मनोरंजन क्षेत्र में इडली-सांभर बर्गर / जयप्रकाश चौकसे

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मनोरंजन क्षेत्र में इडली-सांभर बर्गर
प्रकाशन तिथि :20 अक्तूबर 2015


'बाहुबली' की सफलता के बाद दक्षिण के सुपरस्टार रजनीकांत का सिंहासन डोल रहा है और उन्हें दशकों से सुरक्षित अपनी सुपरस्टार हैसियत को कायम रखना है। 'बाहुबली' में अतिरेक की भरमार थी और इस अतिरेक के विशेषज्ञ वहां फिल्मकार शंकर रहे हैं, जिनकी 'रोबोट' में हमने देखा था कि एक मशीनगन के स्थान पर सैकड़ों मशीनगन का प्रयोग किया गया था। दरअसल भव्यता और अतिरेक के प्रति दक्षिण के फिल्मकारों को हमेशा जुनून रहा है। दस मटकों के बदले हजार रंगीन मटकों के गिर्द जितेंद्र पीटी एक्सरसाइजनुमा डांस करते थे। उसके भी पहले 1950 के आस-पास दक्षिण की चित्रलेखा में हजार विशाल तबलों के आकार की वस्तु पर एक साथ चार लड़कियां नृत्य करती थीं। गौरतलब है कि दक्षिण की एक फिल्म संस्था कॉमिक्स भी प्रकाशित करती थी और उनके सिनेमा में कॉमिक्सनुमा अविश्वसनीय चीजों का समावेश होता है और उनके कॉमिक्स भी फिल्मनुमा रहे हैं।

शंकर की तमिल फिल्म 'इंथीरन' का ही हिंदी संस्करण 'रोबोट' था। ज्ञातव्य है कि शाहरुख खान शंकर को 'रोबोट' के लिए अनुबंधित किया गया था परंतु शंकर सारे विशेष प्रभाव के दृश्य चेन्नई की प्रसाद लैब में करना चाहते थे, जबकि शाहरुख खान यह काम अपने 'विशेष प्रभाव' वाले मुंबई स्थित स्टूडियो में करना चाहते थे। इस मतभेद के कारण शंकर हट गए और शाहरुख खान ने अपनी उस तरह की फिल्म बनाने की इच्छा पूरी की 'रा.वन' नामक फिल्म बनाकर, जो असफल रही परंतु शंकर की रजनीकांत अभिनीत 'इंथीरन' और रोबो दोनों सफल रहीं। इस कथा में एक धारा ऐसी थी कि जिस वैज्ञानिक ने रोबो का निर्माण किया, उसी वैज्ञानिक का शत्रु हो गया वही रोबो। दरअसल, इस फिल्मी विचार के मूल की आशंका महात्मा गांधी को थी और 1931 में चार्ली चैपलिन से उन्होंने कहा था कि कभी मनुुष्य मशीन का दास बन जाएगा। इसी का स्वरूप हमारे पौराणिक आख्यान में भस्मासुर कथा में सबसे पहले प्रकट हुआ कि भगवान शंकर ने अपनी पूजा के लिए वरदान दिया और वह व्यक्ति उसका दुरुपयोग करने लगा तो मोहीनी रूप धारण करके विष्णुु ने नृत्य प्रक्रिया में भस्मासुर का अंत उसी वरदान के माध्यम से किया। जब राक्षस वध के लिए ईश्वर स्त्री रूप ले सकते हैं तो उसी देश में महिला दोयम दर्जे की नागरिक क्यों हैं? पौराणिक कहानियों से उनका नैतिक आदर्श का लोप करके उसे महज चमत्कारिकता के कारण उसे जिंदा रखा गया है। हर कथा के आदर्श के हरण की मौलिकता ही हमारी पूंजी हो गई है।

बहरहाल, 'बाहुबली' से घबराए रजनीकांत ने शंकर की 'इंथीरन' की अगली कड़ी के लिए हॉलीवुड के अर्नोल्ड श्वॉर्जनेगर को पच्चीस दिन की शूटिंग के लिए चेन्नई निमंत्रित किया है और अब शंकर की इंथीरन में दो नायक होंगे, रजनीकांत और अर्नोल्ड। दक्षिण भारत का निर्माता ही अर्नोल्ड का मेहनताना दे सकता है। रजनीकांत के मन में सिंहासन पर जमे रहने का मोह इतना प्रबल है कि उन्हें हॉलीवुड से मेहमान कलाकार की बैसाखियां लेने में संकोच नहीं हुआ। इसी शैली में हमारे हुक्मरानों ने भीख का कटोरा लिए अनेक देशों की यात्रा की है, जबकि देश की संपदा से देश के मेहनतकशों द्वारा ही स्वदेशी की रचना संभव है।

दशकों पूर्व प्रकाश मेहरा को जोश आया था कि वे अमिताभ बच्चन के साथ कैसियस क्लो को लेंगे और नियत समय पर उसके बंगले पर पहुंचे तो गार्ड ने कहा कि आप दस मिनट देर से आए हैं, क्योंकि गेट से बंगले तक का रास्ता ही दस मिनट का है। बहरहाल उसके मेहनताने की राशि सुनकर प्रकाश मेहरा दुम दबाकर भाग आए। हम हॉलीवुड की फिल्मों से कहानियां तो हमेशा ही लेते रहे हैं, अब सितारे भी ले रहे हैं। अत: किसी फिल्म का इडली-संभार व बर्गर होना उतना घातक नहीं है, जितना वहां की जीवनशैली लेना, क्योंकि जीवनशैलियां जमीन व मौसम तय करते हैं। भारतीय फिल्म 'पीकू' में नायक का 'अपच' दरअसल आयात की गई जीवनशैली का प्रतीक है।