-बारी से कथाएं सुनाते रहे।

हर आदमी एक कथा ही है। इनमें से कुछ कथाएं जानकर अधूरी छोड़ी गई हैं। कथावाचक अगर पात्र बन जाए तो मामला और अधिक रोचक हो सकता है। महाभारत के खेल में वेदव्यास विजेता और पराजित दोनों ही पात्र हैं। विजय के क्षण में भीतर ही भीतर विजेता जानता है कि वह पराजित हुआ है। सिमॉन द बोव्हा इसे काउंटर क्लोजर कहती हैं। कुछ कथाएं कभी अभिव्यक्त नहीं होतीं। जैसे कोई शिशु जन्म लेते समय मर जाए। यह अनकही कथाएं भी पूरे ब्रह्मांड में विचरण करती रहती हैं। इसमें से कुछ तारे बन जाते हैं। यह दुर्भाग्य है कि कभी-कभी वही तारा टूटता है जिस पर हमारी निगाह थी। जाने कैसे यह कहावत बन गई कि आसमान में तारा टूटते समय मांगी गई दुआ पूरी होती है। जाने कैसे प्रार्थनाएं और इच्छाएं तारों के साथ जोड़ दी गई हैं। कुछ लोगों की इच्छा हो सकती है कि रात चांद तारों के साथ चले। यह भी कहावत है कि यदि इच्छाएं घोड़े होतीं तो लंगड़े दौड़ने लगते।

दरअसल कथा संसार और यथार्थ संसार साथ-साथ चलायमान हैं। एक विचार है कि अंधेरे की गोद में इतिहास छुपा है, प्रकाश भूगोल है, यथार्थ का प्रेम ही स्वर्ग कल्पना का साकार रूप है। मनुष्य की धुरी पर ही घूमती है धरती, इतिहास और भूगोल।