मनुष्य का भैंस या वृक्ष से विवाह क्यों? / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि :23 जून 2015
उत्तरप्रदेश के एक खाप प्रमुख ने खुला एलान किया है कि विनोद कापरी का सिर काटकर लाने वाले को 51 भैंसों का इनाम देंगे। पत्रकार-फिल्मकार विनोद कापरी की फिल्म 'मिस टनकपुर हाजिर हो' में एक दुष्ट राजनेता उसकी पोल खोलने की धमकी देने वाले पर इलजाम लगाता है कि उसने एक भैंस से दुष्कर्म किया है! खाप पंचायत का फैसला है कि दुष्कर्मी भैंस से शादी करनी पड़ेगी। इस सामाजिक कुरीति पर व्यंग्य करने वाली फिल्म के ट्रेलर के आते ही खाप ने उसके खिलाफ इनामी फतवा जारी किया है, जिसमें यह स्पष्ट नहीं है कि पुरस्कार पाने वाले को उन 51 भैंसों से विवाह करना पड़ेगा या वह बिना शर्त इनाम है। विनोद कापरी की फिल्म फॉक्स स्टार स्टूडियो द्वारा 26 जून को प्रदर्शित हो रही है गोयाकि आपातकाल लगाए जाने के तीस वर्ष और एक दिन बाद प्रदर्शित हो रही है। ज्ञातव्य है कि बद से अधिक बदनाम आपातकाल के दिनों में खाप पंचायतों के लोग जेलों में बंद कर दिए गए थे या गुमनामी का जीवन जी रहे थे। कुछ लोगों का ख्याल है कि आपातकाल स्वयं एक महा खाप था और बड़ी मछली की तरह छोटी को खा गया था।
आज कल उत्तरप्रदेश के विज्ञापन धड़ल्ले से आ रहे हैं कि उत्तरप्रदेश में विकास हो रहा है। कुछ विज्ञापन फिल्में भी इसी आशय की जारी हो रही हैं। नरेंद्र मोदी ने गुजरात पर्यटन और अन्य चीजों का विज्ञापन बहुत बड़े पैमाने पर किया था। उन विज्ञापनों में गुजरात को स्वर्ग समान प्रस्तुत किया गया था यद्यपि 2002 में दंगा पीड़ित तब भी जहन्नुम जैसे हालात में रह रहे थे। मोदी की राष्ट्रव्यापी चुनावी सफलता के बाद मध्यप्रदेश व अन्य कई राज्यों की सरकार ने अपने तथाकथित विकास के विज्ञापन अखबारों और टेलीविजन पर जारी किए और यह कार्यक्रम बदस्तूर जारी है।
किसी को यह सोचने की फुर्सत कहां कि जनता के टैक्स द्वारा जमा किए गए धन का कितना बड़ा भाग इन विज्ञापनों पर खर्च किया जा रहा है और इनका समाज को क्या लाभ मिल रहा है। दरअसल, राज्यों के भीतर एक अघोषित प्रचार प्रतियोगिता चल रही है और सर्वत्र छवि निर्माण का काम जारी है। विकास के नाम पर व्यक्तिगत छवि निर्माण व भांति-भांति के उत्सवों पर जमकर पैसा खर्च किया जा रहा है। भूखे-नंगे फुटपाथ पर ये विज्ञापन के पोस्टर ओढ़कर अपने आप को ठंड से बचाते हैं और पोस्टरों के कारण उन भूखों को यह भी भरम होने लगा है कि वे पेटभर खा चुके हैं वरन् वे डकार भी ले रहे हैं और कुछ मौतों को अपच से मौत बड़े सुभीते से करार दिया जाएगा!
गौरतलब है कि विज्ञापन के अनुसार न्यायप्रिय उत्तरप्रदेश की सरकार क्या धमकी व इनाम देने वाले खाप प्रमुख पर फिल्मकार विनोद कापरी को मारने के प्रयास में गिरफ्तार कर सकती है? फिल्मों को मनोरंजन कर से मुक्ति देने वाली सरकार, प्रांत में शूटिंग होने पर दो करोड़ का इनाम देने वाली सरकार इस निर्माता की जान की हिफाजत का कोई वचन नहीं दे सकती। यह भी कहा जाता है कि जिस सत्य घटना से प्रेरित यह फिल्म है, वह घटना राजस्थान में घटित हुई है परंतु प्रचार ताकतों ने इसे उठाकर उत्तरप्रदेश में रोपित कर दिया परंतु धमकी उत्तरप्रदेश के खाप से मिली है, अत: घटना वहीं घटित हुई होगी। बहरहाल, दोनों ही प्रदेश भारत महान का हिस्सा है।
कुछ मंगली लड़कियों का विवाह वृक्ष से पहले कराया जाता है और फिर मनुष्य से शादी कराई जाती है, क्योंकि अंधविश्वास है कि मंगली कन्या का प्रथम पति मर जाता है। अफवाह तो यह भी रही है कि एक सितारे ने अपनी भावी सितारा बहु का प्रथम विवाह गोपनीय डंग से एक वृक्ष से कराया था, फिर अपने पुत्र से परंतु इस अफवाह में दम नहीं है, वह सितारा सुसंस्कृत है। एक शबाना अभिनीत फिल्म भी बनी थी, जिसमें मंगली शबाना का विवाह एक वृक्ष से कराया जाता है। अगर आप कहीं किसी वृक्ष को असमय सूखकर गिरते देखें तो समझ लीजिए उसका विवाह किसी मंगली से कराया गया है। धर्म का भवन उजला, रोशनदार है परंतु उसके नीचे तलघर में अंधविश्वास व कुरीतियां हैं, जो रात के अंधेरे में भवन में घुस जाती हैं। जिन्होंने धर्म के भवन को रात में देखा है, वे अंधविश्वासी हैं, दिन में देखने वाले भवन की तरह रोशन खयाल हैं।