मनोरंजन जगत में 'अंडरडॉग' आैर कुत्ता / जयप्रकाश चौकसे

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मनोरंजन जगत में 'अंडरडॉग' आैर कुत्ता
प्रकाशन तिथि : 05 अगस्त 2014


अक्षय कुमार अभिनीत 'एंटरटेनमेंट' के प्रोमो से लगता है कि कोई रईस अपनी जायदाद कुत्ते के नाम कर गया है आैर नायक जायदाद का आधा मालिक है। पूरी फिल्म उसके आैर कुत्ते के बीच आपसी नफरत आैर मोहब्बत की कहानी है। हिन्दुस्तानी सिनेमा में कुत्तों का इस्तेमाल कई ढंग से हुआ है। केसी बोकाडिया की फिल्म 'तेरी मेहरबानियां' में कुत्ता केंद्रीय शक्ति है आैर रमेश तलवार, यश चोपड़ा तथा संगीतकार ख्य्याम की भागीदारी में बनी 'नूरी' में भी कुत्ता महत्वपूर्ण है। बहु सितारा 'काला पत्थर' में विलंब के कारण नई तारिका पूनम ढिल्लों के साथ अल्प बजट में बनाई इस फिल्म ने बहु सितारा 'काला पत्थर' से अधिक लाभ कमाया था। ज्ञातव्य है कि पूनम ढिल्लों को 'त्रिशूल' में नायकों की बहन की छोटी भूमिका मिली थी।

कुत्ता बहुत समझदार आैर वफादार प्राणी है आैर अनेक संवेदनशील लोग उनके साथ समानता का व्यवहार करते हैं। विदेशों में कुत्तों के लिए विशेष भोजन बनाने वाली कम्पनियां खूब मुनाफा कमाती है। कई लोग कुत्तों पर खूब पैसा खर्च करते हैं आैर उनकी सेवा करते हैं। पालने वालों का श्रेणी भेद कुत्तों पर भी लागू कर दिया गया है। अमीर आदमी के कुत्तों के ठाठ निराले हैं आैर कुछ कुत्तों के गले में बंधे पट्टों पर हीरे भी जड़े होते हैं सड़क के 'लावारिस' कुत्तों की हालत दयनीय होती है। वे भी आम गरीब आदमी की तरह होते हैं। अंग्रेजी भाषा में कमतर व्यक्ति को 'अंडरडॉग' ही कहते हैं। खेल-कूद संसार में कमजोर टीम को इसी तरह संबोधित किया जाता है। राजकपूर की 'आवारा' में स्ट्रीट लैंप के नीचे बेघरबार नायक बैठा है आैर सड़क का एक कुत्ता उसके पास जाता है आैर नायक उससे कहता है कि उन दोनों की हालत समान है आैर जो राहगीर कुत्ते को ठोकर मारता है, वह उसका गला पकड़ लेता है। निर्देशक छोटे से दृश्य में स्पष्ट कर देता है कि नायक अंडरडॉग है। दरअसल अपने समाजवादी रुझान के कारण राजकपूर ने 'जागते रहो' आैर 'जोकर' में भी कुत्ते का प्रतीकात्मक इस्तेमाल बखूबी किया है।

इसी तरह 'चिल्लर पार्टी' नामक फिल्म में एक अनाथ बच्चा अपने मित्र सड़क के कुत्ते के साथ एक परिसर में कार धाेने का काम करता है आैर परिसर के बच्चे उसके मित्र हो जाते हैं तथा सारे बच्चे उस मंत्री के खिलाफ संघर्ष करते है जो 'लावारिस कुत्तों' को पकड़ने का आदेश देता है। दरअसल मंत्री मनुष्यों को भी कुत्ता ही समझते हैं। फिल्म के क्लाइमैक्स में टेलीविजन पर मंत्री आैर बच्चों के बीच बहस होती है जिसके अंत में अनाथ बालक कहता है कि वह अन्य बच्चों की तरह स्कूल जाकर पढ़ना चाहता था ताकि अच्छा मनुष्य बने परंतु कुछ पढ़े लिखे लोगों का आचरण देखकर मुझे लगता है कि इस तरह शिक्षित होने से बेहतर है अनपढ़ रह जाना। यह अत्यंत गहरा आैर सार्थक वक्तव्य है। निदा फाजली की पंक्तियों का आशय है कि बच्चों को भारी-भरकम किताबों से बचाएं क्योंकि इन्हें पढ़कर वे हमारी तुम्हारी तरह हो जाएंगे। 'चिल्लर पार्टी' कुत्ते को केंद्र में रखकर बनाई सर्वश्रेष्ठ सामाजिक सोद्देश्यता की फिल्म है।

'जोकर' में नीरज के गीत 'ए भाई जरा देखकर चलो' में कुछ पंक्तियां है कि जानवर आदमी से ज्यादा वफादार है, आदमी- माल जिसका खाता है, प्यार जिससे पाता है, उसी की पीठ में खंजर मारता है। बहरहाल सलीम खान के फार्म हाउस में उनका एक कुत्ता है जो किसी ऊंची पेडग्री का नहीं है, सड़क का कुत्ता है। एक दिन सलीम साहब ने कहा कि उनके पास बैठे उनके नाती, पोते आैर मित्र सलमान खान को आता देख उसकी आेर दौड़ते हैं परंतु उनका यह वफादार कुत्ता किसी सितारा छवि से अपनी वफादारी नहीं बदलता, वह उनके पास ही बैठा रहता है। इन पंक्तियों का यह आशय नहीं कि पिता-पुत्र में लोकप्रियता को लेकर कोई प्रतिद्वन्दता है। खान परिवार मजबूत पारिवारिक संस्कारों से बंधा है। इसी तरह सलीम साहब का ख्याल है कि महान कवि वाल्मीकि ने वफादारी के प्रतीक स्वरूप गढ़ा हनुमान जी का पात्र वानर का रखा है। उसे मनुष्य रूप में नहीं गढ़ा क्योंकि फिर संपूर्ण समर्पण आैर वफादारी का वह प्रतीक नहीं बन पाता।

बहरहाल एंटरटेनमेंट एक हास्य फिल्म है आैर लालच से घिरे एक आदमी का आधी जायदाद के मालिक कुत्ते के प्रति घृणा का दृष्टिकोण के साथ ही वह कुत्ते की संगत में ेहतर मनुष्य बन जाता है- इस तरह के परिवर्तन की कहानी हो सकती है। यह प्रदर्शन पूर्व का अनुमान है।